जयपुर. करीब 40 साल पुरानी व्यवस्था को समाप्त करते हुए वन उत्पादों के व्यापार से जुड़े व्यापारियों को बड़ी राहत दी गई है. अब मंडी प्रांगण के बाहर वन उत्पादों पर कृषि मंडी शुल्क नहीं लगेगा. कृषि उपज मंडी समिति प्रांगण के बाहर तेंदू पत्ता, काष्ठ और अकाष्ठ समेत सभी वन उत्पादों पर कृषि मंडी शुल्क और कृषि कल्याण शुल्क अब नहीं वसूला जाएगा.
वन विभाग और कृषि विभाग की ओर से बातचीत के बाद सक्षम स्तर पर य़ह निर्णय लिया गया है. इस निर्णय के बाद प्रदेश में पिछले 30 से 40 वर्षों से चली आ रही व्यवस्था समाप्त हो जाएगी. प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रुति शर्मा के अनुसार वन विभाग की ओर से तेंदू पत्ता, काष्ठ और अकाष्ठ वन उपजों के व्यापार से जुड़े व्यापारियों की मांग को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के मंडी प्रांगण के बाहर इन उत्पादों को कृषि मंडी शुल्क और कृषि कल्याण फीस की वसूली से मुक्त कर दिया गया है. इस संबंध में वन विभाग की ओर से कृषि विभाग को प्रस्ताव भिजवाया गया था.
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दोनों विभागों की ओर से सक्षम स्तर पर निर्णय के बाद राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम की धारा 17 में 14 सितंबर 2020 से संशोधन के उपरांत राज्य के मंडी प्रांगण के बाहर विज्ञप्त कृषि उत्पादों के विपणन पर कृषि मंडी शुल्क और कृषि कल्याण फीस अब नहीं वसूली जाएगी. संशोधन के बाद इस संबंध में विभागीय विपणन व्यवस्था से तेंदू पत्ता, काष्ठ और अकाष्ठ के व्यापार से जुड़े व्यापारियों द्वारा यदि कहीं कृषि मंडी शुल्क या कृषक कल्याण फीस का भुगतान किया गया है, तो वह दी गई फीस राशि को संबंधित मंडी से प्राप्त कर सकेंगे.
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्पादन आनंद मोहन के अनुसार इस निर्णय के बाद प्रदेश में पिछले 30 से 40 वर्षों से चली आ रही पुरानी व्यवस्था समाप्त हो जाएगी. इससे वन उत्पादों के व्यापार से जुड़े व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी. इस निर्णय को प्रभावित करने में वन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा, शासन सचिव और प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रुति शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
सतीश पूनिया ने सीएचसी जालसू को दिए वेंटिलेटर
जयपुर में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया ने आमेर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जालसू में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त वेंटिलेटर उपलब्ध करवाए हैं. पूनिया ने आमेर के जालसू स्वास्थ्य केंद्र के लिए आधुनिक एंबुलेंस समेत चिकित्सा उपकरणों की खरीद और एंबुलेंस के लिए एक करोड़ रुपए से अधिक राशि स्वीकृत की है. सतीश पूनिया ने आमेर के हाथी पालकों को आर्थिक मदद के लिए 20 मई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा था. इसके बाद गहलोत की ओर से हाथियों की सहायता के लिए 1500 रुपए प्रति हाथी सहायता राशि स्वीकृत की गई है. मामले पर संज्ञान लेने पर पूनिया ने मुख्यमंत्री का आभार जताया है.