ETV Bharat / city

Lock Down तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई में भेदभाव का आरोप, हाई कोर्ट में PIL दाखिल - Rajasthan Breaking News

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन को तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई में भेदभाव करने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की गई है, जिस पर हाईकोर्ट की खंडपीठ आगामी सप्ताह सुनवाई करेगी.

राजस्थान हाई कोर्ट, Rajasthan High Court
राजस्थान हाई कोर्ट
author img

By

Published : Jun 4, 2021, 10:17 PM IST

जयपुर. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन को तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई में भेदभाव करने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की गई है, जिस पर हाईकोर्ट की खंडपीठ आगामी सप्ताह सुनवाई करेगी. प्रकाश ठाकुरिया की ओर से पेश इस जनहित याचिका में मुख्य सचिव, प्रमुख गृह सचिव और डीजीपी सहित जयपुर पुलिस आयुक्त को पक्षकार बनाया गया है.

याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए गत 25 मई से 8 जून तक लॉकडाउन लगाया है. राज्य सरकार की गाइड लाइन के तहत किसी की मृत्यु होने पर उसके अंतिम संस्कार में सिर्फ 20 लोग ही भाग ले सकते हैं. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार लॉकडाउन तोड़ने वालों को लेकर धार्मिक आधार पर भेदभाव कर रही है.

यह भी पढ़ेंः Black Fungus का इंजेक्शन उपलब्ध कराने में लापरवाही कर रही Modi सरकारः गहलोत

गत एक जून को मुस्लिम धार्मिक नेता हाजी रफअत अली खान के जनाजे में सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे. पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अधिकारियों के मौके पर होने के बाद भी इन लोगों पर कार्रवाई नहीं की गई. इसी तरह जैसलमेर में गाजी फकीर के जनाजे में 500 से अधिक लोग मौजूद थे, लेकिन उन पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.

दूसरी ओर धौलपुर में एक एमएलए ने मंदिर स्थापना के लिए गांव वालों को बुलाया था. मौके पर 500 लोगों के पहुंचने पर राज्य सरकार ने कलक्टर, डीजीपी और एसपी को नोटिस जारी कर दिए. इसी तरह हिंदू संप्रदाय के मंदिरों लाउडस्पीकर के उपयोग पर पाबंदी लगा दी गई है, जबकि दूसरी ओर 5 समय की अजान में इसके उपयोग पर पाबंदी नहीं है. इस संबंध में विधायक अशोक लाहोटी भी राज्य सरकार को पत्र लिखकर विरोध दर्ज करा चुके हैं. याचिका में गुहार की गई है कि जनाजे में भीड़ रोकने में असफल रहे पुलिस अफसरों पर कार्रवाई की जाए.

जयपुर. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन को तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई में भेदभाव करने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की गई है, जिस पर हाईकोर्ट की खंडपीठ आगामी सप्ताह सुनवाई करेगी. प्रकाश ठाकुरिया की ओर से पेश इस जनहित याचिका में मुख्य सचिव, प्रमुख गृह सचिव और डीजीपी सहित जयपुर पुलिस आयुक्त को पक्षकार बनाया गया है.

याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए गत 25 मई से 8 जून तक लॉकडाउन लगाया है. राज्य सरकार की गाइड लाइन के तहत किसी की मृत्यु होने पर उसके अंतिम संस्कार में सिर्फ 20 लोग ही भाग ले सकते हैं. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार लॉकडाउन तोड़ने वालों को लेकर धार्मिक आधार पर भेदभाव कर रही है.

यह भी पढ़ेंः Black Fungus का इंजेक्शन उपलब्ध कराने में लापरवाही कर रही Modi सरकारः गहलोत

गत एक जून को मुस्लिम धार्मिक नेता हाजी रफअत अली खान के जनाजे में सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे. पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अधिकारियों के मौके पर होने के बाद भी इन लोगों पर कार्रवाई नहीं की गई. इसी तरह जैसलमेर में गाजी फकीर के जनाजे में 500 से अधिक लोग मौजूद थे, लेकिन उन पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.

दूसरी ओर धौलपुर में एक एमएलए ने मंदिर स्थापना के लिए गांव वालों को बुलाया था. मौके पर 500 लोगों के पहुंचने पर राज्य सरकार ने कलक्टर, डीजीपी और एसपी को नोटिस जारी कर दिए. इसी तरह हिंदू संप्रदाय के मंदिरों लाउडस्पीकर के उपयोग पर पाबंदी लगा दी गई है, जबकि दूसरी ओर 5 समय की अजान में इसके उपयोग पर पाबंदी नहीं है. इस संबंध में विधायक अशोक लाहोटी भी राज्य सरकार को पत्र लिखकर विरोध दर्ज करा चुके हैं. याचिका में गुहार की गई है कि जनाजे में भीड़ रोकने में असफल रहे पुलिस अफसरों पर कार्रवाई की जाए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.