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भारतीय किसान संघ ने भारत बंद में शामिल नहीं होने का किया एलान...कह दी ये बड़ी बात, जानें

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है, लेकिन भारतीय किसान संघ ने भारत बंद में शामिल नहीं होने की बात कही है. रविवार को भारतीय किसान संघ की ओर से बयान जारी कर इसकी घोषणा की गई. भारतीय किसान संघ कुछ संशोधनों के साथ ये कानून लागू करने की मांग कर रहा है.

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भारतीय किसान संघ ने भारत बंद में शामिल नहीं होने का किया एलान
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Published : Dec 6, 2020, 9:53 PM IST

जयपुर. केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है, लेकिन भारतीय किसान संघ ने भारत बंद में शामिल नहीं होने की बात कही है. रविवार को भारतीय किसान संघ की ओर से बयान जारी कर इसकी घोषणा की गई. भारतीय किसान संघ कुछ संशोधनों के साथ ये कानून लागू करने की मांग कर रहा है.

पढे़ं: किसानों के भारत बंद को कांग्रेस का भी समर्थन, CM गहलोत ने Tweet कर दी जानकारी

अपने बयान में भारतीय किसान संघ की ओर से कहा गया है कि केंद्र सरकार के लाए गए तीनों कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं. सरकार और किसान नेताओं के बीच पांचवें दौर की बात भी हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया. कृषि मंत्री ने इन कानूनों में संशोधन करने की सहमति भी जता दी है और 9 दिसंबर को फिर से वार्ता के लिए दोनों पक्ष सहमत भी हो गए हैं.

किसान नेताओं ने वार्ता के लिए आने की सहमति भी दे दी है फिर भी 8 दिसंबर को भारत बंद की घोषणा कर दी गई. भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि अभी तक यह आंदोलन अनुशासित चला है परंतु ताजा घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए यह कहना अनुचित नहीं होगा कि विदेशी ताकतें, राष्ट्रद्रोह तत्व और कुछ राजनीतिक दलों के प्रयास किसान आंदोलन को अराजकता की ओर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं. आशंका है कि वर्ष 2017 में मंदसौर की दर्दनाक स्थिति की पुनरावृति नहीं हो जाए, जहां 6 किसानों की गोली लगने से मौत हो गई थी, 32 गाड़ियां और कई घर, दुकानें जल गए थे.

उस समय जो किसान नेता थे वे विधायक और मंत्री बन गए परंतु जो किसान मरे उनका परिवार आज भी बर्बादी का दंश झेल रहा है. ऐसे आंदोलन से नुकसान तो देश का और किसानों का होता है. पंजाब राज्य के द्वारा पारित वैकल्पिक बिलों में केंद्रीय कानून को निरस्त कर 5 जून से पहले की स्थिति बहाल करने का प्रावधान किया जा चुका है. फिर भी पंजाब के किसान नेता तीनों कानूनों को वापस देने की मांग पर अड़े हुए हैं.

भारतीय किसान संघ बिलों को वापस नहीं लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीद नहीं हो, व्यापारियों से किसान की राशि की गारंटी रहे, कृषि न्यायालय खड़े हो एवं अन्य संशोधनों के साथ लागू करने की मांग कर रहा है. क्योंकि पूरे देश में विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन करने वाले छोटे बड़े सभी किसानों के लिए इन कानूनों से फायदा है. इसलिए इन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़ कर रहने का समर्थन हम नहीं कर सकते.

जयपुर. केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है, लेकिन भारतीय किसान संघ ने भारत बंद में शामिल नहीं होने की बात कही है. रविवार को भारतीय किसान संघ की ओर से बयान जारी कर इसकी घोषणा की गई. भारतीय किसान संघ कुछ संशोधनों के साथ ये कानून लागू करने की मांग कर रहा है.

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अपने बयान में भारतीय किसान संघ की ओर से कहा गया है कि केंद्र सरकार के लाए गए तीनों कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं. सरकार और किसान नेताओं के बीच पांचवें दौर की बात भी हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया. कृषि मंत्री ने इन कानूनों में संशोधन करने की सहमति भी जता दी है और 9 दिसंबर को फिर से वार्ता के लिए दोनों पक्ष सहमत भी हो गए हैं.

किसान नेताओं ने वार्ता के लिए आने की सहमति भी दे दी है फिर भी 8 दिसंबर को भारत बंद की घोषणा कर दी गई. भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि अभी तक यह आंदोलन अनुशासित चला है परंतु ताजा घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए यह कहना अनुचित नहीं होगा कि विदेशी ताकतें, राष्ट्रद्रोह तत्व और कुछ राजनीतिक दलों के प्रयास किसान आंदोलन को अराजकता की ओर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं. आशंका है कि वर्ष 2017 में मंदसौर की दर्दनाक स्थिति की पुनरावृति नहीं हो जाए, जहां 6 किसानों की गोली लगने से मौत हो गई थी, 32 गाड़ियां और कई घर, दुकानें जल गए थे.

उस समय जो किसान नेता थे वे विधायक और मंत्री बन गए परंतु जो किसान मरे उनका परिवार आज भी बर्बादी का दंश झेल रहा है. ऐसे आंदोलन से नुकसान तो देश का और किसानों का होता है. पंजाब राज्य के द्वारा पारित वैकल्पिक बिलों में केंद्रीय कानून को निरस्त कर 5 जून से पहले की स्थिति बहाल करने का प्रावधान किया जा चुका है. फिर भी पंजाब के किसान नेता तीनों कानूनों को वापस देने की मांग पर अड़े हुए हैं.

भारतीय किसान संघ बिलों को वापस नहीं लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीद नहीं हो, व्यापारियों से किसान की राशि की गारंटी रहे, कृषि न्यायालय खड़े हो एवं अन्य संशोधनों के साथ लागू करने की मांग कर रहा है. क्योंकि पूरे देश में विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन करने वाले छोटे बड़े सभी किसानों के लिए इन कानूनों से फायदा है. इसलिए इन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़ कर रहने का समर्थन हम नहीं कर सकते.

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