जयपुर. राजस्थान में जिला परिषद और पंचायती राज चुनाव के परिणामों को कांग्रेस के लिए काफी निराशाजनक कहा जा रहा है. इसी बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि राजस्थान में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के परिणामों को लेकर बीजेपी ने अपने हाईकमान के आदेश पर किसान आंदोलन को फीका करने के लिए केंद्रीय मंत्रियों से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर झूठ फैलाया. जबकि हकीकत यह है कि 21 जिलों की 222 पंचायत समितियों में हुए चुनाव में कांग्रेस को भाजपा से ज्यादा वोट मिले हैं.
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#Hyderabad के नगर निगम चुनावों में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, केंद्रीय गृह मंत्री श्री #AmitShah और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों का जाकर कोरोना प्रॉटोकोल का उल्लंघन करना इनकी सोच दर्शाता है। यह दिखाता है कि भाजपा चुनाव जीतने के लिये आमजन के जीवन से भी समझौता कर सकती है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 11, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार का पूरा ध्यान कोरोना महामारी की रोकथाम पर था. इसलिए कांग्रेस ने प्रदेश और केंद्रीय स्तर के नेताओं को इन चुनावों में प्रचार करने के लिए नहीं भेजा ताकि भीड़ इकट्ठा नहीं हो और महामारी का फैलाव रुक सके. जबकि भाजपा ने केंद्रीय मंत्री तक को इन चुनाव में प्रचार के लिए उतार दिए.
'भाजपा नेताओं ने आमजन के जीवन को खतरे में डाला'
उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी और अर्जुन मेघवाल के साथ ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ समेत कई नेताओं ने चुनाव प्रचार में कोरोना के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई. भाजपा नेताओं ने अपनी राजनीति के लिए आमजन के जीवन को खतरे में डाला. उन्होंने कहा कि प्रदेश में दो विधायक कोरोना के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं. ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी है कि कोरोना संक्रमण को गंभीरता से लिया जाए.
'भाजपा नेताओं के लिए राजनीति जरूरी थी'
गहलोत ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा नेताओं ने कोरोना संक्रमण का ध्यान नहीं रखा. चुनाव में जीत के लिए भाजपा नेताओं ने आमजन के सामने कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने का उदाहरण रखा है. जहां राजस्थान में हमारा पूरा ध्यान जीवन और आजीविका बचाने पर था, तो भाजपा नेताओं के लिए राजनीति जरूरी थी.
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कोरोना के दौरान राजस्थान सरकार का पूरा ध्यान महामारी की रोकथाम पर था। इसलिये कांग्रेस ने प्रदेश-केंद्रीय स्तर के नेताओं को इन चुनावों में प्रचार हेतु नहीं भेजा ताकि भीड़ इकट्ठा न हो,महामारी का फैलाव रुक सके। वहीं BJP के केंद्रीय मंत्री तक इन चुनावों में प्रचार के लिये उतर गये।
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'भाजपा चुनाव जीतने के लिए आमजन के जीवन से समझौता कर सकती है'
हैदराबाद के नगर निगम चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने जाकर कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया. उन्होंने कहा कि इससे भाजपा की सोच सामने आ गई है कि चुनाव जीतने के लिए आमजन के जीवन से भी समझौता कर सकती है.
भाजपा नेताओं पर आरोप
उन्होंने कहा कि भाजपा के केंद्रीय और प्रदेश के नेताओं ने चुनाव नतीजों को भ्रामक रूप से मीडिया के सामने प्रचारित कर ऐसा माहौल खड़ा करने की कोशिश की जैसे कांग्रेस का इन चुनाव में सफाया हो गया हो. राजस्थान के किसानों ने भाजपा को 18 महीने में 18 फीसदी कम वोट देकर किसान आंदोलन का साथ दिया है. राजस्थान के किसान पूरी तरह से नए कृषि कानूनों के खिलाफ हैं, इसीलिए उन्होंने भाजपा के विरोध में वोट किया है.
कांग्रेस को मिला भाजपा से 0.29 फीसदी ज्यादा वोट
सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि इन चुनावों में कांग्रेस को 40.87 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि बीजेपी को 40.58 फीसदी वोट ही मिले हैं. कांग्रेस को बीजेपी से 0.29 फीसदी ज्यादा वोट मिले हैं. उन्होंने कहा कि 222 पंचायत समितियों में बीजेपी और कांग्रेस के बराबर 98-98 और अन्य पार्टियों के 26 प्रधान चुने गए हैं.
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राजस्थान में आये जिला परिषद, पंचायत समिति चुनाव परिणाम को लेकर BJP हाईकमान के आदेश पर किसान आंदोलन को फीका करने के लिये केंद्रीय मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर झूठ फैलाया है। BJP नतीजों को अपनी बड़ी जीत की तरह प्रदर्शित कर रही है जो आंकड़ों के विश्लेषण में गलत साबित होता है।
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1/राजस्थान में आये जिला परिषद, पंचायत समिति चुनाव परिणाम को लेकर BJP हाईकमान के आदेश पर किसान आंदोलन को फीका करने के लिये केंद्रीय मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर झूठ फैलाया है। BJP नतीजों को अपनी बड़ी जीत की तरह प्रदर्शित कर रही है जो आंकड़ों के विश्लेषण में गलत साबित होता है।
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भाजपा को मिला 5 फीसदी कम वोट
2015 में इन पंचायत समितियों में बीजेपी की 112 और कांग्रेस के 67 प्रधान थे. ऐसे में इन चुनावों में कांग्रेस के प्रधानों की संख्या 31 बढ़ी है, जबकि भाजपा के प्रधानों की संख्या 14 कम हुई है. 2015 में इन 21 जिला परिषदों में भाजपा को 48.87 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन इस बार 42.81 फीसदी वोट ही भाजपा को मिले हैं जो पिछली बार से 5 फीसदी कम है.
बीजेपी का वोट प्रतिशत 18 फीसदी कम
गहलोत ने कहा कि कांग्रेस को 42.76 फीसदी वोट मिले हैं जो भाजपा से महज 1.05 फीसदी कम है. उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव से तुलना की जाए तो इन चुनाव और लोकसभा सीटों पर बीजेपी को लगभग 61.5 फीसदी वोट मिले थे. लोकसभा चुनाव में जिला परिषद चुनाव के 18 महीनों में बीजेपी का वोट प्रतिशत 18 फीसदी कम हुआ है.
2015 में बीजेपी के इन 21 जिलों में 14 जिला प्रमुख थे, लेकिन इस बार बीजेपी के 13 जिला प्रमुख बन सके हैं. इन 21 जिला परिषदों में बीजेपी 2015 की तुलना में सिर्फ 5 जिला परिषदों में पिछली बार से ज्यादा वार्ड जीत पाई है, बाकी 16 जिला परिषदों में जीते गए वार्ड की संख्या 2015 से कम है.