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राजस्थान हाईकोर्ट: व्याख्याता की वरिष्ठता सूची में शामिल नहीं करने पर मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पदोन्नति के लिए बनाई गई वरिष्ठता सूची में याचिकाकर्ता को शामिल नहीं करने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और विभाग के उप निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश कमल सिंह मीणा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पदोन्नति के लिए बनाई गई वरिष्ठता सूची में याचिकाकर्ता को शामिल नहीं करने पर नोटिस जारी कर जवाब तलब किया
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Published : Jun 8, 2020, 5:27 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पदोन्नति के लिए बनाई गई वरिष्ठता सूची में याचिकाकर्ता को शामिल नहीं करने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और विभाग के उप निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश कमल सिंह मीणा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की वर्ष 2005 में तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी. विभाग ने अप्रैल 2013 में याचिकाकर्ता से जूनियर शिक्षकों को वरिष्ठ अध्यापक के पद पर पदोन्नत कर दिया. वहीं याचिकाकर्ता को दिसंबर 2014 में यह पदोन्नति दी गई.

पढ़ें: उदयपुर में भूकंप के झटके, लोगों में डर का माहौल

विभाग की ओर से गत वर्ष वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पदोन्नति में याचिकाकर्ता को शामिल नहीं किया, और उससे जूनियर शिक्षकों को पद व्याख्याता बना दिया गया. याचिका में कहा गया कि विभाग की ओर से अब फिर से व्याख्याता पद पर पदोन्नति सूची बनाई गई है, लेकिन इस बार भी उसे वरिष्ठता सूची में शामिल नहीं किया गया है.

जिसके चलते याचिकाकर्ता के हित प्रभावित हो रहे हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पदोन्नति के लिए बनाई गई वरिष्ठता सूची में याचिकाकर्ता को शामिल नहीं करने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और विभाग के उप निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश कमल सिंह मीणा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की वर्ष 2005 में तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी. विभाग ने अप्रैल 2013 में याचिकाकर्ता से जूनियर शिक्षकों को वरिष्ठ अध्यापक के पद पर पदोन्नत कर दिया. वहीं याचिकाकर्ता को दिसंबर 2014 में यह पदोन्नति दी गई.

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विभाग की ओर से गत वर्ष वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पदोन्नति में याचिकाकर्ता को शामिल नहीं किया, और उससे जूनियर शिक्षकों को पद व्याख्याता बना दिया गया. याचिका में कहा गया कि विभाग की ओर से अब फिर से व्याख्याता पद पर पदोन्नति सूची बनाई गई है, लेकिन इस बार भी उसे वरिष्ठता सूची में शामिल नहीं किया गया है.

जिसके चलते याचिकाकर्ता के हित प्रभावित हो रहे हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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