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बैडमिंटन प्लेयर अभिनव शर्मा का सम्मान क्यों नहीं? दुनिया में देश का डंका बजाने वाले खिलाड़ी को राज्य सरकार ने बिसराया - Abhinav Sharma got no benefit from state

पिछले माह ब्राजील में आयोजित डेफ ओलंपिक में दो गोल्ड और एक ब्रांज जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले राजस्थान के बैडमिंटन खिलाड़ी अभिनव शर्मा को राज्य सरकार की तरफ से कोई प्राइज मनी और लाभ नहीं दिया गया (Abhinav Sharma got no benefit from state) है. आलम ये है कि अभिनव को प्रोत्साहन राशि तो दूर, खेल विभाग ने बधाई तक नहीं दी. इस संबंध में खेल मंत्री का कहना है कि ये पॉलिसी मैटर है.

Badminton player Abhinav Sharma not rewarded by Rajasthan govt
बैडमिंटन प्लेयर अभिनव शर्मा का सम्मान क्यों नहीं? दुनिया में देश का डंका बजाने वाले खिलाड़ी को राज्य सरकार ने बिसराया
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Published : Jun 6, 2022, 5:57 PM IST

Updated : Jun 6, 2022, 11:53 PM IST

जयपुर. डेफ ओलंपिक खेलों में जीत का डंका बजाकर देश का नाम रोशन करने वाले को राज्य सरकार ने बिसरा दिया. हम बात कर रहे हैं अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी अभिनव शर्मा की. जिनके पदकों की झड़ी लगाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक ने पीठ थपथपा कर हौंसला अफजाई की. लेकिन राज्य में जब दूसरे ओलंपिक, पैराओलंपिक और अन्य खिलाड़ियों का सम्मान किया जा रहा था, उस वक्त इस खिलाड़ी की सफलता की चमक शायद सरकार को नजर नहीं (Abhinav Sharma not rewarded by Rajasthan govt) आई. अभिनव बोलने में अक्षम है, शायद इसलिए अपनी बात नहीं रख पाए, लेकिन क्या सरकार के आंखों पर पर्दा पड़ा हुआ है.

पदकों के लिहाज से राजस्थान में अब तक सबसे बड़ी सफलता बैडमिंटन खिलाड़ी अभिनव शर्मा ने दर्ज की है. जिन्होंने 1 से 15 मई के बीच ब्राजील में खेले गए डेफ ओलंपिक के बैडमिंटन मुकाबलों में देश के लिए दो गोल्ड और एक ब्रांज मेडल जीत कर इतिहास तो रच (Abhinav Sharma won three medals at Brazil Deaflympic) दिया. लेकिन राज्य सरकार की अनदेखी ने उनकी ये सफलता गुमनामी के अंधेरे में खोती दिख रही है. एक तरफ राजस्थान के इतर दूसरे राज्यों में डेफ ओलंपिक जीतकर लौटे खिलाड़ियों का वहां की सरकार ने ना सिर्फ धूम-धाम से स्वागत कर सम्मानित किया बल्कि प्रोत्साहन राशि की भी घोषणा की. तो वहीं, अभिनव को प्रोत्साहन राशि तो दूर की बात राजस्थान के क्रीड़ा परिषद और खेल विभाग ने बधाई तक नहीं दी.

बैडमिंटन प्लेयर अभिनव शर्मा का सम्मान क्यों नहीं?

पढ़ें: स्पेशल: जब पूरा देश सो रहा था, तब गोरखपुर की इस बिटिया के दम पर ब्राजील में लहरा रहा था तिरंगा

  • हरियाणा में रोहित भाकर, महेश, दीक्षा डागर और सुमित दहिया को बैडमिंटन, गोल्फ और कुश्ती में स्वर्ण पदक जीतने पर 1.20-1.20 करोड़ रुपए के चेक दिए गए.
  • बिहार सरकार ने रितिक आनंद को 15 लाख रुपए दिए.
  • मध्यप्रदेश सरकार ने गौरांशी शर्मा को 25 लाख रुपए दिए.
  • अभिनव काट रहे अपने हक के लिए चक्कर

पढ़ें: खिलाड़ियों के लिए आउट ऑफ टर्न नौकरी की व्यवस्था सीएम गहलोत की दूरदर्शिता, अब ग्रामीण ओलंपिक में रचेंगे इतिहास- अशोक चांदना

केन्द्र सरकार के नोटिफिकेशन के आधार पर देश में ओलंपियन और पैरालंपियन और डेफ खिलाड़ियों को बराबरी का दर्जा दिया जाता है. ऐसा ही आईओसी यानी इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी के भी नॉर्म्स हैं. लेकिन राज्य में ऐसा नजर नहीं आ रहा है. राज्य सरकार ने बीते साल टोक्यो पैरालंपिक में पदक जीतने वाले चार खिलाड़ियों को 10 करोड़ रुपए के पुरस्कार दिए थे. राज्य में ओलंपिक और पैरालंपिक में जीत पर गोल्ड मैडल पर तीन करोड़ रुपए, रजत पदक पर दो करोड़ और कांस्य पदक पर एक करोड़ रुपए की प्राइज मनी, आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत नौकरी दिए जाने का प्रावधान है. जबकि डेफ ओलंपिक को लेकर स्पष्ट नहीं किया गया है.

