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मेहंदीपुर बालाजी ट्रस्ट को लेकर देवस्थान विभाग के नोटिस पर रोक, राजस्थान हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने देवस्थान विभाग की ओर से मेहंदीपुर बालाजी ट्रस्ट के संबंध में जारी नोटिस की क्रियान्विति पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने देवस्थान विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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राजस्थान हाई कोर्ट
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Published : Aug 18, 2021, 9:23 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने देवस्थान विभाग की ओर से मेहंदीपुर बालाजी ट्रस्ट के संबंध में जारी नोटिस की क्रियान्विति पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने देवस्थान विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश श्रीबालाजी महाराज घाटा मेहंदीपुर ट्रस्ट की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि देवस्थान विभाग ने गत 10 अगस्त को मंदिर ट्रस्ट के स्थान पर कमेटी बनाने के संबंध में पब्लिक नोटिस जारी किया. याचिका में कहा गया कि नोटिस में मंदिर को सामान्य ट्रस्ट बताया गया है, जबकि याचिकाकर्ता ट्रस्ट वंशानुगत ट्रस्ट है.

यह भी पढ़ेंः 'वर्क इन प्रोग्रेस' में गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार, सियासी जोड़तोड़ के बीच राजनीतिक हलकों में गर्माहट!

ऐसे में राजस्थान लोक न्याय अधिनियम, 1959 के तहत कार्रवाई शुरू करने से पहले याचिकाकर्ता को नोटिस देना चाहिए था. इसके अलावा देवस्थान विभाग ने अपने पब्लिक नोटिस में मंदिर प्रबंधन में अनियमिताओं का हवाला दिया है, जबकि विभाग को आज तक मंदिर ट्रस्ट को लेकर कोई अनियमितता नहीं मिली. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने देवस्थान विभाग की ओर से जारी नोटिस की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने देवस्थान विभाग की ओर से मेहंदीपुर बालाजी ट्रस्ट के संबंध में जारी नोटिस की क्रियान्विति पर अंतरिम रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने देवस्थान विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश श्रीबालाजी महाराज घाटा मेहंदीपुर ट्रस्ट की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि देवस्थान विभाग ने गत 10 अगस्त को मंदिर ट्रस्ट के स्थान पर कमेटी बनाने के संबंध में पब्लिक नोटिस जारी किया. याचिका में कहा गया कि नोटिस में मंदिर को सामान्य ट्रस्ट बताया गया है, जबकि याचिकाकर्ता ट्रस्ट वंशानुगत ट्रस्ट है.

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ऐसे में राजस्थान लोक न्याय अधिनियम, 1959 के तहत कार्रवाई शुरू करने से पहले याचिकाकर्ता को नोटिस देना चाहिए था. इसके अलावा देवस्थान विभाग ने अपने पब्लिक नोटिस में मंदिर प्रबंधन में अनियमिताओं का हवाला दिया है, जबकि विभाग को आज तक मंदिर ट्रस्ट को लेकर कोई अनियमितता नहीं मिली. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने देवस्थान विभाग की ओर से जारी नोटिस की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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