धनबादः झारखंड में एक से बढ़कर एक खेल प्रतिभाएं हैं. इन्ही में से एक है झरिया के शालीमार की सोनू खातून. सोनू खातून तीरंदाजी की उभरती हुई खिलाड़ी हैं. नेशनल आर्चर सोनू खातून जिसे इंटरनेशनल में देश को पहचान दिलाने की तमन्ना थी, लेकिन वक्त ने उसे सब्जी बेचने पर मजबूर कर दिया. सरकार का ध्यान जाने के बाद 20 हजार की तत्काल आर्थिक मदद दी गई, लेकिन वह सरकार की इस पहल से संतुष्ट नहीं है.
वह चाहती है कि सरकार उसे संसाधन उपलब्ध कराए, ताकि वह इंटरनेशनल स्तर पर देश को पहचान दिला सके, लेकिन गरीबी उसके खेल में आड़े आ रही है. इसलिए सोनू सरकार से विशेष मदद की गुहार लगा रही है.
तीन बहनों में सबसे बड़ी सोनू घर की खराब हालत के चलते सड़क पर बैठकर सब्जी बेचने लगी. बाद में मामले की जानकारी मिलने पर उसे मदद दी गई. प्रशासन की ओर से आर्चर सोनू को 20 हजार का चेक सौंपा गया है, लेकिन सोनू प्रशासन की इस पहल से संतुष्ट नही है. सोनू कहती है कि हमे इंटरनेशनल स्तर पर तीरंदाजी करनी है.हमें सरकार से संसाधन चाहिए. साल 2011 में सोनू तीरंदाजी में राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहरा चुकी है, लेकिन गरीबी उसके खेल में आड़े आ रही है. गरीबी से तंग उसने सब्जी बेचना शुरू कर दिया.
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पिता हैं दिहाड़ी मजदूर
सोनू खातून के घर की आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब है. उसके पिता उसके पिता इदरीश अंसारी दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं, जिससे पूरे परिवार का भरण पोषण होता है, जबकि मां दूसरों के घर में काम करती हैं. लॉकडाउन के कारण उसके पिता का काम बंद हो गया. उनका यह काम भी बन्द है. साथ ही उनकी तबीयत भी खराब रहती है.
उसके पिता के अनुसार उसके पिता ने कुछ बच्चों को तीरंदाजी करते देखा, जिस पर पिता ने तीरंदाजी सिखाने वाले से सोनू को तीरंदाजी सिखाने की बात कही, लेकिन जिस ड्रेस पहनकर सोनू को भेजने की बात कोच ने कही थी. उस ड्रेस को खरीदने के लिए माता-पिता के पास पैसे नहीं थे. दूसरों से पैसे मांगकर सोनू के लिए ड्रेस खरीदा और फिर तीरंदाजी सीखने के लिए भेजा.
विधायक ने दिया मदद का आश्वासन
वहीं स्थानीय विधायक पूर्णिमा सिंह का कहना है कि उन्होंने कहा कि आर्चरी एसोसिएशन के हेड अर्जुन मुंडा से इस संबंध में बात की गई थी. उन्हें पत्र के माध्यम से अवगत भी कराया गया था.उनसे मिलकर इस पर सकारात्मक कदम उठाने के लिए समय भी लिया गया था, लेकिन लॉकडाउन के कारण पहल नही हो सकी. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर हम सोनू की सहायता जरूर करेंगे.
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सोनू के अनुसार उसने 10 हजार में तीर धनुष खरीदा था. अब वह तीर धनुष की स्थिति भी अब अच्छी नहीं है. प्रैक्टिस के लिए जिस तीर धनुष का उपयोग किया जाता है. उसकी कीमत करीब साढ़े तीन लाख रुपए है.साथ ही सरकार से नौकरी की मांग की है.
सोनू की मां ने बताया कि उसे बचपन से ही तीरंदाजी का शौक था. उसका नाम भी लड़कों जैसा है. वह हमेशा खेल में आगे रहती थी. गरीबी के कारण भारी परेशानी हो रही है. उसके पिता ने कहा कि सरकार के सामने काफी गुहार लगाई, लेकिन मदद नहीं मिली. किसी तरह बच्चों को पाल पोसकर बड़ा किया है. गरीबी के कारण बच्चों को सब्जी बेचने पड़ रही है. धनबाद की तीरंदाज की खिलाड़ी सोनू खातून का गरीबी के कारण करिअर आगे नहीं बढ़ पा रहा है. सरकार यदि सोनू की मदद करे तो सोनू देश और दुनिया में भारत का नाम रोशन कर सकती है.