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पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने महाराष्ट्र-हरियाणा के नतीजे को बताया अप्रत्याशित, कहा- अब लोगों का EVM से उठ रहा विश्वास

पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने फिर EVM मशीन पर उठाया सवाल. महाराष्ट्र-हरियाणा के नतीजे को बताया अप्रत्याशित.

Former CM Ashok Gehlot
पूर्व सीएम अशोक गहलोत (ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

जयपुर : राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को जयपुर में ज्योतिबा फुले स्मारक पर पहुंचकर समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले के निर्वाण दिवस पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया. इसके बाद वे पास ही स्थित एक चाय की थड़ी के पास बैठे और चाय पी. इस दौरान उन्होंने लोगों से मुलाकात कर उनके हालचाल जाने और लोगों की शिकायतें भी सुनी. मीडिया से बातचीत में उन्होंने ईवीएम पर उठ रहे सवालों और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा उठाए जा रहे सवालों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि सवाल चुनाव की जीत-हार का नहीं है, लेकिन जिस तरह महाराष्ट्र और हरियाणा में अप्रत्याशित नतीजे आए, उससे अब लोगों का ईवीएम से भरोसा उठने लगा है.

ऐसे में सरकार को चाहिए कि इसे प्रतिष्ठा का सवाल बनाए बिना बैलेट पेपर से चुनाव करवाने के लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि यही लोकतंत्र का तकाजा है कि विपक्ष अगर कोई बात बोले तो बिना प्रतिष्ठा का सवाल बनाए इस पर स्टडी करवाएं. सर्वे करवाया जाए कि देश की जनता का मूड क्या है. क्या जनहित में है. ताकि आने वाले समय में लोकतंत्र मजबूत रहे.

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ETV BHARAT JAIPUR)

इसे भी पढ़ें - पीएम मोदी को गहलोत का मशविरा, खुली चिट्ठी में कह दी ये बड़ी बात

ईवीएम ठीक होती तो वीवीपैट पर खर्चा क्यों : उन्होंने कहा कि ईवीएम को लेकर दस साल पहले सुप्रीम कोर्ट तक केस गया था. सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम में वीवीपैट लगाने का आदेश दिया. यह आदेश क्यों दिया गया. अगर मशीन सब ठीक होती तो वीवीपैट लगाकर 15-20 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए. यह नौबत क्यों आई है. इसका मतलब सुप्रीम कोर्ट ने माना होगा कि मशीनों को टेम्पर किया जा सकता है. उन्होंने कहा, उस समय सुप्रीम कोर्ट भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी गए थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईवीएम के साथ वीवीपैट भी लग गई.

अमेरिका-इंग्लैंड की तरह क्यों नहीं अपनाएं बैलेट पेपर : आज आम लोगों में यह धरना बन गई है कि इन मशीनों से टेम्परिंग हो रही है. मतदान होने के बाद गणना के समय 99 फीसदी बैटरी चार्ज होना भी एक बड़ा सवालिया निशान है. जब अमेरिका-इंग्लैंड जैसे दुनिया के बड़े-बड़े मुल्क बैलेट पेपर से चुनाव करवाने लगे हैं. पहले वहां भी मशीन से चुनाव करवाए गए थे. हमारे देश में क्यों नहीं बैलेट पेपर से चुनाव हो. ताकि लोकतंत्र को मजबूत और लोगों का विश्वास कायम रखा जा सके.

