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मावठा झील में 2 फीट पानी की आवक, फिर से पूरी भरने की जगी उम्मीद

राजधानी के आमेर में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही मावठा झील में काफी समय बाद पानी की आवक हुई है. जिसके बाद अब इसके फिर से पूरी तरह से पानी से भरने की उम्मीद जगी है. शायद इसी को ध्यान में रखते हुए यहां पर गोताखोर भी तैनात किए गए है. जिनकी 8-8 घंटे की शिफ्ट में ड्यूटी लगी रहती है.

Mawtha lake Aamer News, आमेर मावठा झील न्यूज
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Published : Aug 12, 2019, 11:55 PM IST

जयपुर. आमेर की मावठा झील पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रही है. एक दिन था जब मावठा झील लबालब भरी हुई रहती थी. देश-विदेश से आने वाले सैलानी इस झील के नजारे को देखकर काफी रोमांचित हो जाते थे. लेकिन पिछले कई वर्षों से अच्छी बारिश नहीं होने के कारण मावठा झील का पानी सूख गया था. जिससे पर्यटकों में भी मायूसी नजर आने लगी थी. लेकिन इस बार मावठा झील में पानी की आवक होने से फिर से पानी भरने की उम्मीद जगी है और इसी उम्मीद में आज भी मावठा झील में गोताखोर तैनात है.

मावठा झील में 2 फीट पानी की हुई आवक

इस बार बारिश का पानी मावठा झील में पहुंचा है. जिससे झील में करीब 2 फीट पानी की आवक दर्ज हुई है. झील में पानी कम होने पर भी गोताखोर लगातार तैनात रहे. आमेर महल प्रशासन को भी यही उम्मीद थी कि मावठा झील में फिर से पानी भरेगा. इस बार आमेर महल प्रशासन ने मावठा झील में पानी आने वाले रास्तों की भी सफाई करवाई. ताकि बारिश का पानी सीधे मावठा झील तक पहुंच सके. महल प्रशासन की यह मुहिम काफी रंग लाई है और झील तक पानी भी पहुंचा है. झील में पानी तो आया है, लेकिन जिस तरह की उम्मीद लगाई जा रही थी, उतना पानी नहीं भर पाया है.

यह भी पढ़ें : अयोध्या में हमें ना हक चाहिए ना हुकूमत, सिर्फ राम मंदिर चाहिए : अरविंद सिंह मेवाड़

फिर भी मावठा झील में 6 गोताखोर तैनात किए गए हैं. हालांकि, मावठा झील में पानी सूखने पर दो गोताखोरों को पन्ना मीना का कुंड पर लगा दिया गया था, लेकिन झील में पानी की आवक होने से गोताखोरों को वापस मावठा झील पर लगा दिया गया. गोताखोरों की तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है. हर शिफ्ट में दो गोताखोर आठ-आठ घंटे की ड्यूटी करते हैं. ताकि किसी भी तरह से कोई मावठा झील में गिर जाए तो उसे तुरंत बचाया जा सके.

यह भी पढ़ें : 'पेपरलेस' होगी लोकसभा...नए भवन बनाने की भी तैयारीः ओम बिड़ला

सभी गोताखोर आपदा प्रबंधन के संसाधनों से तैनात रहते हैं. इसके अलावा पर्यटकों की सुरक्षा के लिए होमगार्ड भी तैनात किए गए हैं. जोकि पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर अलर्ट रहते हैं. इनमें से कई होमगार्ड के जवान भी तैराकी में एक्सपर्ट है. कई बार मावठा झील में लोगों की गिरने की घटनाएं भी हो चुकी है. जिसे देखते हुए महल प्रशासन पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से मुस्तैद है. मावठा झील में कम पानी होने के बावजूद भी गोताखोर तैनात किए गए हैं. इससे लगता है कि आमेर महल प्रशासन को मावठा झील के वापस लबालब भरने की उम्मीद है. ताकि मावठा झील पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी रहे.

जयपुर. आमेर की मावठा झील पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रही है. एक दिन था जब मावठा झील लबालब भरी हुई रहती थी. देश-विदेश से आने वाले सैलानी इस झील के नजारे को देखकर काफी रोमांचित हो जाते थे. लेकिन पिछले कई वर्षों से अच्छी बारिश नहीं होने के कारण मावठा झील का पानी सूख गया था. जिससे पर्यटकों में भी मायूसी नजर आने लगी थी. लेकिन इस बार मावठा झील में पानी की आवक होने से फिर से पानी भरने की उम्मीद जगी है और इसी उम्मीद में आज भी मावठा झील में गोताखोर तैनात है.

