जयपुर. कृषि कानून वापस लेने और एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने को लेकर अब भारतीय किसान यूनियन गांव और ढाणी में जाकर लोगों को जागरूक करेगी. इसी सिलसिले में भारतीय किसान यूनियन की युवा विंग की ओर से खेती-किसानी बचाओ यात्रा निकाली जाएगी. यह यात्रा 2 अक्टूबर को नागौर के खरनाल से शुरू होगी. यात्रा के जरिए भारतीय किसान यूनियन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को मजबूत करेगा.
यात्रा के समापन पर जयपुर में किसानों की होगी सभा
भारतीय किसान यूनियन युवा विंग इस यात्रा के जरिये तीनों काले कानून के खिलाफ जागरूक करने का काम करेगी. भारतीय किसान यूनियन युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह मीणा के नेतृत्व में खेती-किसानी यात्रा निकाली जाएगी. नागौर खरनाल से शुरू होकर यात्रा जयपुर में समाप्त होगी. हालांकि, यात्रा के समाप्त होने की तारीख का एलान भारतीय किसान यूनियन ने नहीं किया है. यात्रा के समापन पर जयपुर में किसानों की एक बड़ी आम सभा भी आयोजित होगी.
विक्रम सिंह मीणा ने बताया कि किसान विरोधी तीनों कृषि कानून वापस लेने, एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने के साथ ही पेट्रोल डीजल की दर कम करने, पूर्वी राजस्थान नहर योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने, किसानों को रबी की फसल के लिए प्रचुर व सही कीमत पर उपलब्ध करवाने और अधिकतम बाजरे की फसल को एमएसपी पर खरीदने के लिए किसानो को एकजुट करेंगे. ताकि भारतीय किसान यूनियन का चल रहा आंदोलन और अधिक मजबूत हो सके.
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष ने केंद्र पर लगाए आरोप
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील ने बताया कि पिछले 10 महीने से किसान काले कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. उनके विपरीत केंद्र सरकार हठधर्मिता पर उतरी हुई है. उन्हें किसानों से कोई सरोकार नहीं है बस एक ही बात सोचते हैं कि उनको वोट कैसे मिलेंगे. उन्होंने कहा कि फिलहाल राजस्थान में ही यह यात्रा निकाली जाएगी.
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भारतीय किसान यूनियन यूथ विंग के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह मीणा ने बताया कि किसानों को एकजुट करने के लिए हर जिला मुख्यालय और हर गांव ढाणी में खेती किसानी बचाओ यात्रा निकाली जाएगी. कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को और मजबूत किया जा सके.
केंद्र सरकार ने किसानों पर ज़बरदस्ती यह कृषि क़ानून थोपे हैं. मीणा ने कहा कि खेती किसानी बचाओ यात्रा के जरिए केंद्र सरकार को यह संदेश दिया जाएगा कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन पंजाब हरियाणा और यूपी का नहीं है, बल्कि राजस्थान के किसान भी इस आंदोलन में पीछे नहीं है.