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सरकारी संस्थानों पर है बड़ी रकम बकाया, कर लें वसूली तो भर जाए निगमों का खजाना

वित्तीय वर्ष 2021-22 का आखिरी महीना चल रहा है. लेकिन ग्रेटर निगम अपने 124 करोड़ और हेरिटेज निगम अपने 50 करोड़ राजस्व के लक्ष्य से बेहद पीछे (Jaipur nigams are far behind their revenue target) हैं. एक अनुमान है कि दोनों निगम अगर सरकारी संस्थानों से ही यूडी टैक्स का बकाया वसूल करें तो इनका खजाना भर सकता है.

Big Dues to be recovered from Government Institutions
लक्ष्य से बेहद पीछे जयपुर के दोनों नगर निगम
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Published : Mar 19, 2022, 1:49 PM IST

जयपुर. राजधानी के दोनों निगम के लिए बीता वित्तीय वर्ष राजस्व वसूली के नजरिए से कुछ खास नहीं रहा. वित्तीय वर्ष 2021-22 के भी 11 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. जिसमें हेरिटेज निगम करीब 21 करोड़ तो ग्रेटर नगर निगम करीब 41 करोड़ राजस्व ही इकट्ठा (jaipur nigams are far behind their revenue target) कर पाया है.

अब दोनों निगम इस वित्तीय वर्ष के बचे हुए दिनों में बकायेदारों को डिमांड नोटिस (Jaipur Nigams Sending Demands to defaulters for recovery) भेज तिजोरी भरने में लगे हैं. एक हकीकत ये भी है कि निगम यदि सरकारी संस्थानों से ही बकाया यूडी टैक्स वसूलने में कामयाब हो जाए तो खजाने में एक बड़ी राशि जुड़ सकती है.

सरकारी संस्थानों पर करोड़ों का बकाया निगमों को नहीं फिक्र

स्पैरो सॉफ्टेक के प्रोग्राम मैनेजर भरत जोशी की माने तो ग्रेटर नगर निगम में करीब 35 करोड़ और हेरिटेज नगर निगम में करीब 18 करोड़ रुपए सरकारी संस्थानों पर बकाया चल रहा है. यदि सरकारी संस्थानों से वसूली की जाए तो निगम के खजाने में एक बड़ा राजस्व जुड़ेगा. उन्होंने निगम के उच्चाधिकारियों से अपील की कि जिन सरकारी संस्थानों का भुगतान बकाया है, उनसे सामंजस्य स्थापित करते हुए उन्हें बकाया भुगतान करने के लिए प्रेरित करें. ताकि राजस्व इकट्ठा कर शहर के विकास कार्य पर लगाया जा सके.

पढ़ें- Swachh Survekshan 2022: नगर निगम जयपुर हैरिटेज के अधिकारी अब बंद कमरों में नहीं, फील्ड में उतरकर तैयार करेंगे स्वच्छता व्यवस्था रिपोर्ट

हेरिटेज नगर निगम की प्रमुख बकायेदार सरकारी संस्थान :

बकायेदारबकाया राशि
जेवीवीएनएल 1.60 करोड़
बीएसएनल29.82 लाख
जेडीए 25.84 लाख
एलआईसी 5.36 लाख
पोस्ट ऑफिस 1.84 करोड़
आरटीडीसी और आरएफसी 9.08 करोड़



ग्रेटर नगर निगम की प्रमुख बकायेदार सरकारी संस्थान :

बकायेदारबकाया राशि
बीएसएनएल 96.14 लाख
फूड कॉरपोरेशन 4.37 करोड़
हाउसिंग बोर्ड 16.82 लाख
जेडीए 8.88 करोड़
जेवीवीएनएल 7.57 करोड़
आरएफसी 1.34 करोड़
पोस्ट ऑफिस और टेलीकॉम डिपार्टमेंट52.11 लाख

इन सरकारी संस्थानों से जहां हेरिटेज नगर निगम 18 करोड़ वसूल कर अपने वर्तमान वित्तीय वर्ष के लक्ष्य तक पहुंच सकता है तो वहीं ग्रेटर नगर निगम करीब 35 करोड़ जमा कर अपनी बिगड़ी हुई वित्तीय स्थिति को सुधार सकता है. सच्चाई ये है कि दोनों ही निगम का इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इससे पहले विधानसभा में सांगानेर विधायक और पूर्व महापौर अशोक लाहोटी ने भी यूडी टैक्स कलेक्शन न होने से नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति खराब होने को लेकर सवाल खड़े किए थे.

जयपुर. राजधानी के दोनों निगम के लिए बीता वित्तीय वर्ष राजस्व वसूली के नजरिए से कुछ खास नहीं रहा. वित्तीय वर्ष 2021-22 के भी 11 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. जिसमें हेरिटेज निगम करीब 21 करोड़ तो ग्रेटर नगर निगम करीब 41 करोड़ राजस्व ही इकट्ठा (jaipur nigams are far behind their revenue target) कर पाया है.

अब दोनों निगम इस वित्तीय वर्ष के बचे हुए दिनों में बकायेदारों को डिमांड नोटिस (Jaipur Nigams Sending Demands to defaulters for recovery) भेज तिजोरी भरने में लगे हैं. एक हकीकत ये भी है कि निगम यदि सरकारी संस्थानों से ही बकाया यूडी टैक्स वसूलने में कामयाब हो जाए तो खजाने में एक बड़ी राशि जुड़ सकती है.

सरकारी संस्थानों पर करोड़ों का बकाया निगमों को नहीं फिक्र

स्पैरो सॉफ्टेक के प्रोग्राम मैनेजर भरत जोशी की माने तो ग्रेटर नगर निगम में करीब 35 करोड़ और हेरिटेज नगर निगम में करीब 18 करोड़ रुपए सरकारी संस्थानों पर बकाया चल रहा है. यदि सरकारी संस्थानों से वसूली की जाए तो निगम के खजाने में एक बड़ा राजस्व जुड़ेगा. उन्होंने निगम के उच्चाधिकारियों से अपील की कि जिन सरकारी संस्थानों का भुगतान बकाया है, उनसे सामंजस्य स्थापित करते हुए उन्हें बकाया भुगतान करने के लिए प्रेरित करें. ताकि राजस्व इकट्ठा कर शहर के विकास कार्य पर लगाया जा सके.

पढ़ें- Swachh Survekshan 2022: नगर निगम जयपुर हैरिटेज के अधिकारी अब बंद कमरों में नहीं, फील्ड में उतरकर तैयार करेंगे स्वच्छता व्यवस्था रिपोर्ट

हेरिटेज नगर निगम की प्रमुख बकायेदार सरकारी संस्थान :

बकायेदारबकाया राशि
जेवीवीएनएल 1.60 करोड़
बीएसएनल29.82 लाख
जेडीए 25.84 लाख
एलआईसी 5.36 लाख
पोस्ट ऑफिस 1.84 करोड़
आरटीडीसी और आरएफसी 9.08 करोड़



ग्रेटर नगर निगम की प्रमुख बकायेदार सरकारी संस्थान :

बकायेदारबकाया राशि
बीएसएनएल 96.14 लाख
फूड कॉरपोरेशन 4.37 करोड़
हाउसिंग बोर्ड 16.82 लाख
जेडीए 8.88 करोड़
जेवीवीएनएल 7.57 करोड़
आरएफसी 1.34 करोड़
पोस्ट ऑफिस और टेलीकॉम डिपार्टमेंट52.11 लाख

इन सरकारी संस्थानों से जहां हेरिटेज नगर निगम 18 करोड़ वसूल कर अपने वर्तमान वित्तीय वर्ष के लक्ष्य तक पहुंच सकता है तो वहीं ग्रेटर नगर निगम करीब 35 करोड़ जमा कर अपनी बिगड़ी हुई वित्तीय स्थिति को सुधार सकता है. सच्चाई ये है कि दोनों ही निगम का इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इससे पहले विधानसभा में सांगानेर विधायक और पूर्व महापौर अशोक लाहोटी ने भी यूडी टैक्स कलेक्शन न होने से नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति खराब होने को लेकर सवाल खड़े किए थे.

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