इसे भी पढ़ें - अशोक गहलोत को मिली बड़ी जिम्मेदारी, कांग्रेस ने बनाया महाराष्ट्र में ऑब्जर्वर, नतीजों के बाद के समीकरण पर रखेंगे नजर

वोट देने नहीं जाते हैं कई लोग : गहलोत ने कहा कि आजकल कई लोग वोट देने जाते ही नहीं हैं. उनका विश्वास ईवीएम पर से उठता जा रहा है. लोग सोचते हैं कि जाकर क्या करेंगे. जब वोट किसी को देंगे और जाएगा किसी के खाते में. ऐसे में वोट देकर क्या करेंगे. अगर ऐसे लोग 2-5 प्रतिशत भी हैं. तो उचित नहीं है. इसकी जो हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी कह रहे हैं. उस पर विचार करना चाहिए. पहले की तरह बैलेट पेपर से चुनाव के लिए सरकार को आगे आना चाहिए. इसे सरकार को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाना चाहिए. पहले लालकृष्ण अडवाणी सहित सभी लोग मांग करते थे कि ईवीएम खत्म होनी चाहिए. पहले वो मांग करते थे. आज हम प्रत्यक्ष देख रहे हैं कि चुनाव में अप्रत्याशित परिणाम आ रहे हैं.

हरियाणा में भाजपा नेता मान रहे थे कांग्रेस जीतेगी : उन्होंने कहा कि हरियाणा में आम जनता के साथ ही भाजपा के लोग भी कहते थे कि कांग्रेस वहां चुनाव जीत रही है. भाजपा के नेता मानकर चल रहे थे कि नतीजों में कांग्रेस भारी बहुमत से जीतेगी. सभी एग्जिट पोल और पूरा मीडिया भी यही मानकर चल रहा था. सबका सर्वे यही था कि सरकार कांग्रेस बना रही है. लेकिन उल्टा हो गया. अब महाराष्ट्र में भी गजब हो गया. इन परिणामों ने पूरे देश को हिला दिया है. हार-जीत अलग बात है. जिस प्रकार एकतरफा परिणाम आए हैं. मैं खुद एक महीने वहां रहा. ऐसा माहौल नजर ही नहीं आ रहा था.

जो पैरवी करते थे, अब उठा रहे हैं सवाल : गहलोत ने कहा कि हो सकता है कुछ कारणों से उन्होंने चुनाव में ध्रुवीकरण किया. लाड़ली बहन योजना लेकर आ गए. मैनेजमेंट कर लिया. कुछ भी किया होगा. हो सकता वे जीत जाते. लेकिन जिस प्रकार से विपक्षी पार्टियों का सफाया हुआ है. यह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है. अब तो जो पहले ईवीएम की पैरवी करते थे. वो भी सवाल उठा रहे हैं. ऐसे कई लोग मिले हैं. जो पहले इस पक्ष में नहीं थे कि ईवीएम बंद हो. आज वो भी पूछते हैं कि ईवीएम में कुछ गड़बड़ हुई है क्या. उनके मुंह से भी ऐसी बात निकलने लगी है तो अब समय आ गया है कि जो बात मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी कह रहे हैं. उस पर गंभीरता से विचार किया जाए.

इसे भी पढ़ें - ब्यूरोक्रेसी को लेकर सोशल मीडिया पर भिड़े राठौड़-गहलोत, लगाए एक-दूसरे पर गंभीर आरोप

क्रांतिकारी व्यक्तित्व के धनी थे ज्योतिबा फुले : गहलोत ने कहा कि ज्योतिबा फुले उस समय क्रांतिकारी व्यक्तित्व के धनी रहे. जब महिलाओं को पढ़ाना पाप समझा जाते था. उन्होंने सावित्री बाई को पढ़ाया. सावित्रीबाई ने महिलाओं को शिक्षित किया. आज पूरा देश दोनों को याद करता है. सभी राजनीतिक दल आज उनका नाम लेने लगे हैं. उनके समाज सुधार के विचार उस समय तो क्रांतिकारी थे ही. आज भी प्रासंगिक हैं. उन्हें अंबेडकर साहब भी गुरु मानते थे. युवा उनके विचारों को पढ़ें और अपने जीवन में उतारें.

