जयपुर. तन्मय कुमार वसुंधरा सरकार का वह नाम है जिसके इर्द-गिर्द 5 साल तक सरकार चली. कहते हैं कि सरकार को अगर कोई भी फैसला करना होता था तो वह बिना आईएएस तन्मय कुमार के नहीं हो सकता था. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रमुख सचिव में शामिल तन्मय कुमार को लेकर मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विपक्ष में रहते के दौरान कई बार तंज भी कसते रहे हैं, लेकिन फिलहाल मामला उल्टा है. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रमुख सचिव पर भी इसी तरह के आरोप लगने लगे हैं. खास बात यह है कि यह आरोप किसी ब्यूरोकेट्स या बाहरी व्यक्ति ने नहीं बल्कि गहलोत सरकार के अपने मंत्री (Allegations on Chief Minister Principal Secretary Kuldeep Ranka) ने ही लगाए हैं.
अशोक चांदन ने सोशल मीडिया पर खोला मोर्चा
खेल मंत्री अशोक चांदना ने दो दिन पहले सोशल मीडिया पर लिखा था कि मुख्यमंत्री मेरा आपसे व्यक्तिगत अनुरोध है कि मुझे इस जलालत भरे पद से मुक्त कर मेरे सभी विभागों का चार्ज कुलदीप रांका को दे दिया जाए, क्योंकि वैसे भी वह ही सभी विभागों के मंत्री हैं.
क्या है चांदना का यह ट्वीट
दरअसल अशोक चांदना ने अपनी नाराजगी सोशल मीडिया के जरिए व्यक्त की है. अशोक चांदना के इस ट्वीट में वे वही सब आरोप मुख्यमंत्री प्रमुख सचिव कुलदीप रांका का पर लगा रहे हैं जिस तरह के आरोप कभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रमुख सचिव तन्मय कुमार पर लगाया करते थे. वसुंधरा सरकार के वक्त कई बार मुख्यमंत्री गहलोत ने आईएएस संजय कुमार पर तंज कसते हुए कहा था कि सरकार को एक ब्यूरोक्रेट्स चला रहा है. एक आईएएस वन मैन वन बॉस बनकर काम कर रहा है.
गहलोत के निशाने पर तन्मय कुमार
अशोक चांदना ने जो आरोप कुलदीप रांका पर लगाए उसी तरह के उसी तरह से वसुंधरा राजे सरकार में आईएएस तन्मय कुमार पर भी लगे थे. गहलोत ने प्रेस वार्ता में कहा था कि वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री नहीं बल्कि आईएएस तन्मय कुमार के पास CM का पावर है. उनके आगे न तो मंत्रियों की चलती है और न ही किसी और आईएएस अधिकारी की. इतना ही नहीं, सरकार में फाइलों का मोमेंट भी तन्मय कुमार की इजाजत के बिना नहीं होता है. यह भी कहा जा सकता है कि तन्मय कुमार की इजाजत के बिना सरकार में पत्ता तक नहीं हिलता. अशोक गहलोत ने अपने बयान में कहा कि तन्मय कुमार नाम के आईएएस अधिकारी डी फैक्टर मुख्यमंत्री बन कर काम कर रहे हैं.
कांग्रेस सरकार बनने के बाद बीकानेर
प्रदेश में गहलोत सरकार बनने के साथ ही भाजपा सरकार में पांच साल तक सबसे ताकतवर पद पर बैठे प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री तन्मय कुमार का तबादला आयुक्त सिंचित क्षेत्र बीकानेर कर दिया गया है. हालांकि तन्मय कुमार वहां पर ज्यादा दिन नहीं रुके और कुछ महीनों बाद ही उन्होंने दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर चले गए.
ब्यूरोकेसी के निशाने पर रांका
ऐसा नहीं है की कुलदीप रांका को लेकर जनप्रतिनिधियों की नाराजगी रही हो, बल्कि अंदरखाने की माने तो ब्यूरोक्रेट्स कुलदीप रांका की कार्यशैली को लेकर असंतुष्ट नजर आ रहे हैं. ब्यूरोक्रेट्स को लगता है कि किसी भी तबादला सूची में उन्हीं को वरीयता दी जाती है जो कुलदीप रांका के नजदीकी हैं. आरोप यह भी लगे हैं कि विभाग की फाइलें पहले कुलदीप रांका के पास जाती हैं.
मुख्यमंत्री प्रमुख सचिव पर लगते रहे हैं आरोप
ऐसा नहीं है कि कुलदीप रांका के ऊपर ही पहली बार इस तरह के आरोप लगे हैं. इससे पहले भी तन्मय कुमार हों या उनसे पहले जो भी मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव रहे हैं उन पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह अपनी मर्जी चला रहे हैं. लेकिन जानकर यह भी कहते हैं कि मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के पास बड़ी जिम्मेदारी होती है. वह सभी विभागों पर नजर रखें और उसकी पूरी जानकारी मुख्यमंत्री तक पहुंचाएं. अगर प्रमुख सचिव विभागों पर कमांड नहीं रखेंगे तो सरकार की नीयत और नीति को धरातल पर उतारना भी संभव नहीं है. वे कहते हैं कि इस पद की बड़ी जिम्मेदारी होती है, लेकिन कई बार जनप्रतिनिधि या ब्यूरोक्रेट्स उसे अलग तरीके से समझने लगते हैं.