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शहरों की बदलेंगी सीमाएं, नगरीय निकायों में वार्डों का पुनर्गठन, 14 साल बाद भी आधार बनेगी 2011 की जनगणना - REORGANISATION OF WARDS

जयपुर, जोधपुर और कोटा में एक नगर निगम करने को लेकर ईटीवी भारत ने यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा से खास बातचीत की...

UDH Minister Jhabar Singh Kharra
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 16, 2025, 7:45 AM IST

जयपुर : प्रदेश के शहरों की सीमाओं में बदलाव किया जा रहा है. प्रदेश के 13 नगर निगम घटकर 10 रह जाएंगे. इन निगमों के साथ ही 52 नगर परिषद और 240 नगरीय निकायों का सीमा विस्तार करते हुए उनमें वार्डों का पुनर्गठन भी किया जाएगा. हालांकि, इस बार भी वार्डों का पुनर्गठन और परिसीमन साल 2011 की जनसंख्या के आधार पर ही किया जाना है, जबकि बीते 14 सालों में जनसंख्या में बहुत बड़ा बदलाव आ चुका है. साथ ही पुरानी आबादी वाले क्षेत्र से जनसंख्या शहर के बाहरी इलाकों में भी शिफ्ट हुई है, जो प्रशासन और सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगा.

शहरों की बदलेंगी सीमाएं : प्रदेश के शहरों की सीमाएं बदलेंगी और एक ही शहर में दो निगमों का कॉन्सेप्ट पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. नगरीय निकायों का परिसीमन और वार्डों के पुनर्गठन को लेकर यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने ये स्पष्ट कर दिया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि काफी लंबे समय से शहरी निकायों का सीमा विस्तार नहीं हुआ है, जबकि शहरों के आसपास नई कॉलोनियां डेवलप हो गई, उन तक सुविधा उपलब्ध कराना आवश्यक है. ऐसे में सभी नगरीय निकायों में वहां के जनप्रतिनिधियों की राय के अनुसार कलेक्टर के माध्यम से सीमा विस्तार का प्रस्ताव मांगा गया.

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सीमा विस्तार के बाद वार्डों का पुनर्गठन : उन्होंने बताया कि अधिकांश जगह का प्रस्ताव आ चुका है, जिनका नोटिफिकेशन हो रहा है. सीमा विस्तार होने से ग्रामीण क्षेत्रों में जो कॉलोनियां डेवलप हुई हैं, जहां लोग बस चुके हैं, उन तक मूलभूत सुविधाएं पहुंचाना ज्यादा सहज हो जाएगा. सीमा विस्तार के बाद वार्डों का पुनर्गठन होगा. वार्डों का पुनर्गठन होने के बाद मतदाता सूची बनेगी और उसके बाद अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद चुनाव कार्यक्रम घोषित किया जाएगा.

2011 की जनगणना के अनुसार वार्डों का पुनर्गठन : 2011 के बाद अब तक जनगणना नहीं हो पाई है. ऐसे में नई जनगणना से पहले वार्डों का पुनर्गठन और परिसीमन को लेकर खर्रा ने कहा कि 2011 की जनगणना के समय शहरी क्षेत्र के बाहरी इलाके में जहां 100 प्लॉट की कॉलोनी में 10-15 मकान बने हुए थे, आज वहां 100 प्लॉट पर 90-95 मकान बन चुके हैं. निश्चित रूप से शहर के बाहर आबादी बढ़ चुकी है और जैसे-जैसे परिवारों में जनसंख्या बढ़ी वहां मूल आबादी से निकलकर लोग शहर के बाहरी क्षेत्र में बस गए. ऐसे में इस पर भी मंथन किया जा रहा है कि किस तरह इसका निराकरण कर समान रूप से वार्डों का पुनर्गठन हो.

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पूर्ववर्ती सरकार की ओर से किए गए परिसीमन की आई शिकायतें : झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के समय हुए परिसीमन को लेकर कई जगह से ये बात आई थी कि कुछ नगरीय निकायों में वार्ड 1700-1800 वोटों के बन गए और कुछ वार्ड 6000 से ऊपर बन गए. यह बहुत बड़ा डेविएशन (विचलन) था. इसे खत्म करने पर मंथन किया जा रहा है और जब सीमा विस्तार का कार्यक्रम हो जाएगा, उसके बाद इस पर भी उचित निर्णय लेकर समान रूप से वार्डों का पुनर्गठन किया जाएगा, जिसमें 10 फीसदी तक का ही डेविएशन हो, ऐसी व्यवस्था करने का प्रयास कर रहे हैं. राज्य सरकार ने सैद्धांतिक रूप से ये भी तय किया है कि एक शहर में एक ही निगम होना चाहिए. अनावश्यक निगम के बंटवारे से कई तरह की भ्रांतियां और दिक्कतें उत्पन्न होती हैं. जब एक निगम होगा तो शहरी क्षेत्र में समान रूप से विकास के काम हो पाएंगे. राजनीतिक लाभ के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने ये फैसले लिए, जबकि बीजेपी सरकार जनहित में ये फैसला ले रही है.