मावठा झील में 2 फीट पानी की हुई आवक

इस बार बारिश का पानी मावठा झील में पहुंचा है. जिससे झील में करीब 2 फीट पानी की आवक दर्ज हुई है. झील में पानी कम होने पर भी गोताखोर लगातार तैनात रहे. आमेर महल प्रशासन को भी यही उम्मीद थी कि मावठा झील में फिर से पानी भरेगा. इस बार आमेर महल प्रशासन ने मावठा झील में पानी आने वाले रास्तों की भी सफाई करवाई. ताकि बारिश का पानी सीधे मावठा झील तक पहुंच सके. महल प्रशासन की यह मुहिम काफी रंग लाई है और झील तक पानी भी पहुंचा है. झील में पानी तो आया है, लेकिन जिस तरह की उम्मीद लगाई जा रही थी, उतना पानी नहीं भर पाया है.

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फिर भी मावठा झील में 6 गोताखोर तैनात किए गए हैं. हालांकि, मावठा झील में पानी सूखने पर दो गोताखोरों को पन्ना मीना का कुंड पर लगा दिया गया था, लेकिन झील में पानी की आवक होने से गोताखोरों को वापस मावठा झील पर लगा दिया गया. गोताखोरों की तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है. हर शिफ्ट में दो गोताखोर आठ-आठ घंटे की ड्यूटी करते हैं. ताकि किसी भी तरह से कोई मावठा झील में गिर जाए तो उसे तुरंत बचाया जा सके.

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सभी गोताखोर आपदा प्रबंधन के संसाधनों से तैनात रहते हैं. इसके अलावा पर्यटकों की सुरक्षा के लिए होमगार्ड भी तैनात किए गए हैं. जोकि पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर अलर्ट रहते हैं. इनमें से कई होमगार्ड के जवान भी तैराकी में एक्सपर्ट है. कई बार मावठा झील में लोगों की गिरने की घटनाएं भी हो चुकी है. जिसे देखते हुए महल प्रशासन पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से मुस्तैद है. मावठा झील में कम पानी होने के बावजूद भी गोताखोर तैनात किए गए हैं. इससे लगता है कि आमेर महल प्रशासन को मावठा झील के वापस लबालब भरने की उम्मीद है. ताकि मावठा झील पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी रहे.

Intro:जयपुर
एंकर- आमेर की मावठा झील पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रही है। एक दिन था जब मावठा झील लबालब भरी हुई रहती थी। देश-विदेश से आने वाले सैलानी इस झील के नजारे को देखकर काफी रोमांचित होते थे। लेकिन पिछले कई वर्षों से अच्छी बारिश नहीं होने के कारण मावठा झील का पानी सूख गया जिससे पर्यटको में भी मायूसी नजर आने लगी। लेकिन इस बार मावठा झील में पानी की आवक होने से फिर से भरने की उम्मीद जगी है। और इसी उम्मीद में आज भी मावठा झील में गोताखोर तैनात है।


Body:इस बार बारिश का पानी मावठा झील में पहुंचा है। जिससे झील में करीब 2 फीट पानी की आवक हुई है। झील में पानी कम होने पर भी गोताखोर लगातार तैनात रहे। आमेर महल प्रशासन को भी यही उम्मीद थी कि मावठा झील में फिर से पानी भरेगा। इस बार आमेर महल प्रशासन ने मावठा झील में पानी आने वाले रास्तों की भी सफाई करवाई। ताकि बारिश का पानी सीधे मावठा झील तक पहुंच सके। महल प्रशासन की यह मुहिम काफी रंग लाई है और झील तक पानी भी पहुंचा है। झील में पानी तो आया है लेकिन जिस तरह की उम्मीद लगाई जा रही है उतना पानी नहीं भर पाया। फिर भी मावठा झील में 6 गोताखोर तैनात किए गए हैं। हालांकि मावठा झील में पानी सूखने पर दो गोताखोरों को पन्ना मीना का कुंड पर लगा दिया गया था। लेकिन झील में पानी की आवक होने से गोताखोरों को वापस मावठा झील पर लगा दिया गया। गोताखोरों की तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है। हर शिफ्ट में दो गोताखोर आठ-आठ घंटे की ड्यूटी करते हैं। ताकि किसी भी तरह से कोई मावठा झील में गिर जाए तो उसे तुरंत बचाया जा सके। सभी गोताखोर आपदा प्रबंधन के संसाधनों से लैस तैनात रहते हैं। इसके अलावा पर्यटक की सुरक्षा के लिए होमगार्ड भी तैनात किए गए हैं। जोकि पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर अलर्ट रहते हैं। इनमें से कई होमगार्ड के जवान भी तैराकी में एक्सपर्ट है। कई बार मावठा झील में लोगों की गिरने की घटनाएं भी हो चुकी है। जिसको देखते हुए महल प्रशासन पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से मुस्तैद है। मावठा झील में कम पानी होने के बावजूद भी गोताखोर तैनात किए गए हैं। इससे लगता है कि आमेर महल प्रशासन को मावठा झील के वापस लबालब भरने की उम्मीद है। ताकि मावठा झील पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी रहे।

बाईट- हरेंद्र मंडावरिया, गोताखोर
बाईट- प्रेम सैनी, गोताखोर
बाईट- मुकेश कुमार मीणा, होमगार्ड








Conclusion:
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