जयपुर. राज्य में ईडब्ल्यूएस आरक्षण में सीएम गहलोत ने बड़ी राहत दी है. अब केवल वार्षिक आय को ही पात्रता का आधार माना जाएगा. राज्य सरकार अचल सम्पतियों के प्रावधान समाप्त करने जा रही है. प्रदेश की राजकीय सेवाओं और शिक्षण संस्थाओं में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए परिवार की कुल वार्षिक आय अधिकतम 8 लाख रुपए ही एक मात्र आधार माना जाएगा.
प्रावधान में प्रदेश की गहलोत सरकार जल्द संशोधन करेगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि इस निर्णय से ईडब्ल्यूएस आरक्षण के प्रावधानों की जटिलता समाप्त होगी और लोगों को ईडब्ल्यूएस का प्रमाण पत्र प्राप्त करने में आसानी होगी. राज्य सरकार इसके लिए शीघ्र ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण संबंधी प्रावधानों में संशोधन करेगी.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को देर रात ये निर्णय लिया है. बता दें कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों और जनप्रतिनिधियों ने ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र प्राप्त करने में आ रही परेशानियों के साथ ही आरक्षण के जटिल प्रावधानों के कारण इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाने की स्थिति से अवगत कराया था. उन्होंने ईडब्ल्यूएस आरक्षण की पात्रता के प्रावधानों में संशोधन की मांग की थी. सीएम गहलोत ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की परेशानी को ध्यान में रखते हुए, ये महत्वपूर्ण निर्णय लिया.
इससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के युवाओं को राजकीय सेवाओं और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण के उचित अवसर मिल सकेंगे और नियमों की अनावश्यक बाधाओं से उन्हें मुक्ति मिल सकेगी. सीएम गहलोत ने राज्य सरकार की एवं प्रशिक्षण संस्थानों के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की पात्रता के लिए 5 एकड़ और इससे अधिक कृषि भूमि, नगर पालिकाओं में 100 वर्ग एवं इससे अधिक के आवासीय भूखंड, अधिसूचित नगर पालिका क्षेत्रों में 200 वर्ष या उससे अधिक से आवासीय भूखंडों जैसी शर्तो को समाप्त करने का निर्णय लिया है. हालांकि भारत सरकार की सेवाओं, शिक्षण संस्थानों में राज्य के निवासियों के लिए पात्रता मापदंड पूर्ववत ही रहेंगे.