जयपुर : प्रदेश के शहरों की सीमाओं में बदलाव किया जा रहा है. प्रदेश के 13 नगर निगम घटकर 10 रह जाएंगे. इन निगमों के साथ ही 52 नगर परिषद और 240 नगरीय निकायों का सीमा विस्तार करते हुए उनमें वार्डों का पुनर्गठन भी किया जाएगा. हालांकि, इस बार भी वार्डों का पुनर्गठन और परिसीमन साल 2011 की जनसंख्या के आधार पर ही किया जाना है, जबकि बीते 14 सालों में जनसंख्या में बहुत बड़ा बदलाव आ चुका है. साथ ही पुरानी आबादी वाले क्षेत्र से जनसंख्या शहर के बाहरी इलाकों में भी शिफ्ट हुई है, जो प्रशासन और सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगा.

शहरों की बदलेंगी सीमाएं : प्रदेश के शहरों की सीमाएं बदलेंगी और एक ही शहर में दो निगमों का कॉन्सेप्ट पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. नगरीय निकायों का परिसीमन और वार्डों के पुनर्गठन को लेकर यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने ये स्पष्ट कर दिया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि काफी लंबे समय से शहरी निकायों का सीमा विस्तार नहीं हुआ है, जबकि शहरों के आसपास नई कॉलोनियां डेवलप हो गई, उन तक सुविधा उपलब्ध कराना आवश्यक है. ऐसे में सभी नगरीय निकायों में वहां के जनप्रतिनिधियों की राय के अनुसार कलेक्टर के माध्यम से सीमा विस्तार का प्रस्ताव मांगा गया.

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सीमा विस्तार के बाद वार्डों का पुनर्गठन : उन्होंने बताया कि अधिकांश जगह का प्रस्ताव आ चुका है, जिनका नोटिफिकेशन हो रहा है. सीमा विस्तार होने से ग्रामीण क्षेत्रों में जो कॉलोनियां डेवलप हुई हैं, जहां लोग बस चुके हैं, उन तक मूलभूत सुविधाएं पहुंचाना ज्यादा सहज हो जाएगा. सीमा विस्तार के बाद वार्डों का पुनर्गठन होगा. वार्डों का पुनर्गठन होने के बाद मतदाता सूची बनेगी और उसके बाद अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद चुनाव कार्यक्रम घोषित किया जाएगा.

2011 की जनगणना के अनुसार वार्डों का पुनर्गठन : 2011 के बाद अब तक जनगणना नहीं हो पाई है. ऐसे में नई जनगणना से पहले वार्डों का पुनर्गठन और परिसीमन को लेकर खर्रा ने कहा कि 2011 की जनगणना के समय शहरी क्षेत्र के बाहरी इलाके में जहां 100 प्लॉट की कॉलोनी में 10-15 मकान बने हुए थे, आज वहां 100 प्लॉट पर 90-95 मकान बन चुके हैं. निश्चित रूप से शहर के बाहर आबादी बढ़ चुकी है और जैसे-जैसे परिवारों में जनसंख्या बढ़ी वहां मूल आबादी से निकलकर लोग शहर के बाहरी क्षेत्र में बस गए. ऐसे में इस पर भी मंथन किया जा रहा है कि किस तरह इसका निराकरण कर समान रूप से वार्डों का पुनर्गठन हो.

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पूर्ववर्ती सरकार की ओर से किए गए परिसीमन की आई शिकायतें : झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के समय हुए परिसीमन को लेकर कई जगह से ये बात आई थी कि कुछ नगरीय निकायों में वार्ड 1700-1800 वोटों के बन गए और कुछ वार्ड 6000 से ऊपर बन गए. यह बहुत बड़ा डेविएशन (विचलन) था. इसे खत्म करने पर मंथन किया जा रहा है और जब सीमा विस्तार का कार्यक्रम हो जाएगा, उसके बाद इस पर भी उचित निर्णय लेकर समान रूप से वार्डों का पुनर्गठन किया जाएगा, जिसमें 10 फीसदी तक का ही डेविएशन हो, ऐसी व्यवस्था करने का प्रयास कर रहे हैं. राज्य सरकार ने सैद्धांतिक रूप से ये भी तय किया है कि एक शहर में एक ही निगम होना चाहिए. अनावश्यक निगम के बंटवारे से कई तरह की भ्रांतियां और दिक्कतें उत्पन्न होती हैं. जब एक निगम होगा तो शहरी क्षेत्र में समान रूप से विकास के काम हो पाएंगे. राजनीतिक लाभ के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने ये फैसले लिए, जबकि बीजेपी सरकार जनहित में ये फैसला ले रही है.

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