जयपुर. दिल्ली में 26 जनवरी को हुई किसान हिंसा को लेकर भारतीय किसान संघ ने नाराजगी जताते हुए इसकी निंदा की है. किसान संघ ने केंद्र सरकार से पुरानी मांग पर विचार करने का आग्रह किया है. साथ ही कृषि कानूनों में सुधार, न्यूनतम समर्थन मूल्य बाबत कानून एवं अन्य लंबित समस्याओं पर सार्थक समाधान के लिए सक्षम समिति गठित की जाये ताकि किसान भी देश के साथ आत्मनिर्भर भारत का भागीदार बन सके.
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी और के. साई रेड्डी अखिल भारतीय मंत्री ने एक बयान भी जारी किया है. भारतीय किसान संघ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि संघ जून 2020 से ही कहता आया है कि इन कानूनों को संशोधित करें और न्यूनतम समर्थन मूल्य का कानून बने, लेकिन हम ऐसे नेतृत्वविहीन और हिंसक आंदोलन से दूर रहते हैं.
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इस आंदोलन के नेतृत्व द्वारा जिस प्रकार मांगे बदलते गए और कानून वापसी पर आकर अड़ गए तब स्पष्ट हो गया था कि हारे हुए राजनैतिक विपक्ष की हताशा, किसान नेताओं के ब्रेनवाश और प्रसिद्धि के लोभ में नेता बनने के लालच में किसान से गद्दारी होने लगी है.
भारतीय किसान संघ ने कहा है कि इन सभी घटनाओं से पता चलता है कि गरीब किसानों का हित इनकी योजना में नहीं है. इनकी दृष्टि तो आगामी चुनाव पर दिखाई देती है. भारतीय किसान संघ दिल्ली पुलिस के धैर्य और संयम के लिए साधुवाद देता है, लेकिन सरकार एवं इंटेलिजेंस एजेंसीज की कमजोरी कहें या आंदोलन को लम्बा खीचने की मजबूरी, देशवासियों की समझ में नहीं आई.
भारतीय किसान संघ ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि केंद्र सरकार हमारी पुरानी मांग पर पुनः विचार करें और कृषि कानूनों में समुचित सुधार, न्यूनतम समर्थन मूल्य बाबत कानून एवं अन्य लंबित समस्याओं पर सार्थक समाधान के लिए सरकारी पक्षकार, किसान प्रतिनिधि, कृषि अर्थशास्त्री वैज्ञानिक एवं तज्ञ तटस्थ लोगों की सक्षम समिति गठित की जाए ताकि किसान भी देश के साथ आत्मनिर्भर भारत का भागीदार बन सके.