जयपुर. आज से ठीक 1 साल पहले 6 सितंबर, 2019 को अलवर जिले के बहरोड़ थाने के लॉकअप में बंद विक्रम उर्फ पपला गुर्जर को उसके गैंग के 20 से अधिक बदमाशों ने थाने में घुस एके-47 और अत्याधुनिक हथियारों से ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए भगाकर ले जाने की वारदात को अंजाम दिया था. यह घटनाक्रम काफी सुर्खियों में रहा और इस घटनाक्रम के बाद राजस्थान पुलिस की काफी किरकिरी भी हुई थी.
राजनीति के गलियारों में भी यह प्रकरण चर्चा का एक बड़ा विषय रहा और विपक्ष ने भी इस पूरे प्रकरण पर सरकार को जमकर घेरा. विक्रम उर्फ पपला गुर्जर को गिरफ्तार करने के लिए राजस्थान पुलिस ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया और एसओजी, एटीएस व तमाम एजेंसियों को इस प्रकरण की जांच में लगा दिया. लेकिन इसके बावजूद पुलिस के हाथ अब तक खाली हैं.
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बहरोड़ लॉकअप को घटित हुए रविवार को पूरा 1 साल बीत चुका है और 1 साल बाद भी राजस्थान पुलिस अब तक विक्रम उर्फ पपला गुर्जर का कोई भी ठोस सबूत नहीं जुटा सकी है. राजस्थान एसओजी द्वारा इस पूरे प्रकरण में कार्रवाई करते हुए 30 से अधिक बदमाशों को गिरफ्तार किया गया. ये वे बदमाश थे जो विक्रम उर्फ पपला गुर्जर गैंग के सदस्य थे या फिर जिन्होंने पपला को बहरोड़ के लॉकअप से भगाकर ले जाने में सहयोग किया था. इसके बावजूद भी पपला गुर्जर आज तक पुलिस के हाथ नहीं आ सका है.
राजस्थान पुलिस की ओर से पपला गुर्जर पर 1 लाख रुपए तो हरियाणा पुलिस की ओर से 4 लाख रुपए का इनाम घोषित किया जा चुका है. वहीं, इस प्रकरण को घटित हुए जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे राजस्थान पुलिस ने भी पपला गुर्जर को भुला दिया.
हालांकि, इस पूरे प्रकरण के चलते 69 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया और जिले के एसपी को भी हटा दिया गया. पुलिस मुख्यालय और सरकार की तरफ से विभागीय कार्रवाई तो कर दी गई, लेकिन गैंगस्टर पपला गुर्जर के खिलाफ आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा सके.