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16 अक्टूबर को है अधिकमास अमावस्या, जाने क्यों है यह खास - hindu dharam

इस बार अधिकमास अमावस्या 16 अक्टूबर को है. अधिकमास का महीना 3 साल में एक बार आता है. जिसके कारण यह अमावस्या बहुत खास हो जाती है.

adhik maas amavasya,  adhik maas amavasya 2020
अधिकमास अमावस्या 2020
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Published : Oct 15, 2020, 8:36 PM IST

जयपुर. अधिकमास अमावस्या 16 अक्टूबर यानी शुक्रवार को है. वहीं, अधिकमास का महीना 3 साल में एक बार आता है, जिसके कारण यह अमावस्या बहुत ही खास है. अमावस्या के दिन कई कार्य वर्जित भी होते हैं, इसलिए भूल से भी इन कार्यों को ना करें. ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि, 18 सितंबर से शुरू हुआ पुरुषोत्तम मास कल समाप्त हो जाएगा और फिर अगले दिन आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाएंगे.

अधिकमास अमावस्या पर क्या करें

पढ़ें: कुमार विश्वास पर कांग्रेस ने कैसे किया 'विश्वास'? पत्नी को RPSC सदस्य बनाने के पीछे ये है अहम वजह...

अधिकमास अमावस्या पर भगवान विष्णु जी की विशेष पूजा की जाती है. इसलिए इस दिन सर्व पितृ पूजा पुनः करनी चाहिए. खासतौर पर मंत्रों की सिद्धि का जाप करना चाहिए. इससे कई परेशानियों और दुखों का निवारण होगा.

वहीं, मान्यता है कि अधिकमास की आखिरी अमावस्या को दान करने से जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहती. भूखे गरीब को भोजन करवाने से भी कभी शारीरिक परेशानियां नहीं होती हैं. आपको बता दें कि, अमावस्या तिथि पर सूर्य और चन्द्र एक साथ एक ही राशि में रहते हैं. यही वजह है कि कल भी सूर्य और चंद्रमा कन्या राशि में होंगे. इस तिथि को स्वामी पितृदेव माने गए है. इसलिए अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य करने का महत्व है.

जयपुर. अधिकमास अमावस्या 16 अक्टूबर यानी शुक्रवार को है. वहीं, अधिकमास का महीना 3 साल में एक बार आता है, जिसके कारण यह अमावस्या बहुत ही खास है. अमावस्या के दिन कई कार्य वर्जित भी होते हैं, इसलिए भूल से भी इन कार्यों को ना करें. ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि, 18 सितंबर से शुरू हुआ पुरुषोत्तम मास कल समाप्त हो जाएगा और फिर अगले दिन आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाएंगे.

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अधिकमास अमावस्या पर भगवान विष्णु जी की विशेष पूजा की जाती है. इसलिए इस दिन सर्व पितृ पूजा पुनः करनी चाहिए. खासतौर पर मंत्रों की सिद्धि का जाप करना चाहिए. इससे कई परेशानियों और दुखों का निवारण होगा.

वहीं, मान्यता है कि अधिकमास की आखिरी अमावस्या को दान करने से जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहती. भूखे गरीब को भोजन करवाने से भी कभी शारीरिक परेशानियां नहीं होती हैं. आपको बता दें कि, अमावस्या तिथि पर सूर्य और चन्द्र एक साथ एक ही राशि में रहते हैं. यही वजह है कि कल भी सूर्य और चंद्रमा कन्या राशि में होंगे. इस तिथि को स्वामी पितृदेव माने गए है. इसलिए अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य करने का महत्व है.

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