पढ़ें: मां-बाप की सालों की मेहनत ने गौरांशी को बनाया स्पोर्ट्सपर्सन... फिर ओलंपिक में जीता गोल्ड

मौजूदा सफलता के साथ ही नेशनल-इंटरनेशल प्रतिस्पर्धाओं में दर्जनों मैडल जीत चुके अभिनव को अभी तक आउट ऑफ टर्न नौकरी का लाभ नहीं मिला है. हालांकि इस संबंध में खेल मंत्री अशोक चांदना ने बताया कि ये पॉलिसी मैटर है, जिसमें कहीं ना कहीं चूक रही है. संशोधन के लिए कमेटी की बैठक में इस मुद्दे को शामिल किया जाएगा. संभव होने पर प्रावधान किए जा सकेंगे. बहरहाल, अभिनव का सम्मान और प्रोत्साहन दोनों सरकार की पॉलिसी में उलझा हुआ है. हालांकि खेल मंत्री के आश्वासन पर उम्मीद जरूर बरकरार है.

जयपुर. डेफ ओलंपिक खेलों में जीत का डंका बजाकर देश का नाम रोशन करने वाले को राज्य सरकार ने बिसरा दिया. हम बात कर रहे हैं अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी अभिनव शर्मा की. जिनके पदकों की झड़ी लगाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक ने पीठ थपथपा कर हौंसला अफजाई की. लेकिन राज्य में जब दूसरे ओलंपिक, पैराओलंपिक और अन्य खिलाड़ियों का सम्मान किया जा रहा था, उस वक्त इस खिलाड़ी की सफलता की चमक शायद सरकार को नजर नहीं (Abhinav Sharma not rewarded by Rajasthan govt) आई. अभिनव बोलने में अक्षम है, शायद इसलिए अपनी बात नहीं रख पाए, लेकिन क्या सरकार के आंखों पर पर्दा पड़ा हुआ है.

पदकों के लिहाज से राजस्थान में अब तक सबसे बड़ी सफलता बैडमिंटन खिलाड़ी अभिनव शर्मा ने दर्ज की है. जिन्होंने 1 से 15 मई के बीच ब्राजील में खेले गए डेफ ओलंपिक के बैडमिंटन मुकाबलों में देश के लिए दो गोल्ड और एक ब्रांज मेडल जीत कर इतिहास तो रच (Abhinav Sharma won three medals at Brazil Deaflympic) दिया. लेकिन राज्य सरकार की अनदेखी ने उनकी ये सफलता गुमनामी के अंधेरे में खोती दिख रही है. एक तरफ राजस्थान के इतर दूसरे राज्यों में डेफ ओलंपिक जीतकर लौटे खिलाड़ियों का वहां की सरकार ने ना सिर्फ धूम-धाम से स्वागत कर सम्मानित किया बल्कि प्रोत्साहन राशि की भी घोषणा की. तो वहीं, अभिनव को प्रोत्साहन राशि तो दूर की बात राजस्थान के क्रीड़ा परिषद और खेल विभाग ने बधाई तक नहीं दी.

बैडमिंटन प्लेयर अभिनव शर्मा का सम्मान क्यों नहीं?

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  • हरियाणा में रोहित भाकर, महेश, दीक्षा डागर और सुमित दहिया को बैडमिंटन, गोल्फ और कुश्ती में स्वर्ण पदक जीतने पर 1.20-1.20 करोड़ रुपए के चेक दिए गए.
  • बिहार सरकार ने रितिक आनंद को 15 लाख रुपए दिए.
  • मध्यप्रदेश सरकार ने गौरांशी शर्मा को 25 लाख रुपए दिए.
  • अभिनव काट रहे अपने हक के लिए चक्कर

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केन्द्र सरकार के नोटिफिकेशन के आधार पर देश में ओलंपियन और पैरालंपियन और डेफ खिलाड़ियों को बराबरी का दर्जा दिया जाता है. ऐसा ही आईओसी यानी इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी के भी नॉर्म्स हैं. लेकिन राज्य में ऐसा नजर नहीं आ रहा है. राज्य सरकार ने बीते साल टोक्यो पैरालंपिक में पदक जीतने वाले चार खिलाड़ियों को 10 करोड़ रुपए के पुरस्कार दिए थे. राज्य में ओलंपिक और पैरालंपिक में जीत पर गोल्ड मैडल पर तीन करोड़ रुपए, रजत पदक पर दो करोड़ और कांस्य पदक पर एक करोड़ रुपए की प्राइज मनी, आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत नौकरी दिए जाने का प्रावधान है. जबकि डेफ ओलंपिक को लेकर स्पष्ट नहीं किया गया है.

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मौजूदा सफलता के साथ ही नेशनल-इंटरनेशल प्रतिस्पर्धाओं में दर्जनों मैडल जीत चुके अभिनव को अभी तक आउट ऑफ टर्न नौकरी का लाभ नहीं मिला है. हालांकि इस संबंध में खेल मंत्री अशोक चांदना ने बताया कि ये पॉलिसी मैटर है, जिसमें कहीं ना कहीं चूक रही है. संशोधन के लिए कमेटी की बैठक में इस मुद्दे को शामिल किया जाएगा. संभव होने पर प्रावधान किए जा सकेंगे. बहरहाल, अभिनव का सम्मान और प्रोत्साहन दोनों सरकार की पॉलिसी में उलझा हुआ है. हालांकि खेल मंत्री के आश्वासन पर उम्मीद जरूर बरकरार है.

Last Updated : Jun 6, 2022, 11:53 PM IST
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