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बाड़मेर CBEO के खिलाफ शिक्षकों का विरोध कर गया असर, वापस लिया छुट्टी रद्द करने का आदेश - CBEO के खिलाफ शिक्षकों का विरोध

राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत और अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के मुखर विरोध के बाद बाड़मेर स्थित सेड़वा पंचायत समिति के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को बैकफुट पर आना पड़ा (Barmer CBEO withdraws no diwali holidays order ). टीचर्स के दिवाली अवकाश पर ग्रहण लगाने संबंधी आदेश को वापस लेना पड़ा.

Barmer CBEO withdraws no diwali holidays order
CBEO के खिलाफ शिक्षकों का विरोध कर गया असर
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Published : Oct 19, 2022, 10:46 AM IST

Updated : Oct 19, 2022, 3:51 PM IST

जयपुर. बाड़मेर जिले के सेड़वा पंचायत समिति के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के एक तुगलकी फरमान से शिक्षक खफा थे. त्योहार को सेलिब्रेट न करने का दर्द उन्होंने एसोसिएशन से बयां किया (Rajasthan Teachers Association). चौतरफा निंदा के बाद CBEO को बैकफुट पर आना पड़ा और आदेश को प्रत्याहारित यानी वापिस ले लिया. दरअसल, पूर्व आदेश में आधार और जनाधार को शत प्रतिशत प्रमाणीकरण करने का काम पूरा नहीं हो जाने तक संस्था प्रधान सहित सभी शिक्षक, अधिकारी, कार्मिकों के मध्यावधि अवकाश में मुख्यालय छोड़ने पर रोक लगाई गई थी.

क्यों लगा था छुट्टियों पर ग्रहण: माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने शाला दर्पण के रिकॉर्ड अनुसार बालकों के नाम, लिंग, जन्म दिनांक को आधार और जनाधार कार्ड में सही करवाने और उनके प्रमाणीकरण का काम शिक्षकों से कराया जा रहा है (Barmer CBEO withdraws no diwali holidays order ). इसी काम को पूरा नहीं होने तक मुख्यालय नहीं छोड़ने के आदेश जारी किए गए. बाड़मेर स्थित सेड़वा पंचायत समिति के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों पर आधार, जनाधार प्रमाणीकरण का काम पूरा नहीं होने तक मुख्यालय नहीं छोड़ने की पाबंदी लगाई था. जिसका शिक्षक और कर्मचारी संगठन खुलकर विरोध कर रहे थे.

बताया था तुगलकी फरमान: राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत और अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने इस आदेश को तुगलकी फरमान बताया. कहा कि ये आदेश स्वीकार नहीं किया जा सकता. शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश अध्यक्ष महावीर सिहाग ने आधार और जन आधार प्रमाणीकरण काम को गैर शैक्षणिक काम बताया था. उन्होंने कहा था कि इसे करने के लिए शिक्षक बाध्य नहीं हो सकता. उन्होंने इसे मनमाना रवैया करार दिया था. कहा था- शिक्षक प्रशासन की व्यवस्था का सहयोग जरूर कर रहा है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि प्रशासन मनमर्जी के आदेश जारी कर दे.

पढ़ें-राजस्थान: शिक्षा विभाग में तबादला बना विधायकों को साधने का जरिया, 3 महीने में 10 हजार ट्रांसफर

सिहाग ने अपील की कि सरकार इस आदेश को तुरंत रद्द करे. उन्होंने कहा कि इन दिनों प्रदेश में गैर शैक्षणिक और ऑनलाइन काम की बाढ़ आई हुई है. जिसे लेकर शिक्षकों में भारी आक्रोश है और ऐसा न हो कि ये आदेश बारूद में चिंगारी का काम कर जाए. शिक्षक संघ ने चेतावनी दी कि यदि किसी भी शिक्षक को दीपावली अवकाश के दौरान रोका गया या मुख्यालय छोड़ने के बाद उस पर कार्रवाई की गई तो राजस्थान के शिक्षक तमाम गैर शैक्षणिक कार्य खासकर ऑनलाइन कार्य का बहिष्कार करेंगे.

