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रिश्वत में अस्मत मांगने वाले बर्खास्त आरपीएस को राहत नहीं, ACB Court ने नहीं दी जमानत

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Published : Jul 16, 2021, 6:12 PM IST

रिश्वत में अस्मत मांगने वाले बर्खास्त आरपीएस को एसीबी के विशेष कोर्ट ने राहत नहीं दी है. कोर्ट ने आरोपी बर्खास्त आरपीएस कैलाश बोहरा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया है.

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बर्खास्त आरपीएस को जमानत नहीं

जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत ने रिश्वत में अस्मत मांगने के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे बर्खास्त आरपीएस कैलाश बोहरा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एसीबी ने तय साठ दिन से पहले आरोप पत्र दायर करने के साथ ही अभियोजन स्वीकृति लंबित होने की बात कहकर बाद में पेश करने को कहा था. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि अभियोजन स्वीकृति के अभाव में आरोप पत्र अधूरा पेश किया गया है.

आरोपी बोहरा की ओर से प्रार्थना पत्र दायर कर कहा गया था कि गत 7 मई को एसीबी की ओर से मामले में पेश आरोप पत्र के साथ अभियोजन स्वीकृति पेश नहीं की गई थी. वहीं हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका को निस्तारित करते हुए पीड़िता के बयानों के बाद नई जमानत याचिका पेश करने की छूट दी थी. प्रार्थना पत्र में कहा गया कि पूर्ण आरोप पत्र पेश होने के बाद अदालत प्रसंज्ञान लेकर ट्रायल शुरू करता है.

पढ़ें- RPSC रिश्वत केस : जयपुर ACB ने दोनों आरोपियों को अजमेर एसीबी कोर्ट में किया पेश...30 जुलाई तक न्यायिक अभिरक्षा

एसीबी कोर्ट भी मान चुकी है कि अभियोजन स्वीकृति के अभाव में ट्रायल शुरू नहीं हो सकती है. इससे स्पष्ट है कि एसीबी की ओर से अधूरा आरोप पत्र पेश किया गया था. ऐसे में सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत उसे डिफॉल्ट जमानत पर रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए एसीबी की ओर से कहा गया था कि आरोप पत्र पूर्ण पेश किया गया है. मामले में अभियोजन स्वीकृति अलग से पेश कर दी जाएगी.

जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत ने रिश्वत में अस्मत मांगने के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे बर्खास्त आरपीएस कैलाश बोहरा को डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एसीबी ने तय साठ दिन से पहले आरोप पत्र दायर करने के साथ ही अभियोजन स्वीकृति लंबित होने की बात कहकर बाद में पेश करने को कहा था. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि अभियोजन स्वीकृति के अभाव में आरोप पत्र अधूरा पेश किया गया है.

आरोपी बोहरा की ओर से प्रार्थना पत्र दायर कर कहा गया था कि गत 7 मई को एसीबी की ओर से मामले में पेश आरोप पत्र के साथ अभियोजन स्वीकृति पेश नहीं की गई थी. वहीं हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका को निस्तारित करते हुए पीड़िता के बयानों के बाद नई जमानत याचिका पेश करने की छूट दी थी. प्रार्थना पत्र में कहा गया कि पूर्ण आरोप पत्र पेश होने के बाद अदालत प्रसंज्ञान लेकर ट्रायल शुरू करता है.

पढ़ें- RPSC रिश्वत केस : जयपुर ACB ने दोनों आरोपियों को अजमेर एसीबी कोर्ट में किया पेश...30 जुलाई तक न्यायिक अभिरक्षा

एसीबी कोर्ट भी मान चुकी है कि अभियोजन स्वीकृति के अभाव में ट्रायल शुरू नहीं हो सकती है. इससे स्पष्ट है कि एसीबी की ओर से अधूरा आरोप पत्र पेश किया गया था. ऐसे में सीआरपीसी की धारा 167(2) के तहत उसे डिफॉल्ट जमानत पर रिहा किया जाए. इसका विरोध करते हुए एसीबी की ओर से कहा गया था कि आरोप पत्र पूर्ण पेश किया गया है. मामले में अभियोजन स्वीकृति अलग से पेश कर दी जाएगी.

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