जयपुर. पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने गुरुवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का (JLF 2022 In New Look) उद्घाटन किया. उद्घाटन सत्र के बाद मीडिया से बातचीत में मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने कहा कि कोविड के कारण बंद अंतरराष्ट्रीय उड़ानें अब शुरू हो चुकी हैं. इसका जयपुर साहित्य उत्सव को फायदा होगा.
इस महोत्सव से राजस्थान के पर्यटन को नई रफ्तार भी मिलेगी. इसके साथ ही उन्होंने पर्यटन सेक्टर को उद्योग का दर्जा (Vishvendra Singh on Rajasthan Tourism) देने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया और कहा कि यह राजस्थान के पर्यटन के लिए सबसे बड़ी सौगात है. यह मांग दो दशक से भी लंबे समय से पेंडिंग थी. अब सीएम गहलोत ने इस सेक्टर की बड़ी मांग को पूरा किया है.
पंजाब चुनाव के नतीजों पर कहा- जनता का आदेश सिर माथे : पंजाब चुनाव में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के सवाल पर पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने कहा कि पंजाब हो या कोई दूसरा प्रदेश, जनता का आदेश सिर माथे है.
टीम वर्क आर्ट्स के एमडी संजॉय राय ने बताया कि आज साहित्य उत्सव की ऑन ग्राउंड शुरुआत हुई है. यह कार्यक्रम 14 मार्च तक चलेगा. उनका कहना है कि इन पांच दिनों में 250 से ज्यादा अवार्ड विनर साहित्यकार शिरकत करेंगे. इस बार साहित्य उत्सव में कम लोग आने के सवाल पर उनका कहना है कि एग्जाम के कारण युवाओं की संख्या कम है. इसके साथ ही कोविड प्रोटोकॉल की पालना के चलते भी लोग पहले के मुकाबले कम आए हैं.
य़ुद्ध और शांति के प्रयासों को लेकर चर्चा: साहित्य के महाकुंभ जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आज गुरुवार को एक सत्र में युद्ध और शांति के प्रयासों को लेकर चर्चा हुई. इसमें वक्ताओं ने पहले विश्व युद्ध से लेकर अब तक हुए युद्धों की विभीषिका को सामने रखा और कहा कि दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की मार से बचाने के लिए सबको आगे आकर प्रयास करना होगा. दरअसल, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आज एक सत्र ' द पैराडोक्सेज ऑफ वॉर, द माइंडसेट ऑफ पीस में डिप्लोमेट हंस जैकब, बांग्लादेश की सामाजिक कार्यकर्ता शाहीन अनाम, लेखक चंद्रकांत सिंह, जर्मन डिप्लोमेट वाल्टर लिंडनेर और कलाकार हाना एलिस पीटरसन ने युद्ध की विभीषिका और शांति के प्रयास पर चर्चा की.
उन्होंने कहा कि पहले और दूसरे विश्वयुद्ध की विभीषिका को पूरी दुनिया ने झेला है. इन दोनों युद्धों में न केवल लाखों लोग मारे गए और यातनाओं का शिकार हुए, बल्कि पूरी मानवता को इसका नुकसान उठाना पड़ा है. उन्होंने वर्तमान में रूस-युक्रेन युद्ध के हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि इसे रोका जाना बहुत आवश्यक है. साहित्यकारों और कलाकारों को कला के साथ हालात पर भी चर्चा करनी जरूरी है. क्योंकि यह लाखों लोगों की जिंदगी का सवाल है. आशावादी होने के नाते हम उम्मीद कर सकते हैं कि जल्द हालात सामान्य होंगे. जो परिस्थितियां हैं, उन्हें तीसरे विश्व युद्ध में बदलने से रोकना होगा.
अफ्रीकन और मिडिल ईस्ट कंट्रीज में लोगों ने युद्ध के नाम पर जो विभीषिका झेली वो सबके सामने हैं. आज करीब-करीब पूरी दुनिया असंतोष के मुहाने पर खड़ी है. पश्चिमी देशों ने युद्ध को रोकने की नैतिकता खो दी है. युद्ध अंतिम उपाय नहीं है. इसका खामियाजा महिलाओं और बच्चों को भुगतना पड़ता है. इस सत्र में पाकिस्तान-भारत के रिश्तों की भी चर्चा की गई. इसके साथ ही बांग्लादेश की आजादी की भी चर्चा हुई. वक्ताओं ने कहा कि भारत की मदद से पाकिस्तान की क्रूरता से बांग्लादेशियों को आजादी मिली. अफगानिस्तान और सीरिया में अमेरिका ने लंबा संघर्ष किया. भारत ने सात दिन में बांग्लादेश को आजाद करवाया. वक्ताओं ने यह भी कहा कि युद्ध शांति संस्थाओं की विफलता दर्शाता है. शांति की मनोस्थिति का सबसे जरूरी अंग है अंतरराष्ट्रीय कानूनों की पालना.