जयपुर. जिले में कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने शुक्रवार को जिला कलेक्ट्रेट में जयपुर शहर को सिगरेट तंबाकू मुक्त बनाने के लिए सिगरेट, तंबाकू उत्पाद अधिनियम के संबंध में बैठक ली. बैठक में निर्देश दिए कि विद्यालयों के 100 मीटर की परिधि में तंबाकू उत्पादों के विक्रय केंद्रों की पहचान करें और संबंधित थाने में सूचित करने के निर्देश दिए.
वहीं, स्कूलों से ऐसी सूची प्राप्त होने पर पुलिस की ओर से कार्रवाई की जाएगी. परचून की दुकान हो या स्थाई या अस्थाई खोमचा, सभी पर कार्रवाई की जाए. यदि डेयरी बूथों पर तम्बाकू या सिगरेट बेची जाती है तो जिला प्रशासन के जरिये डेयरी विभाग को उनके लाइसेंस निलंबित या उन्हें पाबंद करने के लिए लिखवाए. इसकी प्राथमिक जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की है.
एप का करे निर्माण, जहां हो सके शिकायत
यादव ने कहा कि एक एप का निर्माण किया जाए. जिस पर आम आदमी सार्वजनिक या प्रतिबंधित स्थलों, स्कूलों के पास या नाबालिग को तंबाकू उत्पाद बेचे जाने की सूचना दे सकें. उन्होंने अनाधिकृत दुकानों और नियम विरुद्ध तंबाकू, गुटखा, पान मसाला, जर्दा, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन डिस्प्ले बंद कराने के लिए व्यापार मंडलों व स्थानीय निकायों को और सरकारी और निजी अस्पतालों डायग्नोस्टिक सेंटर्स में तंबाकू उत्पादों के उपयोग संबंधी सूचना लगवाने के लिए एडवाइजरी जारी करने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश दिए.
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2006 तक मैं भी पीता था सिगरेट, प्रेरणा से छोड़ दी
जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने बताया कि साल 2006 तक वे खुद सिगरेट पिया करते थे. लेकिन साल 2006 में प्रेरणा से उन्हें सिगरेट से नफरत हो गई. उन्होंने कहा कि सिगरेट, तंबाकू उत्पाद त्यागने के लिए मनो वैज्ञानिक तरीका सबसे अधिक कारगर होता है. उन्हें तंबाकू के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए धार्मिक और सामाजिक संगठनों के आह्वान करते हुए कहा कि तंबाकू छुड़ाने के लिए मनोवैज्ञानिक तरीके अपनाए जाने चाहिए. उन्होंने सभी राजकीय एवं निजी चिकित्सा संस्थानों में डी एडिक्शन सेंट खोले जाने के लिए भी एक एडवाइजरी जारी करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए.
पान मसालों के खतरनाक कैमिकल की होगी जांच
अस्थमा के सोसाइटी के धर्मवीर तवर ने कहा कि पान-मसाले की जांच फूड सेफ्टी एक्ट में की जाती है. गुणवत्ता खराब होने पर उस बेच पर कार्रवाई का प्रावधान है. लेकिन, जांच में देरी से इस खराब माल की बिक्री पर रोक नहीं लग पाती और माल बाजार में बिक जाता है. इसलिए पान मसाला की जांच जल्द से जल्द हो और खराब पाए जाने पर एक साल के लिए उस पर रोक लगा दी जाए. उन्होंने बताया कि पान मसाले में घातक मैग्निशियम कार्बोनेट, मिनरल आयल और निकोटीन का उपयोग किया जाता है, जो जीनोम टॉक्सिन है और उसका पीढ़ियों तक असर रहता है. यादव ने इसकी जानकारी को गंभीरता से लेते हुए अधिकारी को अधिक से अधिक सैंपल लेकर पान मसालों की जांच करने के निर्देश दिए.