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Additional Sessions Court : कार्यपालक मजिस्ट्रेट को चेतावनी, कानून के परे शक्तियों का नहीं करें प्रयोग - Court cancels orders of executive magistrate

अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने कार्यपालक मजिस्ट्रेट को उन्हें प्रदत्त शक्तियों का कानून की सीमा से बाहर जाकर प्रयोग करने पर चेतावनी दी (Court on executive magistrate) है. कोर्ट ने कहा कि कार्यपालक मजिस्ट्रेट की ओर से शक्तियों का दुरुपयोग करने के कारण अपीलार्थी के संवैधानिक अधिकार गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने कार्यपालक मजिस्ट्रेट के गत 11 जुलाई को दिए आदेश को निरस्त कर दिया.

Additional Sessions Court on executive magistrate power and use
कार्यपालक मजिस्ट्रेट को चेतावनी, कानून के परे शक्तियों का नहीं करें प्रयोग
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Published : Jul 14, 2022, 10:54 PM IST

जयपुर. अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम-4 महानगर प्रथम ने कार्यपालक मजिस्ट्रेट एवं अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त मुख्यालय जयपुर दक्षिण को चेतावनी दी (Court on executive magistrate) है कि उन्हें प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कानून की सीमा के बाहर जाकर नहीं करें. इसके साथ ही वे भविष्य में विधि के प्रावधान के तहत न्यायिक विवेक के अनुसार आदेश पारित करें.

अदालत ने कहा कि कार्यपालक मजिस्ट्रेट की ओर से शक्तियों का दुरुपयोग करने के कारण अपीलार्थी के संवैधानिक अधिकार गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं. ऐसे में अपीलार्थी दोषी अधिकारी के खिलाफ विधि अनुसार कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा. वहीं, अदालत ने कार्यपालक मजिस्ट्रेट के गत 11 जुलाई के आदेश को निरस्त कर दिया है. अदालत ने यह आदेश विनोद सोनी की रिवीजन याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि अपीलार्थी को गत 10 जुलाई को शाम पांच बजे गिरफ्तार किया गया था और 11 जुलाई को उसे कार्यपालक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था. कार्यपालक मजिस्ट्रेट अपीलार्थी को शाम पांच से अधिक समय तक हिरासत में भेजने का आदेश नहीं दे सकता था, लेकिन उन्होंने बंधपत्र पेश होने तक अपीलार्थी को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया.

पढ़ें: पुलिस-वकील विवाद : पूर्व DGP प्रकाश सिंह बोले - दोनों तरफ से लांघी गई कानून की सीमा

इसके अलावा कार्यपालक मजिस्ट्रेट की ओर से मामले में तस्दीकशुदा जमानत मुचलका पेश करने का आदेश भी कानूनी रूप से गलत है. मामले के अनुसार अपीलार्थी को सोडाला थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर सीआरपीसी की धारा 107 और धारा 116 के तहत कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष इस्तगासा पेश किया था. कार्यपालक मजिस्ट्रेट के आदेश पर तस्दीकशुदा जमानत पेश नहीं करने पर उसे इनके पेश होने तक जेल में भेजने के आदेश दे दिए. इसे अपीलार्थी ने अदालत में चुनौती दी.

जयपुर. अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम-4 महानगर प्रथम ने कार्यपालक मजिस्ट्रेट एवं अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त मुख्यालय जयपुर दक्षिण को चेतावनी दी (Court on executive magistrate) है कि उन्हें प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कानून की सीमा के बाहर जाकर नहीं करें. इसके साथ ही वे भविष्य में विधि के प्रावधान के तहत न्यायिक विवेक के अनुसार आदेश पारित करें.

अदालत ने कहा कि कार्यपालक मजिस्ट्रेट की ओर से शक्तियों का दुरुपयोग करने के कारण अपीलार्थी के संवैधानिक अधिकार गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं. ऐसे में अपीलार्थी दोषी अधिकारी के खिलाफ विधि अनुसार कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा. वहीं, अदालत ने कार्यपालक मजिस्ट्रेट के गत 11 जुलाई के आदेश को निरस्त कर दिया है. अदालत ने यह आदेश विनोद सोनी की रिवीजन याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि अपीलार्थी को गत 10 जुलाई को शाम पांच बजे गिरफ्तार किया गया था और 11 जुलाई को उसे कार्यपालक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था. कार्यपालक मजिस्ट्रेट अपीलार्थी को शाम पांच से अधिक समय तक हिरासत में भेजने का आदेश नहीं दे सकता था, लेकिन उन्होंने बंधपत्र पेश होने तक अपीलार्थी को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया.

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इसके अलावा कार्यपालक मजिस्ट्रेट की ओर से मामले में तस्दीकशुदा जमानत मुचलका पेश करने का आदेश भी कानूनी रूप से गलत है. मामले के अनुसार अपीलार्थी को सोडाला थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर सीआरपीसी की धारा 107 और धारा 116 के तहत कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष इस्तगासा पेश किया था. कार्यपालक मजिस्ट्रेट के आदेश पर तस्दीकशुदा जमानत पेश नहीं करने पर उसे इनके पेश होने तक जेल में भेजने के आदेश दे दिए. इसे अपीलार्थी ने अदालत में चुनौती दी.

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