आज देश में लोकतंत्र पर लग रहे सवालिया निशान : हमारा 140 करोड़ लोगों का देश है. ऐसा दूसरा कोई देश नहीं है. जहां पर अलग-अलग धर्म, हजारों जातियों और बोलियों-भाषाओं के लोग रहते हो. इस महान कुनबे को एक रखना. उनमें प्रेम, भाईचारा और सद्भावना बनी रहे. यह भाव पूरे देशवासियों में कूट-कूटकर भरना जरूरी है. तब जाकर हमारा देश दुनिया में सिरमौर बना रहेगा. इतने बड़े मुल्क में लोकतंत्र रहा है. हालांकि, अब इस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. यह अलग बात है. आज हमारे महापुरुषों की भावनाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की जरूरत है.

जयपुर : राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को जयपुर में ज्योतिबा फुले स्मारक पर पहुंचकर समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले के निर्वाण दिवस पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया. इसके बाद वे पास ही स्थित एक चाय की थड़ी के पास बैठे और चाय पी. इस दौरान उन्होंने लोगों से मुलाकात कर उनके हालचाल जाने और लोगों की शिकायतें भी सुनी. मीडिया से बातचीत में उन्होंने ईवीएम पर उठ रहे सवालों और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा उठाए जा रहे सवालों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि सवाल चुनाव की जीत-हार का नहीं है, लेकिन जिस तरह महाराष्ट्र और हरियाणा में अप्रत्याशित नतीजे आए, उससे अब लोगों का ईवीएम से भरोसा उठने लगा है.

ऐसे में सरकार को चाहिए कि इसे प्रतिष्ठा का सवाल बनाए बिना बैलेट पेपर से चुनाव करवाने के लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि यही लोकतंत्र का तकाजा है कि विपक्ष अगर कोई बात बोले तो बिना प्रतिष्ठा का सवाल बनाए इस पर स्टडी करवाएं. सर्वे करवाया जाए कि देश की जनता का मूड क्या है. क्या जनहित में है. ताकि आने वाले समय में लोकतंत्र मजबूत रहे.

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ETV BHARAT JAIPUR)

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ईवीएम ठीक होती तो वीवीपैट पर खर्चा क्यों : उन्होंने कहा कि ईवीएम को लेकर दस साल पहले सुप्रीम कोर्ट तक केस गया था. सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम में वीवीपैट लगाने का आदेश दिया. यह आदेश क्यों दिया गया. अगर मशीन सब ठीक होती तो वीवीपैट लगाकर 15-20 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए. यह नौबत क्यों आई है. इसका मतलब सुप्रीम कोर्ट ने माना होगा कि मशीनों को टेम्पर किया जा सकता है. उन्होंने कहा, उस समय सुप्रीम कोर्ट भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी गए थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईवीएम के साथ वीवीपैट भी लग गई.

अमेरिका-इंग्लैंड की तरह क्यों नहीं अपनाएं बैलेट पेपर : आज आम लोगों में यह धरना बन गई है कि इन मशीनों से टेम्परिंग हो रही है. मतदान होने के बाद गणना के समय 99 फीसदी बैटरी चार्ज होना भी एक बड़ा सवालिया निशान है. जब अमेरिका-इंग्लैंड जैसे दुनिया के बड़े-बड़े मुल्क बैलेट पेपर से चुनाव करवाने लगे हैं. पहले वहां भी मशीन से चुनाव करवाए गए थे. हमारे देश में क्यों नहीं बैलेट पेपर से चुनाव हो. ताकि लोकतंत्र को मजबूत और लोगों का विश्वास कायम रखा जा सके.

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वोट देने नहीं जाते हैं कई लोग : गहलोत ने कहा कि आजकल कई लोग वोट देने जाते ही नहीं हैं. उनका विश्वास ईवीएम पर से उठता जा रहा है. लोग सोचते हैं कि जाकर क्या करेंगे. जब वोट किसी को देंगे और जाएगा किसी के खाते में. ऐसे में वोट देकर क्या करेंगे. अगर ऐसे लोग 2-5 प्रतिशत भी हैं. तो उचित नहीं है. इसकी जो हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी कह रहे हैं. उस पर विचार करना चाहिए. पहले की तरह बैलेट पेपर से चुनाव के लिए सरकार को आगे आना चाहिए. इसे सरकार को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाना चाहिए. पहले लालकृष्ण अडवाणी सहित सभी लोग मांग करते थे कि ईवीएम खत्म होनी चाहिए. पहले वो मांग करते थे. आज हम प्रत्यक्ष देख रहे हैं कि चुनाव में अप्रत्याशित परिणाम आ रहे हैं.

