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पीएचईडी एसीएस ने जल जीवन मिशन के बकाया काम तेजी से पूरे करने के दिए निर्देश

प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत 24 हजार से अधिक गांवों में 63 लाख घरों तक नल कनेक्शन के माध्यम से पानी पहुंचाने का लक्ष्य है. इन कामों की समीक्षा के लिए आज पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने वर्चुअली मीटिंग ली और बाकी काम जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं.

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Published : Apr 23, 2021, 3:15 AM IST

PHED meeting in Rajasthan, Water Life Mission
पीएचईडी एसीएस ने जल जीवन मिशन के बकाया काम तेजी से पूरे करने के दिए निर्देश

जयपुर. पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने प्रदेश में जल जीवन मिशन के बकाया कार्यों को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं. इस अभियान के तहत 24 हजार से अधिक गांवों के लिए 63 लाख घरों तक नल से पानी पहुंचाने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश में नल कनेक्शन से वंचित लोगों के घरों में नल से पानी पहुंचाने का अवसर विभाग के सामने है.

शासन सचिवालय में वीसी के माध्यम से राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने यह बात कही. विभाग के सभी क्षेत्रीय एवं जिला अधिकारियों को उन्होंने निर्देश दिए की जल जीवन मिशन के तहत राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएससी) में जारी की गई प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृतियों के काम को आगे बढ़ाने के लिए वे अपने स्तर पर ठोस कदम उठाएं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत शेष प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृतियों का कार्य एसएलएससी की आगामी बैठकों में पूरा किया जाएगा. सभी अधिकारी अपने जिलों से संबंधित बकाया योजनाओं की स्वीकृति के प्रस्ताव तैयार कर भिजवाना सुनिश्चित करे.

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बैठक में बारी-बारी से सभी जिलों में जल जीवन मिशन की प्रगति की समीक्षा की. अधिकारियों ने बताया कि नए वित्तीय वर्ष में मेजर प्रोजेक्ट्स के अलावा अब तक 3428 तकनीकी स्वीकृतियां और 2259 टेंडर जारी करने की कार्रवाई की गई है. मेजर प्रोजेक्ट्स में 1166 तकनीकी स्वीकृतियां जारी की गई है. एसीएस पंत ने इस वित्तीय वर्ष में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 30 लाख घरों तक नल कनेक्शन देने के लक्ष्य को देखते हुए इस प्रगति को कम बताया और अधिकारियों को सघन प्रयास करने के निर्देश दिए.

पढ़ें- गहलोत सरकार ने 2 आरएएस बदले, पुरुषोत्तम शर्मा को डीआईपीआर निदेशक बनाया

बैठक में सामने आया कि एसएलएससी द्वारा अब तक जारी प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृतियों की तुलना में राजसमंद में 92 प्रतिशत, भीलवाड़ा में 88 प्रतिशत, बारां एवं चूरू में 86-86 प्रतिशत तथा कोटा में 81 तकनीकी स्वीकृतियां जारी की जा चुकी है. जबकि जैसलमेर में 96 प्रतिशत, बाड़मेर एवं श्रीगंगानर में 85-85 प्रतिशत, अजमेर में 84 प्रतिशत एवं सिरोही में 78 प्रतिशत तकनीकी स्वीकृतियों का कार्य बाकी है.

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सभी जिलों के अधीक्षण अभियंताओं तथा सभी रीजन के अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं को निर्देश दिए कि वे अपने स्तर पर बकाया तकनीकी स्वीकृतियों के कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाएं. तकनीकी स्वीकृतियों के बाद टेंडर और वर्क ऑर्डर जारी करते हुए धरातल पर काम को समयबद्ध रूप से पूरा किया जाए.

बैठक में प्रदेश में गर्मिर्यों को देखते हुए पेयजल प्रबंधन व्यवस्था के तहत कंटीजेंसी प्लान के कार्यों, हैंडपम्प मरम्मत अभियान और जल परिवहन (टीओडब्ल्यू-ट्रांसपोर्टेशन ऑफ वाटर) की भी विस्तार से समीक्षा की गई. प्रदेश में गत एक अप्रैल से शुरू हुए 45वें हैंडपम्प मरम्मत अभियान के तहत अब तक शहरी क्षेत्रों में 944 तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 4948 हैंड पम्पों की मरम्मत का कार्य किया गया है. वर्तमान में शहरी क्षेत्रों में 16 कस्बों में 315 टैंकरों से 2140 ट्रिप प्रतिदिन तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 580 गांवों और 296 ढाणियों में 317 टैंकरों से 1319 ट्रिप प्रतिदिन के आधार पर जल परिवहन किया जा रहा है.

