जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार इस बार विधानसभा में एक दर्जन से ज्यादा बिल लेकर आई है. इसमें से कई बिल आम जनता को राहत देने वाले हैं. इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय का कहना है कि जब तक सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं हो जाती, इन बिलों का लाभ जनता को नहीं मिलेगा.
सरकार के पास 24 घंटे: सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वास्थ्य का अधिकार कानून पारित कर रहे हैं. हम कहना चाहते हैं कि आपने जवाबदेही कानून पारित नहीं किया. ऐसे में जो स्वास्थ्य के कानून में हमारे हक हैं, वह हमें मिलने वाले नहीं हैं, क्योंकि हमारे हक कई तरीके से वंचित किए जाते हैं. इसमें किसी सरकारी कर्मचारी की जवाबदेही नहीं होती है. अरुणा रॉय ने कहा कि कई सालों से सरकार से हमने कई मांगों को लेकर बात की, लेकिन सीएम के निर्देश के बाद भी उनको पूरा नहीं किया गया. वो इसलिए क्योंकि अधिकारी-कर्मचारी की जवाबदेही तय नहीं होगी. रॉय ने कहा सरकार के पास अभी 24 घंटे हैं. कल शाम तक इसी विधानसभा में जवाबदेही कानून पारित किया (Demand of accountability law in Rajasthan) जाए, सरकार किसी के दबाव में नहीं आये.
जवाबदेही कानून पारित हो: सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने भी विधासभा में जबाबदेही कानून लागू नहीं करने पर आक्रोश जताया. उन्होंने कहा कि राजस्थान के 100 से ज्यादा जन संगठनों ने 2015 से इस राज्य में लगातार जवाबदेही कानून की मांग की हैं. 2018 में समस्त राजनीतिक दलों को अपने घोषणा पत्र में इसे डालने का आग्रह किया और कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में इस कानून को लाने में प्रतिबद्धता दिखाई. 2019 के बजट घोषणा में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जवाबदेही कानून लाने की घोषणा की और उसी वर्ष पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त रामलुभाया के अध्यक्षता में जवाबदेही कानून के ड्राफ्ट तैयार करने की कमेटी बनाई.
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 2020 में सरकार को सौपी एंव इस कानून का लाने का पूर्ण समर्थन किया. फिर कानून नहीं आने पर संगठनों का दबाव रहा और सरकार ने पुन: 2022 में जवाबदेही कानून लाने की बजट घोषणा की. शायद ही ऐसे मौके होंगे जहां एक ही सरकार की अवधि में 2-2 बार एक ही मुद्दे पर बजट घोषणाएं होंगी.
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इस बीच नौकरशाही की आपत्तियों का हवाला देते हुए अभियान के लोगों की बातचीत विभिन्न उच्च अधिकारियों के साथ चलती रही. इस बातचीत को भी सफलतापूर्वक निष्कर्ष तक पहुंचाया गया और उस ड्राफ्ट को मुख्यमंत्री तक पहुंचा दिया. अब इस कानून को टालने का कोई कारण नहीं रहा. हम पुरजोर तरीके से सरकार से आज मांग करते है कि इस जवाबदेही कानून को विधानसभा में पेश कर इसी सत्र में पारित करे. हमारा मानना है कि समस्त बजट घोषणाओं को प्रभावित करने के लिए यह कानून अतिआवश्यक है.
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विधानसभा अध्यक्ष से मांग: निखिल डे ने कहा कि हम इस मामले में 2-2 बार इस राज्य में जवाबदेही कानून यात्रा (Accountability law yatra in Rajasthan) निकाल चुके हैं. हजारों की तादात में शिकायतें दर्ज कर चुके हैं, जो आपके पोर्टल पर चढ़ चुकी हैं. लाखों लोगों का समर्थन ले चुके हैं और आज तक किसी भी जगह कोई जायज विरोध या आपत्ति हमारे सामने नहीं आई हैं.
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अब हम हर विधानसभा सदस्य को सीधा पत्र लिख रहे हैं और 23 सितंबर को शहीद स्मारक पर जनता का विरोध जवाबदेही के मुद्दे पर आयोजित करेंगे. उन्होंने कहा हमने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से भी कानून को लेकर मांग की. उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि सरकार की ओर से बजट घोषणाओं को पूरा करना उनका मूल लोकतांत्रिक कर्तव्य है. यह बुनियादी मुद्दा दलगत राजनीति से ऊपर है. लोकसभा एंव विधानसभा में सभी दलों का इसे समर्थन है.