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राजेंद्र राठौड़ ने लगाया राज्यपाल के अधिकारों के हनन का आरोप, विधानसभा सचिव को फिर लिखा पत्र...

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Published : Aug 17, 2021, 8:37 PM IST

राजस्थान विधानसभा के 9 सितंबर से शुरू होने वाले आगामी सत्र पर सियासी विवाद मंडरा रहा है. भाजपा ने पिछला विधानसभा बजट सत्र का सत्रावसान किए बिना फिर से विधानसभा की कार्यवाही शुरू करवाने के मामले में राज्यपाल के अधिकारों के हनन का आरोप लगाया तो साथ ही यह भी कहा कि सचिन पायलट खेमे की बगावत के बाद विधानसभा सत्र बुलाने पर राज्यपाल और सरकार के बीच हुए टकराव की वजह से ही सरकार ये कृत्य कर रही है.

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राजेंद्र राठौड़ ने लगाया राज्यपाल के अधिकारों के हनन का आरोप

जयपुर. भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने विधानसभा सचिव को मंगलवार को एक और पत्र लिखकर इस मामले में अपनी नाराजगी जताई. राठौड़ ने कहा कि बजट सत्र का सत्रावसान करने के लिए प्रदेश सरकार ने राजभवन में फाइल नहीं भेजी जो सीधे तौर पर राज्यपाल के अधिकारों पर अतिक्रमण है और लोकतंत्र का अपमान भी.

राठौड़ ने इस दौरान संविधान के आर्टिकल 174 का भी पत्र में उल्लेख किया और कहा कि सत्रवासन किए बिना सत्र आहूत करने से विधायक प्रश्न पूछने से भी वंचित रह जाएंगे. उन्होंने मांग की है कि विधानसभा का सत्रावसान कर राज्यपाल से विधानसभा आहूत करवाई जाए.

पढ़ें : राजस्थान में पीड़ितों को नहीं करना पड़ेगा लंबा इंतजार, CM गहलोत ने लिया ये बड़ा फैसला

संविधान के आर्टिकल 174 में राज्यपाल को मिले हैं यह अधिकार...

संविधान के आर्टिकल 174 में राज्यपाल को समय-समय पर राज्य के विधान मंडल के सदस्य प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर जो वो ठीक समझें, अधिवेशन के लिए आहूत करने का अधिकार दिया है. लेकिन उसके एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की पहली बैठक के लिए नियत तारीख के बीच कम से कम 6 महीने का अंतर नहीं होगा. इसके तहत राज्यपाल सदन का या किसी सदन का सत्रावसान कर सकेगा. विधानसभा का विघटन कर सकेगा.

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विधानसभा सचिव को फिर लिखा पत्र...

सियासी संकट के समय हुआ था राज्यपाल से विवाद, शायद यही एक बड़ा कारण...

प्रदेश में जब सियासी संकट आया था तब सचिन पायलट की नाराजगी के समय सरकार 31 जुलाई 2020 से पहले विधानसभा का सत्र बुलाना चाहती थी. बकायदा इसके लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पारित करके राज्यपाल को फाइल भी भेजी गई, लेकिन तब राज्यपाल कलराज मिश्र ने 21 दिन पहले नोटिस न देकर अचानक सत्र बुलाने के कारण को पूछते हुए फाइल वापस लौटा दी थी.

हालांकि, इसके बाद सरकार ने 3 बार राजभवन फाइल भेजी, लेकिन बार-बार यह फाइल सरकार को लौटा दी गई. जिसके चलते राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी. उस दौरान राजभवन में कांग्रेस व समर्थित निर्दलीय विधायकों ने धरना कर नारेबाजी भी की थी. हालांकि, बाद में राज्यपाल कलराज मिश्र ने 14 अगस्त 2020 को राजस्थान विधानसभा का सत्र बुलाने की फाइल पर अपनी मंजूरी दे दी थी.

जयपुर. भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने विधानसभा सचिव को मंगलवार को एक और पत्र लिखकर इस मामले में अपनी नाराजगी जताई. राठौड़ ने कहा कि बजट सत्र का सत्रावसान करने के लिए प्रदेश सरकार ने राजभवन में फाइल नहीं भेजी जो सीधे तौर पर राज्यपाल के अधिकारों पर अतिक्रमण है और लोकतंत्र का अपमान भी.

राठौड़ ने इस दौरान संविधान के आर्टिकल 174 का भी पत्र में उल्लेख किया और कहा कि सत्रवासन किए बिना सत्र आहूत करने से विधायक प्रश्न पूछने से भी वंचित रह जाएंगे. उन्होंने मांग की है कि विधानसभा का सत्रावसान कर राज्यपाल से विधानसभा आहूत करवाई जाए.

पढ़ें : राजस्थान में पीड़ितों को नहीं करना पड़ेगा लंबा इंतजार, CM गहलोत ने लिया ये बड़ा फैसला

संविधान के आर्टिकल 174 में राज्यपाल को मिले हैं यह अधिकार...

संविधान के आर्टिकल 174 में राज्यपाल को समय-समय पर राज्य के विधान मंडल के सदस्य प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर जो वो ठीक समझें, अधिवेशन के लिए आहूत करने का अधिकार दिया है. लेकिन उसके एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की पहली बैठक के लिए नियत तारीख के बीच कम से कम 6 महीने का अंतर नहीं होगा. इसके तहत राज्यपाल सदन का या किसी सदन का सत्रावसान कर सकेगा. विधानसभा का विघटन कर सकेगा.

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विधानसभा सचिव को फिर लिखा पत्र...

सियासी संकट के समय हुआ था राज्यपाल से विवाद, शायद यही एक बड़ा कारण...

प्रदेश में जब सियासी संकट आया था तब सचिन पायलट की नाराजगी के समय सरकार 31 जुलाई 2020 से पहले विधानसभा का सत्र बुलाना चाहती थी. बकायदा इसके लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पारित करके राज्यपाल को फाइल भी भेजी गई, लेकिन तब राज्यपाल कलराज मिश्र ने 21 दिन पहले नोटिस न देकर अचानक सत्र बुलाने के कारण को पूछते हुए फाइल वापस लौटा दी थी.

हालांकि, इसके बाद सरकार ने 3 बार राजभवन फाइल भेजी, लेकिन बार-बार यह फाइल सरकार को लौटा दी गई. जिसके चलते राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी. उस दौरान राजभवन में कांग्रेस व समर्थित निर्दलीय विधायकों ने धरना कर नारेबाजी भी की थी. हालांकि, बाद में राज्यपाल कलराज मिश्र ने 14 अगस्त 2020 को राजस्थान विधानसभा का सत्र बुलाने की फाइल पर अपनी मंजूरी दे दी थी.

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