जयपुर. प्रदेश में चुनाव से वंचित ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों का कार्यकाल 7 फरवरी को समाप्त हो रहा है. ऐसे में पहली बार ऐसा हो रहा है कि इनकी जिम्मेदारी जनप्रतिनिधि की बजाए प्रशासनिक अधिकारियों के हाथों में रहेगी. पंचायती राज विभाग ने प्रशासक लगाने की तैयारी पूरी कर ली है. जिसके चलते संबंधित जिला कलेक्टर के माध्यम से प्रशासक लगाए जाएंगे.
बता दें कि 33 जिला परिषद, 295 पंचायत समितियां और करीब 4000 ग्राम पंचायतों में प्रशासक लगाए जा रहे हैं. विभाग के तैयार प्रस्ताव के अनुसार जिला परिषदों और पंचायत समितियों में प्रशासक लगाने की कवायद को अंतिम रूम दे दिया गया है. प्रस्ताव के तहत 142 पंचायत समितियों की उन ग्राम पंचायतों में प्रशासक लगाए जा रहे हैं, जहां अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं. ऐसी ग्राम पंचायतों की संख्या करीब 4000 के आसपास है.
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विभाग के प्रस्ताव के अनुसार जिला परिषद और पंचायत समिति में प्रशासक 7 फरवरी के बाद काम करेंगे तथा ग्राम पंचायतों में प्रशासक कार्यकाल पूरा होने तक की तिथि के अनुसार कार्य संभालेंगे. प्रशासक को लगाने और उनके दायित्व को पूरा करने की जिम्मेदारी, जिला कलेक्टर को दी गई है. गौरतलब है कि पंचायत चुनाव में कई बार अड़चन आने के कारण कई जगह चुनाव नहीं हो पाए हैं. ऐसे में प्रशासक लगाने की स्थिति उत्पन्न हो गई है. अब पंचायती राज संस्थानों के कार्यकाल पूरा होने के आधार पर प्रशासक लगाए जा रहे हैं.
दरअसल प्रदेश की गहलोत सरकार ने पंचायतों के पुनर्गठन का काम पूरा करने के लिए मंत्रिमंडल सब कमेटी बनाई थी. डिप्टी सीएम सचिन पायलट की अध्यक्षता में बनी इस मंत्रिमंडल सब कमेटी ने समय पर पुनर्गठन का काम पूरा नहीं किया. जिसकी वजह से यह पूरा मामला हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. इस बीच कानूनी अड़चनों के चलते प्रदेश की ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषद के चुने हुए जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल 7 फरवरी पूरा हो रहा है. जबकि कुछ ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है.
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ऐसे में पहली बार ऐसा हुआ जब पंचायत समिति, जिला परिषद और ग्राम पंचायतों की कमान किसी जनता की ओर से चुने हुए, जनप्रतिनिधि के हाथों में नहीं होकर प्रशासनिक अधिकारियों के हाथों में होगी. माना जा रहा है कि करीब 3 महीने तक जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी प्रशासक संभालेंगे. अप्रैल के दूसरे सप्ताह में चुनाव होने की संभावना है, हालांकि प्रशासक उन ग्राम पंचायत, पंचायत समितियों और जिला परिषद में लगेंगे जो पूर्व से अस्तित्व में हैं. पुनर्गठन के बाद बनी पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों में प्रशासक नहीं लगाए जाएंगे. क्योंकि यहां पर अभी किसी तरह की किसी जनप्रतिनिधि का चुनाव नहीं हुआ और कोई भी ग्राम पंचायत और पंचायत समिति अस्तित्व में नहीं है.