जयपुर. पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने कोरोना काल में भारी आर्थिक संकट से जूझते दुकानदारों और व्यवसायियों के बंद पड़े प्रतिष्ठानों पर बिजली कंपनी की ओर से स्थाई और विलंब शुल्क के समेत बिलों की वसूली का दबाव बनाने पर आक्रोश व्यक्त किया है. कालीचरण सराफ ने राज्य सरकार से हस्तक्षेप करने और बिजली बिलों में रियायत देने की मांग भी की है.
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कालीचरण सराफ ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण अप्रैल 2020 से लॉकडाउन लगने के बाद से ही समाज का हर वर्ग आर्थिक रूप से प्रभावित हुआ है. विशेषकर बंद के कारण व्यापारी वर्ग को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले वर्ष तीन चार महीने व्यापार बंद रहने के कारण घर का, स्टाफ का, स्कूल फीस और अन्य खर्चों के बोझ तले दबे व्यवसायियों की विरोध में माफी की मांग के बावजूद सरकार ने बिजली बिलों में कोई राहत नहीं दी थी. लॉकडाउन खुलने के बाद भी गाइडलाइन की पालना के कारण व्यवसाय पटरी पर आने से पहले ही कोरोना की दूसरी लहर आ गई और वापस लॉकडाउन लगने से पिछले लगभग 1 महीने से सब कुछ बंद पड़ा है, लेकिन बिजली कंपनियों ने बंद प्रतिष्ठानों पर शून्य उपभोग के बावजूद स्थाई और 18 फीसदी विलंब शुल्क के साथ बिलों की वसूली करना शुरू कर दिया है. इससे प्रदेश के लगभग 20 लाख उपभोक्ताओं के लिए संकट खड़ा हो गया है.
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उन्होंने कहा कि हालत इतनी खराब है कि वित्तीय संकट के कारण अनेक दुकानें, जिम, कांप्लेक्स समेत विभिन्न प्रतिष्ठान बंद होने की कगार पर है. कुछ प्रतिष्ठान तो बिजली मीटर पर लोड कम करवा रहे हैं. महत्वपूर्ण बात यह कि ऊर्जा विभाग ने आदेश जारी करके मात्र यह कहा है कि 31 मई तक कनेक्शन नहीं काटे जाएंगे. शुल्क माफी और बिलो की माफी के बारे में विचार तक नहीं किया गया.
कालीचरण सराफ ने इस मामले में ऊर्जा मंत्री की ओर ऑनलाइन बिल जमा करवाने की नसीहत देने वाले बयान को आमजन पर कुठाराघात बताते हुए कहा कि 1 माह से लोग घरों में बंद है. व्यापार बंद है, ऐसे में ऑनलाइन बिल भेज कर बिलों की वसूली करना सरासर अन्याय है, जबकि उर्जा मंत्री को मालूम है कि प्रदेश के लगभग 50 लाख उपभोक्ता ऑनलाइन से जुड़े ही नहीं है. कालीचरण सराफ ने मांग करते हुए कहा कि महामारी की विषम परिस्थितियों में संवेदनशीलता दिखाते हुए राज्य सरकार को जनहित में बिजली बिलों में रियायत देकर लाखों उपभोक्ताओं को राहत देनी चाहिए.