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Rajasthan Land Revenue Act: भू-राजस्व अधिनियम में संशोधन, कट ऑफ डेट में बदलाव, करीब 5 लाख पट्टे बांटने की राह हुई आसान

राज्य सरकार ने भू-राजस्व अधिनियम में संशोधन करते हुए कट ऑफ डेट में बदलाव किया गया (Amendment in Rajasthan Land Revenue Act) है. जारी अधिसूचना के तहत कट ऑफ डेट 17 जून, 1999 के बजाए 31 दिसंबर, 2021 की गई है. कट ऑफ डेट बढ़ाने से इन कॉलोनियों में भूखंड और सुविधा क्षेत्र में अनुपात 70:30 रखने का नियम लागू होगा. ऐसे में इन कॉलोनियों का बिना तकनीकी समस्या के नियम हो सकेगा. इससे करीब 5 लाख पट्टे बांटने की राह आसान हो गई है.

Amendment in Rajasthan Land Revenue Act,  Cut off date amended in Rajasthan Land Revenue Act
भू-राजस्व अधिनियम में संशोधन, कट ऑफ डेट में बदलाव, करीब 5 लाख पट्टे बांटने की राह हुई आसान
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Published : May 10, 2022, 10:51 PM IST

जयपुर. राज्य सरकार ने भू-राजस्व अधिनियम में संशोधन करते हुए करीब 5 लाख पट्टे बांटने की राह आसान की है. भू-राजस्व अधिनियम (कृषि भूमि के अकृषि उपयोग) में बदलाव के बाद सरकार ने अब इसके नियमों में भी संशोधन कर दिया (Amendment in Rajasthan Land Revenue Act) है. संशोधन के तहत नियमों में कट ऑफ डेट में बदलाव किया गया है. कट ऑफ डेट 17 जून, 1999 के बजाय अब 31 दिसम्बर, 2021 की गई है.

कृषि भूमि के अकृषि उपयोग के नियमों में संशोधन करते हुए नगरीय विकास विभाग ने अधिसूचना जारी की है. जिसके तहत कट ऑफ डेट 17 जून, 1999 के बजाए 31 दिसंबर, 2021 की गई (Cut off date amended in Rajasthan Land Revenue Act) है. दरअसल, कट ऑफ डेट के बाद बसी कॉलोनियों के लिए भूखंड और सुविधा क्षेत्र में अनुपात 60:40 रखने का नियम था. जबकि जून 1999 से 31 दिसंबर, 2021 तक ऐसी कई कॉलोनियां हैं, जिनमें 60 फीसदी से ज्यादा क्षेत्र में भूखंड कट चुके हैं. इसके चलते इनके नियमन में तकनीकी समस्या आ रही थी. कट ऑफ डेट बढ़ाने से इन कॉलोनियों में भूखंड और सुविधा क्षेत्र में अनुपात 70:30 रखने का नियम लागू होगा. ऐसे में इन कॉलोनियों का बिना तकनीकी समस्या के नियम हो सकेगा.

पढ़ें: भू-राजस्व अधिनियम 1956 और इसके तहत बने नियमों में संशोधन के लिए बनी कमेटी, राजस्व मंडल अभिभाषक संघ ने किया विरोध

वहीं अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि ले आउट प्लान में सुविधा क्षेत्र पहले से स्वीकृत है, तो उसे बाद में कम नहीं किया जा सकेगा. हालांकि गैर खातेदारी भूमि का भी रूपांतरण अकृषि उपयोग के लिए किया जा सकेगा. इसके अलावा 90ए के बाद जो भी ले आउट प्लान निकाय मंजूर करेंगे, वो राज्य सरकार के निर्देशों के अधीन होगा. यानी सरकार ले आउट प्लान में बदलाव कर सकेगी. इसके लिए पूर्व अनुमति लेने के लिए भी निर्देश दे सकेगी.

