जयपुर. प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच राजभवन में कांग्रेस विधायकों के धरने और मुख्यमंत्री के राज्यपाल को लेकर आए बयान पर सियासत गरम है. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद पूर्व गृहमंत्री और मौजूदा नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि प्रदेश पुलिस पर विश्वास नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि राजभवन और राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद और व्यक्ति की सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ को लगाया जाना चाहिए.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में कटारिया ने यह भी कहा की जब राज्य का मुखिया और गृहमंत्री की ओर से राज्यपाल जैसे गरिमामय संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को लेकर कहा जाए कि न्याय ना मिला तो जनता राजभवन को घेर लेगी. मुख्यमंत्री इस प्रकार के बयान दे तो इससे ज्यादा गलत काम कुछ हो ही नहीं सकता.
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नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने कहा, कैबिनेट में प्रस्ताव पास कर सदन आहूत करने का पत्र राज्यपाल को देने का अधिकार तो मुख्यमंत्री का है, लेकिन राज्यपाल की छाती पर बैठकर और धमकाकर यह काम करवाना चाहें तो वो गलत है. उन्होंने कहा कि मैंने पहले भी मौजूदा हालातों को देखकर सीआरपीएफ तैनात करने की मांग की थी.
'सीएम जनता को उकसाने वाली प्रवृति बंद करें'
कटारिया ने मुख्यमंत्री को यह भी कहा कि वह जनता को उकसाने वाली प्रवृति बंद करें और खुद के पद की गरिमा के साथ ही राज्यपाल जैसे गरिमामय पद की भी गरिमा बनाए रखें. कटारिया ने स्पीकर की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया और कहा कि वह आधी रात को विधानसभा सचिवालय खुलवा कर विधायकों को नोटिस जारी कर सकते हैं, लेकिन बहुजन समाज पार्टी के विधायकों के कांग्रेस में हुए विलय की याचिका पर कोई सुनवाई नहीं करते.
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नेता प्रतिपक्ष कटारिया के अनुसार पहले जब यह हालात बने तभी मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल से निवेदन कर लेना चाहिए, लेकिन उस समय अशोक गहलोत विधायकों की जोड़-तोड़ में जुटे रहे.