जयपुर. 10 साल से भी ज्यादा संघर्ष के बाद अब राजस्थान की जनता को जवाबदेही का अधिकार मिलेगा. प्रदेश की गहलोत सरकार ब्यूरोक्रेसी के एक बड़े तबके के ना चाहने पर भी जवाबदेही कानून को लाने जा रही है. सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो इस बार बजट सत्र में राजस्थान पब्लिक सर्विस गारंटी एंड अकाउंटेबिलिटी एक्ट पेश किया जाएगा. सरकार ने तीसरी बार इस बिल पर सुझाव के लिए आम जनता को आमंत्रित किया (Suggestions invited for accountability bill) है. जवाबदेही कानून में सुझाव के लिए सरकार ने बिल के ड्राफ्ट को पब्लिक डोमेन में ला दिया है.
तीसरी बार पब्लिक डोमेन में बिल: राजस्थान सरकार के जन अभियोग निराकरण विभाग की ओर से राजस्थान पब्लिक सर्विस गारंटी एवं अकाउंटेबिलिटी बिल 2022, जनता से सुझाव लेने के लिए वेबसाइट पर डाला है. इससे पहले भी दो बार जवाबदेही कानून का मसौदा पब्लिक डोमेन में डाला गया था, लेकिन वह कानून नहीं बन सका. सरकार की ओर से बिल को लेकर मांगे गए सुझाव पर सामाजिक संगठनों ने कहा कि बिल को पब्लिक डोमेन में लाए जाने का स्वागत करते हैं. जिस प्रकार सरकार ने इसका विज्ञापन जारी कर प्रतिबद्धता दिखाई है, उससे हमें लगता है कि सरकार जनता के सुझावों को अहमियत देना चाहती है.
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सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि राजस्थान सरकार ने बिल को आम जनता से सुझाव के लिए वेबसाइट पर डाला है. 9 नवंबर तक पब्लिक से इसके बारे में टिप्पणी और सुझाव मांगे हैं. यह मसौदा वेबसाइट पर आना बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने घोषणा पत्र में जवाबदेही बिल लाने की बात कही थी. इसके बाद 2019 में अपने बजट घोषणा में इस बिल को लाने की घोषणा की. फिर 2022 की बजट घोषणा में इस बिल को लाने की प्रतिबद्धता दिखाई. उम्मीद है कि अगला बजट आने से पहले यह बिल पारित होना चाहिए.
क्या है जवाबदेही कानून:
- किसी भी व्यक्ति की समस्या का समाधान अगर कोई अधिकारी नहीं करता है, तो उसके ऊपर का अधिकारी शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त कर पाबंद करेगा.
- समय सीमा में पीड़ित व्यक्ति की सुनवाई होगी. ये बिल खुले रूप से बात रखने का मौका देगा.
- यह बिल आम आदमी को अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार देगा कि वह कलेक्टर, एसडीएम के सामने अपनी बात रख सकते हैं.
- इस बिल के बाद कई सारी सेवाएं ऑटोमेटिक मिल जाएंगी, जो आपका अधिकार है. अगर आपके पास सभी दस्तावेज हैं, तो आपको आपके अधिकार मिल जाएंगे.
- इसके अंतर्गत सामाजिक अंकेक्षण परफॉर्मेंस अथॉरिटी को लाया गया है. इसमें सभी विभागों का सामाजिक अंकेक्षण भी हो सकेगा और सुधारात्मक चीजें भी ला सकेगा.
- इस बिल में काम नहीं करने वाले अधिकारी पर पेनल्टी का प्रावधान है. इसके साथ स्वतंत्र आयोग का भी प्रावधान है.
क्या हैं खामियां:
- बिल में पेनल्टी का प्रावधान है, लेकिन कितनी होगी, इसे स्पष्ट नहीं किया गया है. जैसे आरटीई में रोज 250 रुपए और अधिकतम 25000 रुपए पेनल्टी है.
- जिला स्तर पर पेनल्टी लगनी चाहिए, ताकि समय सीमा में काम पूरा हो सके.
- किसी भी काम को करने के लिए जो समय सीमा होगी, वो कानून में होनी चाहिए. जबकि सरकार इसे रूल्स में डालने की बात कर रही है.
- बिल की जिन चीजों को सरकार रूल्स के अंदर रखना चाह रही है, उन्हें भी कानून के दायरे में लाना चाहिए.
- जिला लेवल पर स्वतंत्र अथॉरिटी होनी चाहिए. अगर जिला लेवल पर अथॉरिटी नहीं होगी, तो सारी समस्याओं का प्रेशर कमीशन पर आएगा और उसके समाधान होने में फिर देर लगेगी.
दुनिया का ऐसा पहला कानून: निखिल डे ने कहा कि बिल के आने का मतलब है कि यह देश और दुनिया में इस प्रकार का पहला कानून होगा. इसमें कुछ चीजें बहुत महत्वपूर्ण हैं. जवाबदेही हमेशा ऊपर की ही नहीं, बल्कि जनता के प्रति रहेगी. जिन लोगों को अपनी समस्याओं का कोई जवाब नहीं मिल रहा था, इस बिल के आने से उनको पूरा मौका मिलेगा कि सीमित समय के अंदर उनका पूरा हक प्राप्त कर सकेंगे. जिस प्रकार से पूरा ढांचा इस बिल के माध्यम से बनेगा, वो राजस्थान के लिए बहुत बड़ी बात है.
निखिल डे ने कहा कि इसका पहला फायदा यह होगा कि हर व्यक्ति अपनी समस्या का समाधान निकालने के खुद जुड़ सकेगा. दूसरा सरकार अपनी जवाबदेही जनता के प्रति रखेगी. तीसरा सबसे महत्वपूर्ण चीज है कि यह वे अधिकारियों सामने आएंगे जो काम नहीं करना चाहते. निखिल ने कहा कि कई विभागों में अधिकारी बहुत अच्छे से काम करते हैं, लेकिन जो अधिकारी काम नहीं करते उनको इस बिल के आने के बाद दंडित किया जा सकेगा.
10 साल का संघर्ष: निखिल डे ने कहा कि इस कानून को लेकर सरकार से कई दौर की बात हुई है. हम 10 साल से इस मसौदे को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. सरकार से तीन दौर में बात हो चुकी है. यह तीसरी बार है जब सरकार ने कानून को लाने की बात कही है. हम भी आम जनता से अपील करते हैं कि वह इसको देखें और पढ़ें. हमने सरकार से आग्रह किया है कि वह इस मसौदे को हिंदी में भी डालें ताकि आम जनता से अच्छी तरीके से पढ़ सके.
राज्य में जवाबदेही कानून की मांग की शुरुआत 2011 से हुई थी. इसके लिए पहली जवाबदेही यात्रा 1 दिसंबर, 2015 से 10 मार्च, 2016 तक राज्य के सभी 33 जिलों में निकाली गई थी. उसके बाद प्रत्येक वर्ष जवाबदेही कानून लाए जाने के लिए आंदोलन किए जाते रहे हैं. जवाबदेही यात्रा का दूसरा चरण 20 दिसंबर, 2021 से 5 जनवरी, 2022 तक और 5 सितंबर, 2022 से 18 सितंबर, 2022 तक यात्रा 25 जिलों में निकाली गई. इन सभी चरणों में लोगों से शिकायत इकट्ठा की गई हैं.