जयपुर . लोकसभा चुनाव के मैदान में चढ़ते चुनावी पारे के बीच भाजपा और हनुमान बेनीवाल की रालोपा के बीच हुए गठबंधन को राजस्थान की राजनीति में बड़े उलटफेर के रूप में देखा जा रहा है. इस गठबंधन का लोकसभा चुनाव के मैदान में पड़ने वाले असर को लेकर कयासों का दौर जारी है. वहीं, गठबंधन के लिए दोनों दलों के बीच फाइनल हुई डील को लेकर भी चर्चाओं का बाजार सुर्ख बना हुआ है.
लोकसभा के सियासी जमीन को साधने में जुटी भाजपा की ओर से गठबंधन की राह पर कदम बढ़ाने का असर राजस्थान की कई सीटों पर पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है. खासतौर पर यह माना जा रहा है कि बेनीवाल को साथ में लेने के बाद जाट बैल्ट में पार्टी अपनी जमीनी स्थिति को पहले से ज्यादा मजबूत कर सकेगी. जाट बैल्ट को लेकर भाजपा अपनी रणनीति को तैयार करने में जुट गई है. वहीं, राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि चुनावी एलान से पहले ही भाजपा बेनीवाल के संपर्क में आ गई थी. लेकिन, बीच में कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच भाजपा ने वेट एण्ड वॉच की स्थिति बनाए रखी. बेनीवाल और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो पाने के बाद भाजपा ने मौका देख दांव खेल दिया.
सूत्रों की मानें तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पहले चाहते थे कि रालोपा का भाजपा में विलय हो जाए. लेकिन, इस मसौदे पर बेनीवाल तैयार नहीं हुए. इसके बाद गठबंधन के फार्मूले को तैयार किया गया. सूत्रों ने बताया कि गठबंधन के मसौदे के बीच बेनीवाल नागौर सीट पर खुद के बजाए किसी उम्मीदवार को उतारना चाहते थे. लेकिन, भाजपा ने उनसे खुद इस सीट से चुनाव लड़ने की बात कही. जिस पर बेनीवाल तैयार हो गए. इसके बाद भाजपा और रालोपा के बीच गठबंधन पर मुहर लग गई.