जयपुर. राजस्थान में मंदिर तोड़े जाने के मामले में सियासी वार-पलटवार चरम पर है. पीसीसी चीफ डोटासरा के बाद अब उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत सरकार पर निशाना साधा है. प्रदेश भाजपा मुख्यालय में शुक्रवार को बुलाई गई प्रेस वार्ता में राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राजगढ़ नगर पालिका ने प्रस्ताव रखा था कि जो रोड 60 फुट की है, उसे मौजूदा निर्माण के चलते 30 फुट की किया जाए. राठौड़ ने कहा कि नगर पालिका के प्रस्ताव में अतिक्रमण हटाने के नाम पर बुलडोजर लेकर मंदिरों को ध्वस्त करने की बात नहीं थी.
राठौड़ ने कहा कि यदि विकास के कार्य के बीच आस्था के केंद्र आ रहे हैं तो विधि विधानपूर्वक मूर्तियों को अन्य स्थान पर स्थापित करने के बाद काम होता है. लेकिन मौजूदा गहलोत सरकार के कार्यकाल में तो (Rajendra Rathore Targeted Gehlot Government) मंदिरों को हटाने का काम हो रहा है. राठौड़ ने कहा कि जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है, तब से सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने की संभावना है बढ़ गई है.
एसडीएम ने दिया नोटिस, कलेक्टर ने सचिवालय से लिए अनुमति और तोड़ा मंदिर : प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राजगढ़ में मंदिर तोड़ने को लेकर जो नोटिस जारी किया गया वो एसडीएम ने किया और इसमें कलेक्टर की अनुमति थी. जिला कलेक्टर ने इसके लिए सचिवालय में बैठे विभाग से जुड़े आला अधिकारियों की अनुमति ली थी. मतलब राज्य सरकार की अनुमति से ही यह मंदिर तोड़ा गया है. राठौड़ ने यह भी कहा कि नगर पालिका के भीतर जो मास्टर प्लान बनता है, उसे क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की ही होती है. उसमें यदि 60 फीट की रोड पर धार्मिक आस्था के केंद्र आ रहे हैं तो उसमें तब्दीली का अधिकार भी राज्य सरकार के पास ही है.
राठौड़ ने कहा कि यह वही अलवर है, जहां हरीश जाटव को पीट-पीटकर मार डाला और मुख बधिर के साथ रेप जैसी घटनाएं भी हुईं तो मॉब लिंचिंग के मामले भी सामने आए. राठौड़ ने कहा कि बीजेपी ने इस मामले में (Bulldozer on 3 temples in Rajgarh of Alwar) सांसद सुमेधानंद की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है जो घटना की जांच कर पार्टी को रिपोर्ट सौंपेगी और उसके आधार पर फिर भाजपा आंदोलन करेगी. राठौड़ ने इस मामले में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग भी मुख्यमंत्री से की है.
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विधायक का दिखाया वीडियो, लगाए यह आरोप : राठौड़ ने स्थानीय कांग्रेस विधायक जौहरी लाल मीणा का एक वीडियो भी दिखाया और आरोप लगाया कि इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी पहले से विधायक मीणा को
थी. राठौड़ ने कहा कि मंदिर तोड़ने की कार्रवाई को रोकने के लिए विधायक ने पालिका के 34 विधायकों को अपने सामने नतमस्तक होने को कहा और यह भी आश्वासन दिया कि यह कार्रवाई रुकवा देंगे. यह बयान इस बात को दर्शाता है कि स्थानीय कांग्रेस विधायक की जानकारी में सब कुछ था, लेकिन उसे रोका नहीं गया.
वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में मंदिर तोड़े नहीं, दूसरी जगह स्थापित किए : राठौड़ से पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में मंदिर तोड़ने की घटना से जुड़ा सवाल पूछा गया तो राठौड़ ने कहा कि पूर्व में मंदिर तोड़े नहीं गए, बल्कि मंदिर दूसरी जगह स्थापित किए गए थे. राठौड़ ने कहा कि हम मंदिर के नाम पर भड़काना नहीं चाहते, लेकिन धार्मिक आस्था पर यदि प्रहार होगा तो हम सामने खड़े होंगे.