जयपुर. जयपुर में बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के महामंथन (BJP Mahamanthan in Rajasthan) से पार्टी ने आने वाले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव को लेकर प्रारंभिक रोडमैप तो तय कर लिया लेकिन राजस्थान नेताओं को भी इस महामंथन के दौरान कई बड़े संदेश पार्टी आलाकमान ने दिए हैं. इसमें सबसे बड़ा संदेश (important message came out from bjp meeting in Rajasthan) मुख्यमंत्री के चेहरे के लिए लड़ाई छोड़कर एकजुटता के साथ काम करने का है. आलाकमान ने राजस्थान के मौजूदा हालातों का फीडबैक लिया है जिसके आधार पर आने वाले समय में कुछ बदलाव संभव हैं.
सीएम फेस की जंग छोड़ एकजुटता के साथ चलने का संदेश
राजस्थान भाजपा नेताओं के बीच अगले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे (Bjp message for cm face in rajasthan) की जंग छिड़ी हुई है फिर चाहे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हों या पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया सहित राजस्थान से आने वाले कुछ अन्य प्रमुख नेता हों, इनके बीच चल रही इस आंतरिक खींचतान की जानकारी पार्टी आलाकमान को भी है. यही कारण है कि जब जेपी नड्डा ने जयपुर में कदम रखा तो एयरपोर्ट पर ही इन नेताओं को एकजुटता का संदेश दे दिया और अपने साथ कार में वसुंधरा राजे, सतीश पूनिया और गुलाबचंद कटारिया को साथ लेकर गए. यह संदेश भी था कि मनमुटाव और सीएम के चेहरे की जंग छोड़कर एक साथ चलें.
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प्रदेश में चेहरे की जरूरत नहीं, मोदी का काम और कमल का निशान ही काफी
बीजेपी के इस महामंथन में दूसरा सबसे बड़ा संदेश राजस्थान के नेताओं को मिला कि आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री फेस की जंग में न पड़ें क्योंकि अगला चुनाव किसी एक चेहरे को आगे रखकर नहीं लड़ा जाएगा बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा, काम और कमल के निशान पर ही अगला चुनाव लड़ा जाएगा. महामंथन में इसके लिए मोदी सरकार की योजनाओं को लाभार्थियों तक पहुंचाने और उनसे संपर्क कर उन्हें पार्टी से जोड़ने का अभियान भी हाथ में लिया गया है.
इसके साथ ही पार्टी से जुड़े सभी प्रमुख नेताओं ने अगला चुनाव पीएम मोदी और कमल के चेहरे पर ही लड़ने का बयान भी दिया. बैठक के दौरान देश भर से शामिल हुए बीजेपी के नेताओं को मोदी सरकार के 8 साल के कार्यकाल की उपलब्धियों से जुड़ीं कुछ पुस्तकें भी वितरित की गईं जिसमें नरेंद्र मोदी का चेहरा और कमल का निशान दिखाया गया था. मतलब राजस्थान में अगले मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में सपना संजोए नेताओं को यह पार्टी का बड़ा मैसेज था.
परिवार के लिए टिकट ना मांगे, कुर्सी का मोह भी त्याग दें
बीजेपी के महामंथन के दौरान पार्टी आलाकमान ने राजस्थान के नेताओं को तीसरा सबसे बड़ा संदेश दिया कि कुर्सी और पद का मोह न रखें क्योंकि यह स्थाई नहीं होते. बिरला सभागार में अपने संबोधन में जेपी नड्डा ने इसका संदेश पार्टी नेताओं को भी दे डाला. साथ ही राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंशवाद और परिवारवाद को लेकर निशाना तो विपक्षी दलों पर साधा लेकिन पार्टी के नेताओं को भी यह संदेश दिया कि बीजेपी में परिवारवाद नहीं चलेगा. मतलब अगले चुनाव में यदि कोई बड़ा नेता अपने परिवार जन के लिए टिकट मांगने की सोच रहा है तो वो समझ ले कि बीजेपी में वंशवाद नहीं चलने वाला. साथ ही पद की लालसा के साथ पार्टी में रहने वाले नेताओं के लिए भी कड़ा संदेश था कि पद और कुर्सी के पीछे न भागें, पार्टी के साथ जुड़ें.
विपक्षी दल के रूप में राजस्थान में भाजपा के कार्य को सराहा लेकिन संगठन विस्तार पर जोर
जयपुर में हुए भाजपा के महामंत्री के दौरान के कामकाज से पार्टी आलाकमान खुश नजर आए. खास तौर पर प्रदेश में करौली हिंसा और धौलपुर मंदिर तोड़ने के मामले सहित विभिन्न मुर्दों को जिस तरह बीजेपी ने उठाकर राष्ट्रीय मुद्दा बनाया उसकी तारीफ पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी की. मतलब संगठन के कार्यों के लिए सतीश पूनिया और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर का सियासी कद पार्टी आलाकमान के समक्ष बढ़ा है. हालांकि पार्टी का बूथ स्तर और पन्ना प्रमुख तक निर्माण पर भी पार्टी अध्यक्ष ने जोड़ दिया है और उसके लिए समयबद्ध तरीके से कार्यक्रम हाथ में लिए जाने का संदेश दिया गया है.
पार्टी आलाकमान ने लिया फीडबैक,जल्द ही कुछ बदलाव संभव
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने जयपुर में अपने प्रवास के दौरान राजस्थान भाजपा और उससे जुड़े प्रमुख नेताओं के कामकाज का फीडबैक लिया. खास तौर पर संगठन किस तरह काम कर रहा है और संगठन का पार्टी से जुड़े प्रमुख नेताओं से कितना तालमेल है इसकी भी जानकारी ली गई. क्योंकि राजस्थान भाजपा में कई नेताओं के अलग-अलग धड़े बने हुए हैं जो पार्टी आलाकमान के लिए भी चिंता का विषय है. इसके अलावा पिछले दिनों जो घटनाक्रम सामने आए उसके आधार पर भी फीडबैक पार्टी अध्यक्ष तक पहुंचा है.
वहीं संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने भी प्रदेश संगठन महामंत्रियों की बैठक में राजस्थान का फीडबैक लिया था. पार्टी आलाकमान के लिए सबसे बड़ा चिंता का विषय राजस्थान में प्रमुख नेताओं के बीच चल रहा शीत युद्ध है. इसे थामने के लिए संभवत: जल्द ही राजस्थान भाजपा में कुछ बड़े बदलाव पार्टी आलाकमान कर सकता है.