पढ़ें: JDA की कृषि भूमि पर 17 जून 1999 के बाद विकसित कॉलोनियों के लिए गृह निर्माण सहकारी समिति के पट्टों को कानूनी मान्यता नहीं

नगरीय विकास विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में मिश्रित भू-उपयोग की परिभाषा को भी स्पष्ट किया गया है. जिसके तहत एक ही भूमि या इमारत का एक से अधिक भू उपयोग माना जा सकेगा. एक से अधिक उपयोग को मिश्रित भू उपयोग माना जाएगा. चाहे वहां आवासीय के साथ व्यावसायिक या अन्य उपयोग हो रहा हो. इन संशोधन से प्रदेश में 5 से 6 लाख भूखंडधारियों को पट्टे मिलने की राह आसान हो गई है. आपको बता दें कि अभी तक विधानसभा में अधिनियम में संशोधन किया गया था, लेकिन नियमों में संशोधन अब हुआ है.

जयपुर. राज्य सरकार ने भू-राजस्व अधिनियम में संशोधन करते हुए करीब 5 लाख पट्टे बांटने की राह आसान की है. भू-राजस्व अधिनियम (कृषि भूमि के अकृषि उपयोग) में बदलाव के बाद सरकार ने अब इसके नियमों में भी संशोधन कर दिया (Amendment in Rajasthan Land Revenue Act) है. संशोधन के तहत नियमों में कट ऑफ डेट में बदलाव किया गया है. कट ऑफ डेट 17 जून, 1999 के बजाय अब 31 दिसम्बर, 2021 की गई है.

कृषि भूमि के अकृषि उपयोग के नियमों में संशोधन करते हुए नगरीय विकास विभाग ने अधिसूचना जारी की है. जिसके तहत कट ऑफ डेट 17 जून, 1999 के बजाए 31 दिसंबर, 2021 की गई (Cut off date amended in Rajasthan Land Revenue Act) है. दरअसल, कट ऑफ डेट के बाद बसी कॉलोनियों के लिए भूखंड और सुविधा क्षेत्र में अनुपात 60:40 रखने का नियम था. जबकि जून 1999 से 31 दिसंबर, 2021 तक ऐसी कई कॉलोनियां हैं, जिनमें 60 फीसदी से ज्यादा क्षेत्र में भूखंड कट चुके हैं. इसके चलते इनके नियमन में तकनीकी समस्या आ रही थी. कट ऑफ डेट बढ़ाने से इन कॉलोनियों में भूखंड और सुविधा क्षेत्र में अनुपात 70:30 रखने का नियम लागू होगा. ऐसे में इन कॉलोनियों का बिना तकनीकी समस्या के नियम हो सकेगा.

पढ़ें: भू-राजस्व अधिनियम 1956 और इसके तहत बने नियमों में संशोधन के लिए बनी कमेटी, राजस्व मंडल अभिभाषक संघ ने किया विरोध

वहीं अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि ले आउट प्लान में सुविधा क्षेत्र पहले से स्वीकृत है, तो उसे बाद में कम नहीं किया जा सकेगा. हालांकि गैर खातेदारी भूमि का भी रूपांतरण अकृषि उपयोग के लिए किया जा सकेगा. इसके अलावा 90ए के बाद जो भी ले आउट प्लान निकाय मंजूर करेंगे, वो राज्य सरकार के निर्देशों के अधीन होगा. यानी सरकार ले आउट प्लान में बदलाव कर सकेगी. इसके लिए पूर्व अनुमति लेने के लिए भी निर्देश दे सकेगी.

पढ़ें: JDA की कृषि भूमि पर 17 जून 1999 के बाद विकसित कॉलोनियों के लिए गृह निर्माण सहकारी समिति के पट्टों को कानूनी मान्यता नहीं

नगरीय विकास विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में मिश्रित भू-उपयोग की परिभाषा को भी स्पष्ट किया गया है. जिसके तहत एक ही भूमि या इमारत का एक से अधिक भू उपयोग माना जा सकेगा. एक से अधिक उपयोग को मिश्रित भू उपयोग माना जाएगा. चाहे वहां आवासीय के साथ व्यावसायिक या अन्य उपयोग हो रहा हो. इन संशोधन से प्रदेश में 5 से 6 लाख भूखंडधारियों को पट्टे मिलने की राह आसान हो गई है. आपको बता दें कि अभी तक विधानसभा में अधिनियम में संशोधन किया गया था, लेकिन नियमों में संशोधन अब हुआ है.

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