जयपुर. लॉकडाउन से भले ही हर किसी को परेशानी हो रही हो, लेकिन इसका बड़ा फायदा अस्थमा के मरीजों को मिल रहा है. एयर क्वालिटी इंडेक्स कम होने के चलते शुद्ध हवा मिलने से मरीजों को कम परेशानी हो रही है. यह कहना है एसएमएस हॉस्पिटल के सीनियर प्रोफेसर और अस्थमा स्पेशलिस्ट डॉक्टर नरेंद्र खिप्पल का.
डॉक्टर खिप्पल का कहना है कि अस्थमा के मरीजों के फेफड़े की डिफेंस मैकेनिज्म कम हो जाती है. ऐसे मरीजों को एयरबोर्न कोरोना संक्रमण होने की संभावना ज्यादा रहती है, क्योंकि एयरबोर्न कोरोना का वायरस भी मुख्य रूप से फेफड़े पर हमला करता है. वहीं अस्थमा भी सांस नली और फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है. इसलिए ऐसे मरीजों को ज्यादा सावधानी रखने की आवश्यकता है.
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लॉकडाउन के चलते वाहनों से प्रदूषण कम होने के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स 40 से 50 के बीच चल रहा है. जिससे अस्थमा मरीजों को कम परेशानी हो रही है. इसके बावजूद मरीजों को अपना खास खयाल रखना चाहिए.
क्या होता है अस्थमा
अस्थमा श्वास नालियों की अति संवेदनशीलता के कारण होता है. मुख्यतः किसी एलर्जी, केमिकल, जेनेटिक्स से हो सकता है. इसका कारण एक सूक्ष्म जीवाणु हाउस टेस्टमाइट है, जो कि घरों में परदों, गलीचे और सोफे की धूल में पाया जाता है. अस्थमा होने से फेफड़ों की डिफेंस मैकेनिज्म कमजोर हो जाती है.
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क्या रखे सावधानी
अस्थमा के मरीजों को अपनी दवाइयां और मुख्य रूप से इनहेलर लगातार और नियमित रूप से लेना चाहिए और थोड़ी सी परेशानी होने पर अपने चिकित्सक को तुरंत दिखाना चाहिए. इसके अलावा मरीजों को अपना इनहेलर और नेबुलाइजर किसी दूसरे मरीज या व्यक्ति के साथ शेयर भी नहीं करना चाहिए, अन्यथा संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा रहता है. इसके अलावा बच्चों, बुजुर्गों के अलावा गंभीर समस्या जैसे ब्लड प्रेशर, गुर्दे, लीवर की बीमारी वाले मरीजों के साथ ही गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी की जरूरत है.