आपको बता दें कि शिविरा पंचांग के अनुसार सरकारी स्कूलों में 19 से 31 अक्टूबर तक मध्यावधि अवकाश ( दीपावली की छुट्टियां) रहेंगे. 13 दिन बाद 1 नवंबर से स्कूल नए समय सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक संचालित होंगे. ये समय हाल ही में 17 अक्टूबर को बदला गया.हालांकि उसके बाद 2 दिन ही स्कूल चले हैं.

जयपुर. बाड़मेर जिले के सेड़वा पंचायत समिति के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के एक तुगलकी फरमान से शिक्षक खफा थे. त्योहार को सेलिब्रेट न करने का दर्द उन्होंने एसोसिएशन से बयां किया (Rajasthan Teachers Association). चौतरफा निंदा के बाद CBEO को बैकफुट पर आना पड़ा और आदेश को प्रत्याहारित यानी वापिस ले लिया. दरअसल, पूर्व आदेश में आधार और जनाधार को शत प्रतिशत प्रमाणीकरण करने का काम पूरा नहीं हो जाने तक संस्था प्रधान सहित सभी शिक्षक, अधिकारी, कार्मिकों के मध्यावधि अवकाश में मुख्यालय छोड़ने पर रोक लगाई गई थी.

क्यों लगा था छुट्टियों पर ग्रहण: माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने शाला दर्पण के रिकॉर्ड अनुसार बालकों के नाम, लिंग, जन्म दिनांक को आधार और जनाधार कार्ड में सही करवाने और उनके प्रमाणीकरण का काम शिक्षकों से कराया जा रहा है (Barmer CBEO withdraws no diwali holidays order ). इसी काम को पूरा नहीं होने तक मुख्यालय नहीं छोड़ने के आदेश जारी किए गए. बाड़मेर स्थित सेड़वा पंचायत समिति के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों पर आधार, जनाधार प्रमाणीकरण का काम पूरा नहीं होने तक मुख्यालय नहीं छोड़ने की पाबंदी लगाई था. जिसका शिक्षक और कर्मचारी संगठन खुलकर विरोध कर रहे थे.

बताया था तुगलकी फरमान: राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत और अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने इस आदेश को तुगलकी फरमान बताया. कहा कि ये आदेश स्वीकार नहीं किया जा सकता. शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश अध्यक्ष महावीर सिहाग ने आधार और जन आधार प्रमाणीकरण काम को गैर शैक्षणिक काम बताया था. उन्होंने कहा था कि इसे करने के लिए शिक्षक बाध्य नहीं हो सकता. उन्होंने इसे मनमाना रवैया करार दिया था. कहा था- शिक्षक प्रशासन की व्यवस्था का सहयोग जरूर कर रहा है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि प्रशासन मनमर्जी के आदेश जारी कर दे.

पढ़ें-राजस्थान: शिक्षा विभाग में तबादला बना विधायकों को साधने का जरिया, 3 महीने में 10 हजार ट्रांसफर

सिहाग ने अपील की कि सरकार इस आदेश को तुरंत रद्द करे. उन्होंने कहा कि इन दिनों प्रदेश में गैर शैक्षणिक और ऑनलाइन काम की बाढ़ आई हुई है. जिसे लेकर शिक्षकों में भारी आक्रोश है और ऐसा न हो कि ये आदेश बारूद में चिंगारी का काम कर जाए. शिक्षक संघ ने चेतावनी दी कि यदि किसी भी शिक्षक को दीपावली अवकाश के दौरान रोका गया या मुख्यालय छोड़ने के बाद उस पर कार्रवाई की गई तो राजस्थान के शिक्षक तमाम गैर शैक्षणिक कार्य खासकर ऑनलाइन कार्य का बहिष्कार करेंगे.

आपको बता दें कि शिविरा पंचांग के अनुसार सरकारी स्कूलों में 19 से 31 अक्टूबर तक मध्यावधि अवकाश ( दीपावली की छुट्टियां) रहेंगे. 13 दिन बाद 1 नवंबर से स्कूल नए समय सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक संचालित होंगे. ये समय हाल ही में 17 अक्टूबर को बदला गया.हालांकि उसके बाद 2 दिन ही स्कूल चले हैं.

Last Updated : Oct 19, 2022, 3:51 PM IST
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