जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को आदेश दिए हैं कि वह तीन चिकित्सकों का मेडिकल बोर्ड बनाकर नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की जांच करे. यदि बोर्ड पीड़िता के गर्भपात की अनुमति देता है तो उसका गर्भपात किया जाए.
वहीं, अदालत ने गर्भपात की स्थिति में भ्रूण को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से भीलवाड़ा बाल कल्याण समिति की याचिका पर दिए.
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याचिका में कहा गया कि नाबालिग और अनाथ पीड़िता का उसके बुआ के लड़के ने कई दिनों तक दुष्कर्म किया. जिसे लेकर गत दिनों करणी विहार थाने में दुष्कर्म का मामला भी दर्ज कराया गया. वहीं पीड़िता को गत 24 सितंबर को पता चला कि वह 18 सप्ताह की गर्भवती हो गई है.
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इस पर उसने गर्भपात कराने की इच्छा जताते हुए समिति को जानकरी दी. समिति ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की सहायता से याचिका दायर कर बालिका के भविष्य को देखते हुए गर्भपात की अनुमति मांगी. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने मेकिडल बोर्ड की सिफारिश पर गर्भपात की अनुमति दी है.