जयपुर: स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) (Swachh Bharat Mission) का दूसरा चरण यानी SBM-U 2.0 शुरू होने जा रहा है. इसमें प्रदेश की सभी 213 नगरीय निकायों की बड़ी जिम्मेदारी होगी. स्वच्छ भारत मिशन के पहले चरण में प्रदेश के लिए सभी 196 नगरीय निकायों का ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त घोषित होना बड़ी उपलब्धि रही.
पहले चरण में ओडीएफ में सफल होने के बावजूद कुछ कमी रह गई. कमी डोर टू डोर कचरा संग्रहण में रही. इसमें अनियमितता और कचरे का सेग्रीगेशन (Segregation) बड़ी चुनौती रहा. अब SBM 2.0 (Swachh Bharat Abhiyan) में वेस्ट वाटर मैनेजमेंट (Waste Water ) की एक नई जिम्मेदारी सभी नगरीय निकायों को निर्वहन करना होगा.
2014 में हुआ था स्वच्छ भारत मिशन का एलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की जयंती पर पूरे देश में स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission) की शुरुआत की. जिसमें साफ-सुथरे भारत का सपना साकार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. देश में हर जगह स्वच्छता नजर आए और बच्चे साफ-सुथरे माहौल में पले-बढ़े ये सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने अपनी कोशिशें तेज की.
प्रधानमंत्री से लेकर के देश के लाखों बाशिंदे अभियान को सफल बनाने में जुट गए. देश को खुले में शौच से मुक्त करने, ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर योजनाएं तैयार की गई. और उन्हें धरातल पर उतारने का काम प्रदेश की सरकारों ने किया. साल दर साल बजट में विशेष प्रावधान भी किए गए. साथ ही इस अभियान को एक प्रतियोगिता के रूप में शुरू करते हुए स्वच्छ सर्वेक्षण मिशन (Swachh Survekshan Mission) शुरू किया गया.
SBM 2.0 शुरू
इस अभियान का पहला चरण 2014 से 2019 तक 5 वर्ष के लिए किया गया. जिसकी अवधि स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 आने तक बढ़ा दी गई. दूसरे चरण की शुरुआत 2 अक्टूबर 2021 से शुरू है. इससे पहले प्रदेश स्तर पर स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के पहले चरण के बारे में जानकारी देते हुए डीएलबी चीफ इंजीनियर भूपेंद्र माथुर ने बताया कि अभियान (Swachh Bharat Mission) के तहत राज्य के जो भी लक्ष्य थे, उन्हें पूरा किया गया.
अब तक ODF लक्ष्य को यूं किया हासिल
घर-घर शौचालय के तहत 3 लाख 50 हज़ार व्यक्तिगत और घरेलू शौचालय बनाए जाने थे. जिसकी एवज में 3 लाख 68 हज़ार शौचालय बनाए गए. वहीं सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय की बात की जाए तो करीब 18 हज़ार सीट्स का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जिसकी तुलना में 22 हज़ार 547 सीट्स लगाई गई. कोशिश यही रही कि सभी निकायों में खुले में शौच से मुक्ति मिले. चूंकि आबादी का विस्तार लगातार हो रहा है, ऐसे में ये एक सतत प्रक्रिया है.
ये भी पढ़ें- शहर पर 'दाग' : जयपुर के मुद्दे- सफाई, सीवर और सड़क...हर इलाका दागदार, विपक्ष को बोर्ड बैठक का इंतजार
यहां पर खाई मात
वहीं ठोस कचरा प्रबंधन (Solid Waste Management) की बात करें तो घर-घर कचरा संग्रहण (Garbage Collection), परिवहन (Transport), प्रोसेसिंग (Processing) और डिस्पोजल (Disposal) को लेकर व्यवस्था की जानी थी. जिसके तहत 1 या 2 दिन में सभी नगरीय निकायों के प्रत्येक वार्ड में डोर टू डोर कचरा संग्रहण हो जाता है.
लेकिन जहां तक सेग्रीगेशन की बात है उसमें आशा के अनुरूप प्रगति नहीं हो पाई है. भूपेंद्र माथुर ने बताया कि गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करना 'बिहेवियर चेंज' (Behavior Change) से रिलेटेड है. इसके लिए हर घर के बाशिंदे को जागरूक होना होगा. इस तर्ज पर डूंगरपुर, प्रतापगढ़ जैसे छोटे नगरीय निकाय तो आगे बढ़े हैं. बड़े निकायों में कोशिश जारी है.
चुनौतियां अब बढ़ गई हैं
भारत सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.0 में चुनौतियां थोड़ी सी बढ़ा दी है. इसमें ओडीएफ (ODF) और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (Solid Waste Management) के अलावा वेस्ट वाटर मैनेजमेंट (Waste Water Management) का कंपोनेंट भी जोड़ा गया है. यानी आबादी विस्तार के साथ अब दोबारा घरेलू शौचालय (Home Toilets), सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालय के अलावा इससे जुड़ता हुआ वेस्ट वाटर मैनेजमेंट भी करना होगा. जिसके तहत हाउस सीवर कनेक्शन, मैनहोल (Man Hole) की सफाई और 50 फ़ीसदी आबादी को सीवर नेटवर्क से कनेक्ट करना शामिल है.
बहरहाल, स्वच्छ भारत मिशन शहरी के पहले चरण में प्रदेश में सेग्रीगेशन (Segregation) पर काम नहीं हो पाया है. लेकिन अब स्वच्छ भारत मिशन 2.0 (SBM 2.0) में प्रदेश सरकार गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग कर उसे डिस्पोज और रिसाइकल करने पर फोकस करेगी. जिसमें सबसे ज्यादा जरूरी होगा आमजन की जागरुकता और बिहेवियर चेंज (Behavior Change).