वाराणसी/जयपुर. काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पिछले 34 दिनों से संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय में चल रहे छात्रों का आंदोलन मंगलवार को मंत्रोच्चार और हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ समाप्त हुआ. कार्यकारी डीन कौशलेंद्र पांडेय ने छात्रों को लिखित में दिया कि फिरोज खान ने संकाय से इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद छात्रों ने संकल्प को पूरा करते हुए मंत्रोच्चार के साथ धरना प्रदर्शन को समाप्त किया.
ये है पूरा घटनाक्रम....
- 7 नवंबर 2019 फिरोज खान बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर रूप में जॉइनिंग के लिए संकाय पहुंचे.
- 8 नवंबर को बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान के सैकड़ों की संख्या में छात्र कुलपति आवास के बाहर धरने पर बैठ गए और नियुक्ति को फर्जी बताया.
- 8 नवंबर से लेकर 23 नवंबर तक छात्र-छात्राओं ने विभिन्न तरीके से कुलपति के लिए बुद्धि शुद्धि यज्ञ और भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया और विरोध प्रदर्शन जारी रखा.
- 23 नवंबर शाम को प्रदर्शन कर रहे छात्रों से विश्वविद्यालय ने 10 दिन का समय मांगा. छात्रों ने अपना विरोध प्रदर्शन खत्म किया, लेकिन आंदोलन जारी रखा.
- 24 नवंबर से लेकर 1 दिसंबर तक छात्रों ने जन समर्थन और अपनी बात समाज तक पहुंचाने के लिए विभिन्न प्रकार के आंदोलन किए.
- इसी सिलसिलें में छात्रों ने अयोध्या के संतों से मुलाकात की और राष्ट्रपति को पत्र लिखा.
- 2 दिसंबर से जवाब न मिलने पर छात्र फिर संकाय के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए.
- 4 दिसंबर को फिरोज खान ने कला संकाय के संस्कृत डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति के लिए इंटरव्यू दिया.
- 7 दिसंबर कार्यकारिणी की बैठक में दोनों संकाय के इंटरव्यू में नियुक्ति पर मुहर लगाया गया.
- 8 दिसंबर आयुर्वेद विभाग ने असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान को अपने संकाय में ज्वाइन करने के लिए 1 महीने का समय दिया.
- 9 दिसंबर को संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय से फिरोज खान ने इस्तीफा दिया.
- 10 दिसंबर को 34 दिनों से आंदोलन पर बैठे छात्रों ने अपना धरना समाप्त किया.
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पिछले 34 दिनों से जो हमारा आंदोलन चल रहा था, वह महामना के संकल्पना और विधि द्वारा स्थापित नियम थे. उनके विरुद्ध जो नियुक्ति हुई थी, फिरोज खान ने यहां से इस्तीफा दे दिया. विश्वविद्यालय में महामना की मूल्यों की रक्षा हुई. सभी छात्र-छात्राएं प्रसन्न हैं. धर्म की जीत हुई है. महामना आज खुश होंगे कि उनके द्वारा बनाए गए विधि को उनके मानस पुत्रों ने लड़ाई लड़कर जीवित रखा. हम लोगों ने वैदिक मंत्र द्वारा संकल्प कर इस आंदोलन को प्रारंभ किया था.आज वैदिक मंत्रों और हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ हमने इस आंदोलन को विजय होकर समाप्त किया.
शशिकांत मिश्र, छात्र बीएचयू