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राजस्थान : 'मनरेगा' में दिव्यांगों के लिए अपनाया जाएगा AP मॉडल, 100 की जगह 150 दिन मिलेगा काम

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Published : Jun 23, 2020, 1:47 PM IST

राजस्थान में 'मनरेगा' में दिव्यांगों के लिए आंध्र प्रदेश का मॉडल अपनाने का प्रस्ताव लाया जा रहा है. जिसके चलते दिव्यांगों का सेपरेट जॉब कार्ड जारी होगा. साथ ही उन्हें सेपरेट फैमिली माना जाएगा. बता दें कि इस प्रस्ताव को मंजुरी के लिए स्टेट एंप्लॉयमेंट गारंटी काउंसिल की बैठक में रखा जाएगा.

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राजस्थान में आंध्र प्रदेश का मॉडल अपनाने का प्रस्ताव

जयपुर. राजस्थान में मनरेगा कोरोना संक्रमण काल में ग्रामीणों, प्रवासियों और जरूरतमंदों के लिए एक वरदान बनी हुई है. लेकिन एक तबका ऐसा भी है जिसे सबसे ज्यादा मदद की आवश्यकता है और वह है दिव्यांगजन. प्रदेश में कोरोना संक्रमण काल में मनरेगा ने दिव्यांगों को भी खासी राहत पहुंचाई है. आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो 2019-2020 में 18,332 दिव्यांगों को 1 साल में राजस्थान में काम मिला था. वहीं, साल 2018-2019 में यह संख्या 15947 थी, लेकिन साल 2020-2021 में अब तक 3 महीनों में यह संख्या 12,812 हो चुकी है.

राजस्थान में आंध्र प्रदेश का मॉडल अपनाने का प्रस्ताव

इस पूरे साल में यह संख्या बीते साल से लगभग दोगुनी होने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में राजस्थान का ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग दिव्यांगों के लिए मनरेगा में आंध्र प्रदेश का मॉडल अपनाने का प्रस्ताव लाने जा रहा है. आंध्र प्रदेश में दिव्यांगों का सेपरेट जॉब कार्ड बनाया जाता है और उन्हें सेपरेट फैमिली माना जाता है. मनरेगा में आम लोगों को 100 दिन का अधिकतम काम दिया जाता है, उसकी जगह दिव्यांगों के लिए काम के दिनों की संख्या 150 होती है. ऐसे में अब विभाग की ओर से दिव्यांगों के लिए आंध्र प्रदेश मॉडल अपनाने की बात कही जा रही है.

राजस्थान के मनरेगा कमिश्नर पीसी किशन ने बताया कि राजस्थान में दिव्यांगों के लिए मेट का काम रिजर्वेशन में रखा गया है. उनके लिए एक्टिविटीज को क्लासिफाइड किया गया है, जो दिव्यांगों के लिए रिजर्व है. साथ ही दिव्यांगों के लिए प्रदेश में विभाग की ओर से नए इनिशिएटिव के तौर पर मनरेगा में काम देने के लिए विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार किया है. जिसमें राजस्थान सरकार की ओर से फंडिंग की आवश्यकता होगी. इस प्रस्ताव को मंजुरी के लिए स्टेट एंप्लॉयमेंट गारंटी काउंसिल की बैठक में रखा जाएगा और अंतिम निर्णय उसी में होगा. अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो प्रदेश में दिव्यांगों को अब 100 की जगह 150 दिन काम मिलेगा और उन्हें अलग से जॉब कार्ड बना कर दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें. बड़ी खबरः शादी समारोह में 50 से अधिक लोग हुए इकट्ठा, दूल्हे समेत 13 लोग Corona Positive

बता दें कि नए प्रस्ताव के पास होने की संभावना पूरी बनी हुई है, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट दोनों ही केंद्र सरकार से आम लोगों के लिए 100 की जगह 200 दिन मनरेगा में काम दिए जाने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में दिव्यांगों को लेकर सरकार इस प्रस्ताव को सहानुभूति पूर्वक विचार में लाएगी और अतिरिक्त 50 दिनों के काम के लिए राज्य सरकार फाइनेंस की उपलब्धता करवाएगी.

जयपुर. राजस्थान में मनरेगा कोरोना संक्रमण काल में ग्रामीणों, प्रवासियों और जरूरतमंदों के लिए एक वरदान बनी हुई है. लेकिन एक तबका ऐसा भी है जिसे सबसे ज्यादा मदद की आवश्यकता है और वह है दिव्यांगजन. प्रदेश में कोरोना संक्रमण काल में मनरेगा ने दिव्यांगों को भी खासी राहत पहुंचाई है. आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो 2019-2020 में 18,332 दिव्यांगों को 1 साल में राजस्थान में काम मिला था. वहीं, साल 2018-2019 में यह संख्या 15947 थी, लेकिन साल 2020-2021 में अब तक 3 महीनों में यह संख्या 12,812 हो चुकी है.

राजस्थान में आंध्र प्रदेश का मॉडल अपनाने का प्रस्ताव

इस पूरे साल में यह संख्या बीते साल से लगभग दोगुनी होने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में राजस्थान का ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग दिव्यांगों के लिए मनरेगा में आंध्र प्रदेश का मॉडल अपनाने का प्रस्ताव लाने जा रहा है. आंध्र प्रदेश में दिव्यांगों का सेपरेट जॉब कार्ड बनाया जाता है और उन्हें सेपरेट फैमिली माना जाता है. मनरेगा में आम लोगों को 100 दिन का अधिकतम काम दिया जाता है, उसकी जगह दिव्यांगों के लिए काम के दिनों की संख्या 150 होती है. ऐसे में अब विभाग की ओर से दिव्यांगों के लिए आंध्र प्रदेश मॉडल अपनाने की बात कही जा रही है.

राजस्थान के मनरेगा कमिश्नर पीसी किशन ने बताया कि राजस्थान में दिव्यांगों के लिए मेट का काम रिजर्वेशन में रखा गया है. उनके लिए एक्टिविटीज को क्लासिफाइड किया गया है, जो दिव्यांगों के लिए रिजर्व है. साथ ही दिव्यांगों के लिए प्रदेश में विभाग की ओर से नए इनिशिएटिव के तौर पर मनरेगा में काम देने के लिए विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार किया है. जिसमें राजस्थान सरकार की ओर से फंडिंग की आवश्यकता होगी. इस प्रस्ताव को मंजुरी के लिए स्टेट एंप्लॉयमेंट गारंटी काउंसिल की बैठक में रखा जाएगा और अंतिम निर्णय उसी में होगा. अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो प्रदेश में दिव्यांगों को अब 100 की जगह 150 दिन काम मिलेगा और उन्हें अलग से जॉब कार्ड बना कर दिया जाएगा.

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बता दें कि नए प्रस्ताव के पास होने की संभावना पूरी बनी हुई है, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट दोनों ही केंद्र सरकार से आम लोगों के लिए 100 की जगह 200 दिन मनरेगा में काम दिए जाने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में दिव्यांगों को लेकर सरकार इस प्रस्ताव को सहानुभूति पूर्वक विचार में लाएगी और अतिरिक्त 50 दिनों के काम के लिए राज्य सरकार फाइनेंस की उपलब्धता करवाएगी.

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