हरियाणा में भाजपा नेता मान रहे थे कांग्रेस जीतेगी : उन्होंने कहा कि हरियाणा में आम जनता के साथ ही भाजपा के लोग भी कहते थे कि कांग्रेस वहां चुनाव जीत रही है. भाजपा के नेता मानकर चल रहे थे कि नतीजों में कांग्रेस भारी बहुमत से जीतेगी. सभी एग्जिट पोल और पूरा मीडिया भी यही मानकर चल रहा था. सबका सर्वे यही था कि सरकार कांग्रेस बना रही है. लेकिन उल्टा हो गया. अब महाराष्ट्र में भी गजब हो गया. इन परिणामों ने पूरे देश को हिला दिया है. हार-जीत अलग बात है. जिस प्रकार एकतरफा परिणाम आए हैं. मैं खुद एक महीने वहां रहा. ऐसा माहौल नजर ही नहीं आ रहा था.

जो पैरवी करते थे, अब उठा रहे हैं सवाल : गहलोत ने कहा कि हो सकता है कुछ कारणों से उन्होंने चुनाव में ध्रुवीकरण किया. लाड़ली बहन योजना लेकर आ गए. मैनेजमेंट कर लिया. कुछ भी किया होगा. हो सकता वे जीत जाते. लेकिन जिस प्रकार से विपक्षी पार्टियों का सफाया हुआ है. यह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है. अब तो जो पहले ईवीएम की पैरवी करते थे. वो भी सवाल उठा रहे हैं. ऐसे कई लोग मिले हैं. जो पहले इस पक्ष में नहीं थे कि ईवीएम बंद हो. आज वो भी पूछते हैं कि ईवीएम में कुछ गड़बड़ हुई है क्या. उनके मुंह से भी ऐसी बात निकलने लगी है तो अब समय आ गया है कि जो बात मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी कह रहे हैं. उस पर गंभीरता से विचार किया जाए.

इसे भी पढ़ें - ब्यूरोक्रेसी को लेकर सोशल मीडिया पर भिड़े राठौड़-गहलोत, लगाए एक-दूसरे पर गंभीर आरोप

क्रांतिकारी व्यक्तित्व के धनी थे ज्योतिबा फुले : गहलोत ने कहा कि ज्योतिबा फुले उस समय क्रांतिकारी व्यक्तित्व के धनी रहे. जब महिलाओं को पढ़ाना पाप समझा जाते था. उन्होंने सावित्री बाई को पढ़ाया. सावित्रीबाई ने महिलाओं को शिक्षित किया. आज पूरा देश दोनों को याद करता है. सभी राजनीतिक दल आज उनका नाम लेने लगे हैं. उनके समाज सुधार के विचार उस समय तो क्रांतिकारी थे ही. आज भी प्रासंगिक हैं. उन्हें अंबेडकर साहब भी गुरु मानते थे. युवा उनके विचारों को पढ़ें और अपने जीवन में उतारें.

आज देश में लोकतंत्र पर लग रहे सवालिया निशान : हमारा 140 करोड़ लोगों का देश है. ऐसा दूसरा कोई देश नहीं है. जहां पर अलग-अलग धर्म, हजारों जातियों और बोलियों-भाषाओं के लोग रहते हो. इस महान कुनबे को एक रखना. उनमें प्रेम, भाईचारा और सद्भावना बनी रहे. यह भाव पूरे देशवासियों में कूट-कूटकर भरना जरूरी है. तब जाकर हमारा देश दुनिया में सिरमौर बना रहेगा. इतने बड़े मुल्क में लोकतंत्र रहा है. हालांकि, अब इस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. यह अलग बात है. आज हमारे महापुरुषों की भावनाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की जरूरत है.

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