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अच्छी पहल: फुटपाथ पर कलाकृतियां बेचने वाले कलाकार को कला दीर्घा दे रहा प्रोत्साहन

कलानेरी आर्ट गैलरी अपनी स्थापना के समय से ही विभिन्न कलात्मक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध रही है. 23 साल के सफर में कला दीर्घा में अनेक जरुरमन्द कलाकारों को दीर्घा परिसर में सुविधाएं उपलब्ध करवाकर उन्हें प्रोत्साहित किया है. एक बार फिर ऐसे ही छिपे हुए कलाकार इकबाल खान को प्रोत्साहन देने के लिए उनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनी आयोजित की है.

Art gallery giving incentive , Needy artist in jaipur
अच्छी पहल...
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Published : Feb 10, 2021, 5:27 PM IST

जयपुर. कलानेरी आर्ट गैलरी अपनी स्थापना के समय से ही विभिन्न कलात्मक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध रही है. 23 साल के सफर में कला दीर्घा में अनेक जरुरमन्द कलाकारों को दीर्घा परिसर में सुविधाएं उपलब्ध करवाकर उन्हें प्रोत्साहित किया है. एक बार फिर ऐसे ही छिपे हुए कलाकार इकबाल खान को प्रोत्साहन देने के लिए उनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनी आयोजित की है.

कला दीर्घा फुटपाथ पर कलाकृतियां बेचने वाले कलाकार को दे रहा प्रोत्साहन...

कोरोना काल में आर्थिक रूप से तंग हुए अनेक कलाकारों को जब फुटपाथ पर अपनी कलाकृतियां बेचने का प्रयास करते हुए देखा, तो दीर्घा के निदेशक सौम्या विजय शर्मा ने मन में ऐसे कलाकारों की कला को कलानेरी आर्ट गैलरी में सम्मान के साथ सजाकर उनकी बिक्री का प्रयास करने का विचार किया. अपने इस विचार को मूर्त रूप देने के लिए आर्ट गैलरी की ओर से ग्रामीण परिवेश के कलाकार इकबाल खान की कलाकृतियों की प्रदर्शनी शुरू की.

पढ़ें: दुनियाभर में महकता है मरूभूमि की कला का चंदन...चूरू की काष्ठकला देखकर हैरान रह जाएंगे आप

दरअसल, इकबाल खान अपनी कला में कपड़े की कतरन को काम में लिया करते हैं. इन कतरनों को करीने से सजा कर राजस्थान की वास्तुकला और यहां के प्राकृतिक नजारों को जीवंत करते हैं. इकबाल खान प्रदेश के ऐसे पहले अनूठे कलाकार हैं, जो की कपड़ों की कतरनों का रेशा रेशा जोड़कर कलाकृतियां तैयार करते हैं. इस माध्यम से बनाई कलाकृतियां इतनी जीवंत होती है कि देखने वालों को रंगों से बनी कलाकृति का अहसास करवाती हैं. राजस्थान यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ आर्ट के प्रोफेसर आइ. यु. खान ने भी प्रदर्शनी का अवलोकन कर इकबाल खान की कलाकृतियों की प्रशंसा की.

जयपुर. कलानेरी आर्ट गैलरी अपनी स्थापना के समय से ही विभिन्न कलात्मक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध रही है. 23 साल के सफर में कला दीर्घा में अनेक जरुरमन्द कलाकारों को दीर्घा परिसर में सुविधाएं उपलब्ध करवाकर उन्हें प्रोत्साहित किया है. एक बार फिर ऐसे ही छिपे हुए कलाकार इकबाल खान को प्रोत्साहन देने के लिए उनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनी आयोजित की है.

कला दीर्घा फुटपाथ पर कलाकृतियां बेचने वाले कलाकार को दे रहा प्रोत्साहन...

कोरोना काल में आर्थिक रूप से तंग हुए अनेक कलाकारों को जब फुटपाथ पर अपनी कलाकृतियां बेचने का प्रयास करते हुए देखा, तो दीर्घा के निदेशक सौम्या विजय शर्मा ने मन में ऐसे कलाकारों की कला को कलानेरी आर्ट गैलरी में सम्मान के साथ सजाकर उनकी बिक्री का प्रयास करने का विचार किया. अपने इस विचार को मूर्त रूप देने के लिए आर्ट गैलरी की ओर से ग्रामीण परिवेश के कलाकार इकबाल खान की कलाकृतियों की प्रदर्शनी शुरू की.

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दरअसल, इकबाल खान अपनी कला में कपड़े की कतरन को काम में लिया करते हैं. इन कतरनों को करीने से सजा कर राजस्थान की वास्तुकला और यहां के प्राकृतिक नजारों को जीवंत करते हैं. इकबाल खान प्रदेश के ऐसे पहले अनूठे कलाकार हैं, जो की कपड़ों की कतरनों का रेशा रेशा जोड़कर कलाकृतियां तैयार करते हैं. इस माध्यम से बनाई कलाकृतियां इतनी जीवंत होती है कि देखने वालों को रंगों से बनी कलाकृति का अहसास करवाती हैं. राजस्थान यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ आर्ट के प्रोफेसर आइ. यु. खान ने भी प्रदर्शनी का अवलोकन कर इकबाल खान की कलाकृतियों की प्रशंसा की.

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