जयपुर. कोरोना संक्रमण फिर से पांव पसार रहा है. इसके चलते सरकार ने वीकेंड कर्फ्यू सहित कई प्रकार की पाबंदियां लगाई हैं लेकिन खुद राजनीतिक दल (Politics Between Corona Spread) ही उसकी पालना नहीं कर रहे. भाजपा बीते कई दिनों से प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक और अब मूक बधिर बालिका से दरिंदगी मामले में सड़कों पर निकल कर विरोध प्रदर्शन कर रही है. अब 17 और 18 जनवरी को भाजपा मंडल स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेगी. विपक्ष के नाते भाजपा की राजनीति तो इससे चमकेगी लेकिन संक्रमण काल में यह सियासत आम जनता के जीवन पर भारी भी पड़ सकती है.
डिजिटल प्लेटफार्म से दूर हुई भाजपा
कोरोना की पहली और दूसरी लहर में भाजपा ने डिजिटल प्लेटफॉर्म का बखूबी इस्तेमाल किया. राजस्थान में कोरोना संक्रमण की दोनों लहरों में भाजपा ने विपक्ष के नाते अपनी बात रखने और विरोध प्रदर्शन करने के लिए भी डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया लेकिन इस बार भाजपा डिजिटल प्लेटफॉर्म (BJP avoid digital platform to protest)के बदले सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रही है. यह भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही आमजन के जीवन के लिए भी खतरनाक है. इस मामले में भाजपा नेता कहते हैं कि जब तत्कालीन विषय गंभीर हो तो सड़कों पर उतरना ही पड़ता है.
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17 और 18 को सभी मंडलों में होगा विरोध प्रदर्शन... कोरोना प्रोटोकॉल टूटना भी तय
विरोध प्रदर्शन का सिलसिला राजस्थान में करीब एक पखवाड़े से चल रहा है. पिछले दिनों पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक के मामले में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब तक जारी है. इस बीच अलवर में मूक बधिर बालिका के साथ हुई हैवानियत के विरोध में भी बीजेपी हमलावर रुख अख्तियार करते हुए सड़कों पर है. हाल ही में भाजपा ने जयपुर की बड़ी चौपड़ पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं की गई.
वहीं, पूर्व में युवा मोर्चा के मशाल जुलूस, महिला मोर्चा के महामृत्युंजय जाप और जयपुर शहर भाजपा के गांधी सर्किल पर दिए गए धरने में भी काफी भीड़ जुटी लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल की पालना नहीं की गई. अब अलवर बालिका दरिंदगी मामले में 17 और 18 जनवरी को राजस्थान के सभी मंडल इकाइयों में बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता गहलोत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर दबाव बनाएंगे. हालांकि भाजपा नेता कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करते हुए विरोध प्रदर्शन करने की बात कहते हैं लेकिन जब प्रदर्शन होता है तो गाइडलाइन की धज्जियां ही उड़ती दिखती हैं.
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पूनिया बोले, जनआक्रोश रैली रोकी लेकिन तत्कालिक गंभीर विषय पर सड़क पर उतरना पड़ता है
इस मामले में रविवार को जब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भाजपा ने कोरोना संक्रमण के चलते जनाक्रोश रैलियां रद्द कर दीं लेकिन कई बार बड़े तत्कालिक विषय आते हैं जिन पर विपक्ष के नाते भाजपा को सड़कों पर उतरना पड़ता ही है. पूनिया कहते हैं कि हम प्रयास करते हैं कि कोरोना का प्रोटोकॉल न टूटे.
यूपी-पंजाब चुनाव में सियासी फायदा लेने की कवायद !
दरअसल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का संग्राम चल रहा है. इसमें पंजाब और उत्तर प्रदेश राजस्थान से लगते हुए राज्य हैं. प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक का मामला पंजाब से जुड़ा है और अलवर में बालिका से दरिंदगी का मामले को भाजपा यूपी चुनाव से जोड़ रही है क्योंकि यूपी चुनाव में कांग्रेस की भागदौड़ प्रियंका गांधी के हाथ है. अलवर में जब मूक बधिर बालिका के साथ यह घटना हुई तब प्रियंका गांधी राजस्थान के रणथंभौर में भ्रमण के लिए आई हुईं थीं. अब इसी मामले में प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश चुनाव में घेरा जा रहा है. मतलब साफ है कि राजस्थान में इन दोनों मामलों को भाजपा जितना उठाएगी उतना ही गहलोत सरकार और कांग्रेस पार्टी पर सियासी दबाव बढ़ेगा.