जयपुर. पाकिस्तान में 36 साल सलाखों के पीछे रहने के बाद भारत लौटे गजानंद शर्मा को प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सार्वजनिक मंच से एक लाख रुपए देने की घोषणा की थी. साथ ही क्षेत्रीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी अलग से गजानंद को एक लाख रुपए देने की घोषणा की थी. यह राशि एक साल बीत जाने के बाद भी गजानंद नहीं मिली और ना ही सरकार की तरफ से कोई सहायता राशि मिली.
गजानंद शर्मा की मदद के लिए तत्कालीन बीजेपी सरकार ने एक लाख रुपए देने की घोषणा कर वाहवाही बटोरी थी. लेकिन एक साल बीत जाने के बाद अब तक गजानंद के घर जाकर ना तो किसी ने हाल-चाल पूछा और ना ही उन्हें कोई सहायता राशि मिली. तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा ने राजे 15 अगस्त के दिन बड़ी चौपड़ पर बीजेपी कार्यकर्ताओं की ओर से की गई घोषणा के बाद खुद भी एक लाख रूपए की राशि देने की घोषणा की थी. लेकिन कुछ महीनों बाद ही सत्ता बदल गई और घोषित राशि गजानंद को नहीं मिली.
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गजानंद के परिजनों को इंतजार है कि घोषित राशि मिले को जीवन बसर हो सके. परिजनों की माने तो ना तो सरकार और ना ही किसी अन्य व्यक्ति में उन्हें कोई सहायता राशि दी. गजानंद शर्मा का बैंक खाता भी खुलवा लिया गया था लेकिन जो घोषणा की गई थी वो गजानंद की याददाश्त की तरह ही भूली बिसरी हो गई है. वहीं इस संबंध में क्षेत्रीय विधायक और मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि गजानंद से मिलकर जो परिस्थिति हैं, उनकी जानकारी ली जाएगी. सरकार की तरफ से हर संभव सहायता के पूरे प्रयास किए जाएंगे.
कौन हैं गजानंद शर्मा:
जयपुर के रहने वाले गजानंद जब 32 साल के जवान युवक थे तभी उन्हें सीमा पर पाकिस्तानी रेंजरों ने गिरफ्तार कर लिया था. उनका अपराध तो आज तक पता नहीं चला, लेकिन उन्हें सजा केवल दो महीने की ही हुई थी पर गजानंद ने अपनी जिंदगी के 36 साल पाकिस्तान की काल कोठरी में गुजार दिए. गजानंद के जिंदा होने की जानकारी परिवार जनों तो तब लगी जब गजानंद की नागरिकता की जानकारी से संबंधित पाकिस्तान से कुछ कागजात जयपुर ग्रामीण एसपी के कार्यालय पहुंचे. जब पुलिस गजानंद के परिवारवालों के पास पहुंची तो उनके परिवार के लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा.