जयपुर. भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय मंत्री रामनरेश तिवाड़ी ने किसान आंदोलन करने वालों पर निशाना साधा है. तिवाड़ी ने कहा कि जो कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं उन्हें पता ही नहीं कि कानून में क्या है. कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली में आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारी, किसान हैं ही नहीं, वे बिचौलिए और आंदोलनजीवी हैं. शुक्रवार को आयोजित एक प्रेसवार्ता में रामनरेश तिवाड़ी ने यह बात कही.
उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 71वां जन्मदिन मनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यदि किसान खुशहाल होगा तो देश समृद्ध होगा. आजादी के बाद किसानों के चेहरे पर खुशहाली लाने का काम पीएम मोदी ने किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू की हैं. किसान के खेत तक पानी पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना शुरू की गई जिससे उन्हे खेती में समस्या नहीं हो रही. मृदा कार्ड योजना से आज किसानों की आय पहले की तुलना में डेढ़ गुना बढ़ गई है. इसे देखते हुए जिले के 71 जवान, किसान और मातृशक्ति को सम्मानित भी किया गया है.
कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों को लेकर रामनरेश तिवाड़ी ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि जो किसान कृषि बिलों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं वह वास्तव में किसान नहीं हैं. वे बिचौलिए हैं क्योंकि किसान अपनी फसल छोड़कर इतने लंबे समय तक आंदोलन नहीं कर सकता. वे किसान होते तो अपने देश के लिए जरूर सोचते. देश का किसान खुश है और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आशीर्वाद दे रहा है. मैं पूछना चाहता हूं कि आज दिल्ली में कितने किसान बैठते हैं और क्या योजना बनाते हैं. कृषि बिलों के खिलाफ आंदोलन करने वालों का अपना स्वार्थ हो सकता है.
स्वामीनाथन रिपोर्ट को लेकर रामनरेश तिवाड़ी ने कहा कि 2004 में रिपोर्ट आयी थी, लेकिन कांग्रेस उसे 10 साल तक दबा कर बैठी रही. भाजपा सरकार ने आते ही स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन किया और उसी के आधार पर किसानों को वैभवशाली और शक्तिशाली बनाने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान रेल चलाने का महत्वपूर्ण काम किया.
तिवाड़ी ने कहा कि यह वही आंदोलनजीवी हैं जो अलग-अलग तरह से आंदोलन कर देश की अखंडता को तोड़ने का काम कर रहे हैं. यही आंदोलनजीवी किसानों के बीच आ जाते हैं, सीएए के बीच आ जाते हैं. उन्होंने कहा कि अगर यह आंदोलन किसानों का होता तो पूरे देश में चल रहा होता न कि कुछ जिलों तक सीमित रहता.