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गहलोत सरकार को चेतावनी, प्रदेश में कभी भी बंद हो सकती है एंबुलेंस सेवा... - Ambulance service may be closed in the state

राजस्थान में कभी भी एंबुलेंस सेवा बंद हो सकती है. एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. उनका कहना है कि ऐसे में वे कभी भी एंबुलेंस सेवा को बंद कर सकते हैं.

Rajasthan News,  Ambulance service may be closed
प्रदेश में कभी भी एंबुलेंस सेवा हो सकती है बंद
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Published : Aug 11, 2020, 5:14 PM IST

जयपुर. प्रदेशभर के एंबुलेंस कर्मचारी एक बार फिर आंदोलन की राह पर उतर सकते हैं. एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. ऐसे में एंबुलेंस कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि प्रदेश में कभी भी एंबुलेंस सेवाएं उनके ओर से बंद की जा सकती है.

प्रदेश में कभी भी एंबुलेंस सेवा हो सकती है बंद

दरअसल, एंबुलेंस कर्मचारियों कि कुछ लंबित मांगी थी और इन मांगों को लेकर एंबुलेंस कर्मचारियों और सरकार के बीच सहमति भी बनी थी, लेकिन एंबुलेंस कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें आज तक लागू नहीं किया गया है. यूनियन का यह भी कहना है कि उनके ओर से लगातार एनएचएम के मिशन निदेशक को इस बारे में जानकारी दी जा रही है और कुछ समय पहले एक बार फिर एनएचएम निदेशक से वार्ता भी हुई थी, लेकिन बावजूद इसके अभी तक जो लंबित मांगे हैं उन पर सुनवाई नहीं की जा रही है.

पढ़ें- राजस्थान में नहीं थम रहा कोरोना का कहर, संक्रमितों का आंकड़ा 54 हजार के पार...अब तक 810 मौतें

राजस्थान एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि कर्मचारियों की कुछ मांगों को लेकर यूनियन और सरकार के बीच बीते वर्ष कुछ मांगों पर सहमति बनी थी और राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी मामले में हस्तक्षेप किया था. यूनियन का कहना है कि राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार जारी किया गया वेतनमान अभी तक एंबुलेंस कर्मचारियों को नहीं मिल रहा है.

साथ ही यूनियन की मांग थी कि कर्मचारियों का कार्य समय श्रम कानून के अनुसार 8 घंटे किया जाए. राज्य सरकार की ओर से संविदाकर्मी कमेटी बनाई गई है, जिसमें एंबुलेंस कर्मचारियों को भी शामिल किया जाए. एंबुलेंस सेवा के लिए नई निविदा में सुनिश्चित किया जाए कि किसी कर्मचारी को कार्य से नहीं हटाया जाएगा. ऐसी ही कुछ मांगों पर राजस्थान उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप बाद यूनियन और सरकार के बीच सहमति बनी थी.

टेंडर हुआ खत्म...

राजस्थान एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन का यह भी कहना है कि एंबुलेंस संचालन कर रही जीवीके ईएमआरआई (GVK EMRI) कंपनी का टेंडर 21 जून वर्ष 2019 को खत्म हो गया, लेकिन सरकार की ओर से एंबुलेंस संचालन के लिए नया टेंडर नहीं निकाला गया है. बार-बार इसी कंपनी का टेंडर एक्सटेंशन कर दिया गया है.

यूनियन के कर्मचारियों ने इस एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कई बार कर्मचारियों की समस्याएं कंपनी को बताई गई, लेकिन इसके बावजूद बीते 7 वर्षों से एंबुलेंस कर्मचारी अल्प वेतन में कार्य कर रहे हैं. हालांकि 21 अगस्त को कंपनी का एक्सटेंशन खत्म हो रहा है और अभी तक भी सरकार की ओर से नया टेंडर नहीं किया गया है.

जयपुर. प्रदेशभर के एंबुलेंस कर्मचारी एक बार फिर आंदोलन की राह पर उतर सकते हैं. एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. ऐसे में एंबुलेंस कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि प्रदेश में कभी भी एंबुलेंस सेवाएं उनके ओर से बंद की जा सकती है.

प्रदेश में कभी भी एंबुलेंस सेवा हो सकती है बंद

दरअसल, एंबुलेंस कर्मचारियों कि कुछ लंबित मांगी थी और इन मांगों को लेकर एंबुलेंस कर्मचारियों और सरकार के बीच सहमति भी बनी थी, लेकिन एंबुलेंस कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें आज तक लागू नहीं किया गया है. यूनियन का यह भी कहना है कि उनके ओर से लगातार एनएचएम के मिशन निदेशक को इस बारे में जानकारी दी जा रही है और कुछ समय पहले एक बार फिर एनएचएम निदेशक से वार्ता भी हुई थी, लेकिन बावजूद इसके अभी तक जो लंबित मांगे हैं उन पर सुनवाई नहीं की जा रही है.

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राजस्थान एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि कर्मचारियों की कुछ मांगों को लेकर यूनियन और सरकार के बीच बीते वर्ष कुछ मांगों पर सहमति बनी थी और राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी मामले में हस्तक्षेप किया था. यूनियन का कहना है कि राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार जारी किया गया वेतनमान अभी तक एंबुलेंस कर्मचारियों को नहीं मिल रहा है.

साथ ही यूनियन की मांग थी कि कर्मचारियों का कार्य समय श्रम कानून के अनुसार 8 घंटे किया जाए. राज्य सरकार की ओर से संविदाकर्मी कमेटी बनाई गई है, जिसमें एंबुलेंस कर्मचारियों को भी शामिल किया जाए. एंबुलेंस सेवा के लिए नई निविदा में सुनिश्चित किया जाए कि किसी कर्मचारी को कार्य से नहीं हटाया जाएगा. ऐसी ही कुछ मांगों पर राजस्थान उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप बाद यूनियन और सरकार के बीच सहमति बनी थी.

टेंडर हुआ खत्म...

राजस्थान एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन का यह भी कहना है कि एंबुलेंस संचालन कर रही जीवीके ईएमआरआई (GVK EMRI) कंपनी का टेंडर 21 जून वर्ष 2019 को खत्म हो गया, लेकिन सरकार की ओर से एंबुलेंस संचालन के लिए नया टेंडर नहीं निकाला गया है. बार-बार इसी कंपनी का टेंडर एक्सटेंशन कर दिया गया है.

यूनियन के कर्मचारियों ने इस एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कई बार कर्मचारियों की समस्याएं कंपनी को बताई गई, लेकिन इसके बावजूद बीते 7 वर्षों से एंबुलेंस कर्मचारी अल्प वेतन में कार्य कर रहे हैं. हालांकि 21 अगस्त को कंपनी का एक्सटेंशन खत्म हो रहा है और अभी तक भी सरकार की ओर से नया टेंडर नहीं किया गया है.

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