जयपुर. राजस्थान में बिगड़ती कानून व्यवस्था एक बड़ा सियासी मुद्दा बन गया है. विपक्ष के नेता लगातार इस मामले में गहलोत सरकार को घेरते आए हैं, हाल ही में एक बार फिर भरतपुर सांसद रंजीता कोली के घर पर फायरिंग और धमकी भरा पत्र मिलने की घटना ने जनप्रतिनिधियों पर पूर्व में हुए हमलों के जख्मों को हरा कर दिया है.
बीते कुछ सालो में राजस्थान में जनप्रतिनिधियों पर हमले की की घटनाएं हुई हैं. जिसमें केंद्रीय मंत्री और सांसद से लेकर पूर्व विधायक तक शिकार हुए हैं. ऐसे में भाजपा लगातार सरकार पर हमलावार है. भाजपा के नेता कहते रहे हैं कि चूंकि राजस्थान में गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास है इसलिए उन्हें राज्य की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इन घटनाओं पर जवाब देना चाहिए.
केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी, सांसद हनुमान बेनीवाल पर हमला
मोदी सरकार में कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और आरएलपी संयोजक व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल हमले का शिकार हो चुके हैं. मामला नवंबर 2019 का है जब बायतु में एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे मंत्री कैलाश चौधरी और हनुमान बेनीवाल की गाड़ी पर लोगों ने हमला कर दिया था. यह हमला पुलिस की मौजूदगी में ही हुआ था. बेनीवाल और चौधरी ने हमले के पीछे प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी और उनके समर्थकों पर आरोप लगाया था
इस मामले में सांसद की ओर से दी गई शिकायत भी अब तक दर्ज नहीं हुई. वहीं बेनीवाल इस मामले को विशेषाधिकार हनन के तहत लोकसभा तक ले गए, जिस पर सुनवाई जारी है. हालांकि इसके पहले भी हनुमान बेनीवाल पर जयपुर के झोटवाड़ा में कुछ युवकों ने हमला कर दिया था, लेकिन तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी.
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रंजीता कोली, भरतपुर सांसद
भरतपुर सांसद रंजीता कोली पर अब तक तीन बार हमला हो चुका है और जान से मारने की धमकी मिल चुकी है. इस साल 28 मई को सांसद रंजीता कोली जब देर रात जिले के वैर इलाके में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण करने जा रही थी, तब धोरीसाना गांव के पास कुछ लोगों ने वाहन रोकने का प्रयास किया और ईट व लोहे के सरियों से हमला भी किया, जिसमें सांसद को चोट भी आई थी.
इसके 2 महीने बाद ही अगस्त में सांसद रंजीता कोहली को फोन पर भुसावर निवासी महेंद्र नामक एक शख्स ने गोली मारने की धमकी दी और यह भी कहा कि पहले भी मैंने हमला किया था और अब तुम्हें गोली मार दूंगा. तीसरी बार हमले की कोशिश मंगलवार 9 नवंबर को हुई जब कोली के घर के बाहर बदमाशों ने उनके पोस्टर पर क्रॉस बनाकर दो कारतूस के साथ चस्पा कर दिया और घर के बाहर ही एक खाली कारतूस भी मिला, साथ ही धमकी भरा पत्र भी. मतलब इस साल अब तक तीन बार भरतपुर सांसद के साथ इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं.
अमृता मेघवाल, पूर्व विधायक
जालौर से भाजपा की पूर्व विधायक अमृता मेघवाल के साथ जयपुर में ही 6 नवंबर की देर शाम हमले की वारदात हुई. मेघवाल नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क भ्रमण करके आ रही थी, इस दौरान ट्रांसपोर्ट नगर इलाके में कुछ युवकों ने उनकी गाड़ी पर पथराव कर पूर्व विधायक पर हमले की कोशिश की. इस दौरान अमृता मेघवाल को चोट भी आई. मामला ट्रांसपोर्ट नगर पुलिस थाने में दर्ज किया गया. लेकिन अब तक आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.
प्रेम सिंह बाजोर, पूर्व मंत्री
गहलोत सरकार के कार्यकाल में हमले का शिकार पूर्व विधायक और सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष रहे भाजपा नेता प्रेम सिंह बाजोर भी झेल चुके हैं. इस साल 25 जुलाई अलवर जिले में लगती हरियाणा बॉर्डर पर प्रेम सिंह बाजोर की फॉर्च्यूनर गाड़ी पर हमला हुआ. जिसमें गाड़ी के कांच भी फोड़ दिए गए और बाजोर के साथ भी मारपीट हुई और उनके कपड़े तक फाड़ दिए गए. प्रेम सिंह बाजोर जयपुर से दिल्ली जा रहे थे तब यह घटना हरियाणा बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे कथित किसानों ने की.
कैलाश मेघवाल, प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा एससी मोर्चा
गहलोत सरकार के कार्यकाल में भाजपा के पूर्व प्रदेश महामंत्री और वर्तमान अनुसूचित जाति मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष कैलाश मेघवाल भी हमले के शिकार हो चुके हैं. मेघवाल पर पहला हमला इस साल 30 जुलाई को श्रीगंगानगर में हुआ. श्रीगंगानगर में किसान सभा और भाजपा सभा एक साथ थी. मेघवाल सरकार के खिलाफ भाजपा की ओर से रखी गई सभा में हिस्सा लेने जा रहे थे.
जहां गंगा चौक में कुछ लोगों ने उनके साथ मारपीट की और कपड़े भी फाड़ दिए. इसके बाद मेघवाल पर दूसरा हमला 7 अगस्त को हुआ, जब वह अपने समर्थकों के साथ श्रीगंगानगर जा रहे थे. पीलीबंगा कस्बे में उनके काफिले को करीब 50 लोगों ने रोक लिया और मेघवाल और उनकी गाड़ियों पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया.
मेघ सिंह, कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष, नोखा
मौजूदा गहलोत सरकार के कार्यकाल में भाजपा व आरएलपी नेताओं पर हमले की घटनाओं के साथ ही कांग्रेस नेताओं पर भी हमले की एक घटना सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुई थी. हमले की घटना बीकानेर के नोखा में कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष मेघ सिंह के साथ हुई जो अपने परिवारजनों के साथ देशनोक करणी माता मंदिर से दर्शन कर वापस गांव लौट रहे थे. इस दौरान उन पर बदमाशों ने गाड़ी रुकवा कर जानलेवा हमला किया. जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुआ था.
मुख्यमंत्री ही संभाल रहे गृह विभाग
नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो के आंकड़े भी राजस्थान में बढ़ते अपराध की ओर इशारा कर रहे हैं. यही कारण है कि विपक्ष में बैठी भाजपा इसे लगातार मुद्दा बनाकर कांग्रेस सरकार को घेरने में जुटी है. खास बात ये भी है कि राजस्थान में गृह विभाग भी खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही संभाल रहे हैं. मतलब राजस्थान में कोई पूर्णकालिक गृहमंत्री अलग से नहीं है जो लंबे समय से प्रदेश में एक सियासी मुद्दा भी बना हुआ है.
हालांकि सरकार की ओर से तर्क यही दिया जाता है कि राजस्थान में पहले की तुलना में एफआईआर पंजीकरण अनिवार्य होने से आंकड़ों में वृद्धि हुई है, लेकिन रोकथाम के प्रयास भी तेजी से हुए हैं. मतलब प्रदेश में अब अपराध अपराधियों और पुलिस का विषय न होकर राजनीति का विषय भी हो चुका है.