जयपुर. सांभर झील में हजारों प्रवासी पक्षियों की मौत के मामले को जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने गंभीरता से लेते हुए शुक्रवार को एक निर्देश जारी किया. इस निर्देश के तहत सांभर झील के आस-पास इस तरह की गतिविधियों की जांच की जाएगी, जिसके कारण प्रवासी पक्षियों के प्राकृतिक आवास को नुकसान हो रहा है.
जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने बताया कि 10 तारीख को प्रवासी पक्षियों के मौत की सूचना के बाद 11 तारीख से पक्षियों को बचाने के लिए बड़े स्तर पर काम किया गया. जो पक्षी मरे हैं, उन्हें गड्ढा खोदकर और डीजल पेट्रोल डालकर जलाया गया और उसके बाद में उन्हें दफना दिया गया. उन्होंने कहा कि पक्षियों की मौत एवीयन बोटोलिज्म के कारण हुई है और मरे पक्षियों को विशेषज्ञ के अनुसार ही दफनाया गया है.
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यादव ने कहा कि इस दौरान 500 पक्षियों को रेस्क्यू किया गया और इसमें से आधे से अधिक पक्षियों की जान बचा ली गई है. इस काम में वन एवं पर्यावरण, पशुपालन , जिला प्रशासन का योगदान रहा है. उन्होंने बताया कि सिविल डिफेंस और एसडीआरएफ की टीम ने बूट पहन कर सांभर झील के पानी में उतर कर पक्षियों की जान बचाई है. कलेक्टर यादव ने कहा कि सांभर झील में हर साल हजारों प्रवासी पक्षी आते हैं और यहां बड़े स्तर पर नमक भी निकाला जाता है. यहां इस तरह की गतिविधियों की जांच की जाएगी जिससे इन प्रवासी पक्षियों के प्राकृतिक आवास को नुकसान हो रहा है.
उन्होंने कहा कि किस तरह से इनके आवास को अक्षुण्ण रखा जाए यह भी देखा जाएगा. इसके लिए विभाग और राज्य सरकार इस ओर जरूर ध्यान देंगे. सांभर में टूरिस्ट एक्टिविटी को लेकर उन्होंने कहा कि टूरिस्ट एक्टिविटी बंद नहीं होनी चाहिए, लेकिन उन कारणों को खोजा जाना चाहिए जिनके कारण प्रवासी पक्षियों के प्राकृतिक आवास को नुकसान हो रहा है. सांभर में औद्योगिक इकाईयां है और वहां नमक भी निकाला जाता है. यादव ने कहा कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और लगातार पक्षियों की मौत की संख्या कम होती जा रही है.