जयपुर. प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा ग्रास रूट मीडिया फाउंडेशन के सहयोग से राजस्थानी साहित्य कला और संस्कृति से रूबरू कराने के उद्देश्य से 'आखर' का आयोजन हुआ. जयपुर के निजी होटल में हुए कार्यक्रम में आखर श्रृंखला में राजस्थानी भाषा की साहित्यकार आनंद कौर व्यास से उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर चर्चा की गई. जहां उनके साथ लेखिका मोनिका गौड़ ने वन-टू-वन संवाद किया.
कार्यक्रम की शुरुआत में बाल साहित्य मदर टेरेसा की जीवनी और बच्छेन्द्री पाल की जीवनी पर लेख दिये. कार्यक्रम के दौरान आनंद कौर व्यास को 1995 में राजस्थानी भाषा में लिखने के शुरुआती दिनों के बारे में पूछा गया. जिसपर उन्होंने कहा कि उनकी रचनाओं में क्रांतिकारी चित्रणों को प्रमुखता दी जाती है.
उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है और हमारे आसपास निरंतर कहानियां बन रही है और घट रही है. इसलिए आप किसी विषय से अछूते नहीं रह सकते. विशेषकर कामकाजी महिला जीवन की विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करती हैं. वहीं सामाजिक स्तर पर कई समस्या और कुरीतियां उनके विकास में बाधक हैं. इसके लिए आवश्यक है कि इन सभी विषय पर चर्चा की जाए.
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उन्होंने राजस्थानी लेखिकाओं को साधुवाद करते हुए कहा कि वह लगातार बेहतर लिख रही हैं और विषयों में समावेश करते हुए उन अनछुए पहलुओं को सम्मिलित कर रही हैं. जिनमें परंपरागत रूप से लोग बचते रहे. अपने संवाद में आनंद कौर व्यास ने अपनी कथाओं 'मोल मिनखाचारे रो' और 'मून रा चितराम' का पाठ भी किया. बीकानेर में जन्मी आनंद कौर व्यास ने 1995 में ही राजस्थानी भाषा पर लिखना शुरू कर दिया था. जिसको लेकर उन्होंने लेखक जीवन की शुरुआत और अपने बचपन के अनुभव को भी साझा किया.