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जयपुर के पूर्व राजपरिवार सदस्य पद्मनाभ सिंह ने सिटी पैलेस में किया शस्त्र पूजन - सिटी पैलेस में हुआ शस्त्र पूजन

जयपुर के पूर्व राजपरिवार सदस्य पद्मनाभ सिंह ने मंगलवार को विजयदशमी के पावन अवसर पर सिटी पैलेस में शस्त्र पूजन किया. माना जाता है कि दशहरे के दिन क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं जबकि इस दिन ब्राह्मण शास्त्रों का पूजन करते हैं.

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Published : Oct 8, 2019, 8:09 PM IST

जयपुर. राजधानी के पूर्व राजपरिवार की अनूठी परंपराओं में दशहरे पर अश्व शस्त्र पूजन की प्राचीन परंपरा का अलग ही तरीका है. जयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य पद्मनाभ सिंह ने विजयदशमी के मौके पर अपनी सदियों से चली आ रही शस्त्र पूजन की परंपरा को सिटी पैलेस में निभाया.

विजयदशमी पर सिटी पैलेस में हुआ शस्त्र पूजन

पद्मनाभ सिंह ने सालों पुराने हथियारों का पारंपरिक रस्मों के साथ शस्त्र पूजन किया. इसके बाद पद्मनाभ सिंह ने अश्वों, रथ, पालकी, हाथी का पूजन किया. शस्त्र अश्व पूजन में पूर्व राजपरिवार के सभी पुरुष सदस्य मौजूद रहे.

बता दें कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा की जाती है. दशहरा क्षत्रियों का बहुत बड़ा पर्व है. इस दिन ब्राह्मण सरस्वती पूजन और क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं. क्षत्रिय शत्रुओं पर विजय की कामना के लिए इस दिन का चुनाव युद्ध के लिए किया करते थे.

यह भी पढे़ं : खबर का असर : 4 साल बाद चिकित्सा मंत्रालय में भगवान गणेश होंगे स्थापित, आदेश जारी

देश में पूर्व की भांति आज भी शस्त्र पूजन की परंपरा कायम है और देश की तमाम रियासतों और शासकीय शास्त्रों में आज भी शस्त्र पूजा बड़ी धूमधाम के साथ मनाई जाती है.

जयपुर. राजधानी के पूर्व राजपरिवार की अनूठी परंपराओं में दशहरे पर अश्व शस्त्र पूजन की प्राचीन परंपरा का अलग ही तरीका है. जयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य पद्मनाभ सिंह ने विजयदशमी के मौके पर अपनी सदियों से चली आ रही शस्त्र पूजन की परंपरा को सिटी पैलेस में निभाया.

विजयदशमी पर सिटी पैलेस में हुआ शस्त्र पूजन

पद्मनाभ सिंह ने सालों पुराने हथियारों का पारंपरिक रस्मों के साथ शस्त्र पूजन किया. इसके बाद पद्मनाभ सिंह ने अश्वों, रथ, पालकी, हाथी का पूजन किया. शस्त्र अश्व पूजन में पूर्व राजपरिवार के सभी पुरुष सदस्य मौजूद रहे.

बता दें कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा की जाती है. दशहरा क्षत्रियों का बहुत बड़ा पर्व है. इस दिन ब्राह्मण सरस्वती पूजन और क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं. क्षत्रिय शत्रुओं पर विजय की कामना के लिए इस दिन का चुनाव युद्ध के लिए किया करते थे.

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देश में पूर्व की भांति आज भी शस्त्र पूजन की परंपरा कायम है और देश की तमाम रियासतों और शासकीय शास्त्रों में आज भी शस्त्र पूजा बड़ी धूमधाम के साथ मनाई जाती है.

Intro:जयपुर- जयपुर के राजपरिवार की अनूठी परंपराओं में दशहरे पर अश्व शस्त्र पूजन की प्राचीन परंपरा का अलग ही तरीका है। जयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य पद्मनाभ सिंह ने विजयदशमी के मौके पर अपनी सदियों से चली आ रही शस्त्र पूजन की परंपरा को सिटी पैलेस में निभाया। पद्मनाभ सिंह ने सालों पुराने हथियारों की पारंपरिक रस्मों के साथ शस्त्र पूजन किया। इसके बाद पद्मनाभ सिंह ने अश्वों, रथ, पालकी, हाथी का पूजन किया। शस्त्र अश्व पूजन में राजपरिवार के सभी पुरुष सदस्य मौजूद रहे।


Body: शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा की जाती है। दशहरा क्षत्रियों का बहुत बड़ा पर्व है। इस दिन ब्राह्मण सरस्वती पूजन और क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते है। क्षत्रिय शत्रुओं पर विजय की कामना के लिए इस दिन का चुनाव युद्ध के लिए किया करते थे। पूर्व की भांति आज भी शस्त्र पूजन की परंपरा कायम है और देश की तमाम रियासतों और शासकीय शास्त्रों में में आज भी शस्त्र पूजा बड़ी धूमधाम के साथ की जाती है। माना जाता है कि दशहरे के दिन क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं जबकि इस दिन ब्राह्मण शास्त्रों का पूजन करते हैं। वही व्यापार से जुड़े यानी वैश्य वर्ग के लोग अपने प्रतिष्ठान आदि का पूजन करते है।


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