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जयपुर: संस्कृत शिक्षा को डिजिटल करने की पहल से जुड़ रहे हैं भामाशाह - sanskrit education in jaipur

जयपुर में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भामाशाह आगे आ रहे हैं. भामाशाह की तरफ से संस्कृत स्कूलों के लिए 9 लाख के कंप्यूटर और प्रिंटर दिए गए हैं. जो 26 संस्कृत स्कूल और संभागीय कार्यालयों में लगाए जाएंगे. बीते दिनों संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा लांच की गई देववाणी संस्कृत एप्लीकेशन को अब तक 10 हजार से ज्यादा छात्र और शिक्षकों ने डाउनलोड कर लिया है.

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संस्कृत शिक्षा को डिजिटल करने की पहल से जुड़ रहे हैं भामाशाह
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Published : Sep 7, 2020, 8:07 PM IST

जयपुर. संस्कृत शिक्षा में सूचना एवं संचार तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए विभाग में बीते दिनों देववाणी मोबाइल एप्लीकेशन तैयार की. जो छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों के कौशल को बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है. संस्कृत शिक्षा को डिजिटल करने के इस प्रयास से अब भामाशाह भी जुड़ रहे हैं. सीतादेवी तोषनीवाल चैरिटेबल ट्रस्ट ने संस्कृत स्कूलों के लिए कंप्यूटर और प्रिंटर दिए हैं. इससे छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा में भी मदद मिलेगी.

देववाणी संस्कृत एप्लीकेशन हो रहा लोकप्रिय

पढ़ें: नई शिक्षा नीति में कृषि और कंप्यूटर को स्थान देना समुचित होगा: कलराज मिश्र

वर्तमान में कोरोना महामारी के कारण विद्यार्थियों के शिक्षण में हो रही क्षति की भरपाई के लिए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है. इस क्रम में बीते दिनों संस्कृत शिक्षा से जुड़े छात्रों के लिए देववाणी app को लांच किया गया. जिसके माध्यम से विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण ई-कंटेंट उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं, अब संस्कृत शिक्षा को डिजिटल करने के प्रयास में भामाशाह भी अपना योगदान दे रहे हैं. सोमवार को तोषनीवाल चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से संस्कृत स्कूलों के लिए 9 लाख के कंप्यूटर और प्रिंटर दिए गए. जो 26 संस्कृत स्कूल और संभागीय कार्यालय में लगाए जाएंगे.

इसको लेकर महाराजा संस्कृत महाविद्यालय में कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. जहां संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने शिरकत की. इस दौरान डॉ. गर्ग ने भामाशाहों की प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. अब इस प्रयास में भामाशाह भी आगे आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में संस्कृत शिक्षा को भी डिजिटल किया गया है. इसके लिए अब सभी संस्कृत स्कूल-कॉलेज तक डिजिटल उपकरण पहुंचाए जा रहे हैं. बता दें कि बीते दिनों संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा लांच की गई देववाणी संस्कृत एप्लीकेशन को अब तक 10 हजार से ज्यादा छात्र और शिक्षकों ने डाउनलोड कर लिया है.

जयपुर. संस्कृत शिक्षा में सूचना एवं संचार तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए विभाग में बीते दिनों देववाणी मोबाइल एप्लीकेशन तैयार की. जो छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों के कौशल को बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है. संस्कृत शिक्षा को डिजिटल करने के इस प्रयास से अब भामाशाह भी जुड़ रहे हैं. सीतादेवी तोषनीवाल चैरिटेबल ट्रस्ट ने संस्कृत स्कूलों के लिए कंप्यूटर और प्रिंटर दिए हैं. इससे छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा में भी मदद मिलेगी.

देववाणी संस्कृत एप्लीकेशन हो रहा लोकप्रिय

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वर्तमान में कोरोना महामारी के कारण विद्यार्थियों के शिक्षण में हो रही क्षति की भरपाई के लिए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है. इस क्रम में बीते दिनों संस्कृत शिक्षा से जुड़े छात्रों के लिए देववाणी app को लांच किया गया. जिसके माध्यम से विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण ई-कंटेंट उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं, अब संस्कृत शिक्षा को डिजिटल करने के प्रयास में भामाशाह भी अपना योगदान दे रहे हैं. सोमवार को तोषनीवाल चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से संस्कृत स्कूलों के लिए 9 लाख के कंप्यूटर और प्रिंटर दिए गए. जो 26 संस्कृत स्कूल और संभागीय कार्यालय में लगाए जाएंगे.

इसको लेकर महाराजा संस्कृत महाविद्यालय में कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. जहां संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने शिरकत की. इस दौरान डॉ. गर्ग ने भामाशाहों की प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. अब इस प्रयास में भामाशाह भी आगे आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में संस्कृत शिक्षा को भी डिजिटल किया गया है. इसके लिए अब सभी संस्कृत स्कूल-कॉलेज तक डिजिटल उपकरण पहुंचाए जा रहे हैं. बता दें कि बीते दिनों संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा लांच की गई देववाणी संस्कृत एप्लीकेशन को अब तक 10 हजार से ज्यादा छात्र और शिक्षकों ने डाउनलोड कर लिया है.

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