जयपुर. पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने प्रदेश में जल जीवन मिशन के बकाया कार्यों को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं. इस अभियान के तहत 24 हजार से अधिक गांवों के लिए 63 लाख घरों तक नल से पानी पहुंचाने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश में नल कनेक्शन से वंचित लोगों के घरों में नल से पानी पहुंचाने का अवसर विभाग के सामने है.

शासन सचिवालय में वीसी के माध्यम से राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने यह बात कही. विभाग के सभी क्षेत्रीय एवं जिला अधिकारियों को उन्होंने निर्देश दिए की जल जीवन मिशन के तहत राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएससी) में जारी की गई प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृतियों के काम को आगे बढ़ाने के लिए वे अपने स्तर पर ठोस कदम उठाएं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत शेष प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृतियों का कार्य एसएलएससी की आगामी बैठकों में पूरा किया जाएगा. सभी अधिकारी अपने जिलों से संबंधित बकाया योजनाओं की स्वीकृति के प्रस्ताव तैयार कर भिजवाना सुनिश्चित करे.

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बैठक में बारी-बारी से सभी जिलों में जल जीवन मिशन की प्रगति की समीक्षा की. अधिकारियों ने बताया कि नए वित्तीय वर्ष में मेजर प्रोजेक्ट्स के अलावा अब तक 3428 तकनीकी स्वीकृतियां और 2259 टेंडर जारी करने की कार्रवाई की गई है. मेजर प्रोजेक्ट्स में 1166 तकनीकी स्वीकृतियां जारी की गई है. एसीएस पंत ने इस वित्तीय वर्ष में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 30 लाख घरों तक नल कनेक्शन देने के लक्ष्य को देखते हुए इस प्रगति को कम बताया और अधिकारियों को सघन प्रयास करने के निर्देश दिए.

पढ़ें- गहलोत सरकार ने 2 आरएएस बदले, पुरुषोत्तम शर्मा को डीआईपीआर निदेशक बनाया

बैठक में सामने आया कि एसएलएससी द्वारा अब तक जारी प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृतियों की तुलना में राजसमंद में 92 प्रतिशत, भीलवाड़ा में 88 प्रतिशत, बारां एवं चूरू में 86-86 प्रतिशत तथा कोटा में 81 तकनीकी स्वीकृतियां जारी की जा चुकी है. जबकि जैसलमेर में 96 प्रतिशत, बाड़मेर एवं श्रीगंगानर में 85-85 प्रतिशत, अजमेर में 84 प्रतिशत एवं सिरोही में 78 प्रतिशत तकनीकी स्वीकृतियों का कार्य बाकी है.

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सभी जिलों के अधीक्षण अभियंताओं तथा सभी रीजन के अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं को निर्देश दिए कि वे अपने स्तर पर बकाया तकनीकी स्वीकृतियों के कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाएं. तकनीकी स्वीकृतियों के बाद टेंडर और वर्क ऑर्डर जारी करते हुए धरातल पर काम को समयबद्ध रूप से पूरा किया जाए.

बैठक में प्रदेश में गर्मिर्यों को देखते हुए पेयजल प्रबंधन व्यवस्था के तहत कंटीजेंसी प्लान के कार्यों, हैंडपम्प मरम्मत अभियान और जल परिवहन (टीओडब्ल्यू-ट्रांसपोर्टेशन ऑफ वाटर) की भी विस्तार से समीक्षा की गई. प्रदेश में गत एक अप्रैल से शुरू हुए 45वें हैंडपम्प मरम्मत अभियान के तहत अब तक शहरी क्षेत्रों में 944 तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 4948 हैंड पम्पों की मरम्मत का कार्य किया गया है. वर्तमान में शहरी क्षेत्रों में 16 कस्बों में 315 टैंकरों से 2140 ट्रिप प्रतिदिन तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 580 गांवों और 296 ढाणियों में 317 टैंकरों से 1319 ट्रिप प्रतिदिन के आधार पर जल परिवहन किया जा रहा है.

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