जयपुर: कुछ तारीखें बीतती नहीं तमाम साल गुज़र जाने के बाद...ऐसा ही कहा जा सकता है राजस्थान कांग्रेस पार्टी के लिए. पिछले साल की ही तो बात है जब गहलोत Vs पायलट को लेकर राजनीतिक पंडितों ने खूब भविष्यवाणियां की थी. कांग्रेस पसोपेश में थी. विरोधियों के लगातार हमले तो झेल लेती लेकिन अपने घर में छिड़े घमासान से निपटना मुश्किल हो रहा था. कैसे निपटा जाए इसे लेकर जयपुर से दिल्ली तक मीटिंग्स का दौर जारी था. फिर कोई सुलह फॉर्मूला सेट हुआ. प्रियंका गांधी वा़ड्रा ने पायलट खेमे को समझाने का बीड़ा उठाया. सफल भी हुई. वो तारीख थी 10 अगस्त.
'गहलोत सरकार पर सटीक बैठती है यह कहावत, जितना लूट सको उतना लूट लो और घर-घर में ही रेवड़ियां बांट लो'
दरअसल 12 जुलाई 2020 को सचिन पायलट अपने सहयोगी 18 कांग्रेस विधायकों के साथ नाराज होकर दिल्ली चले गए. जहां उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार के अल्पमत में होने का भी दावा किया. एक और सचिन पायलट कैंप के 18 विधायक मानेसर में बाड़ाबंदी में रहे तो वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सहयोग करने वाले 100 से ज्यादा विधायक पहले जयपुर के फेयर माउंट होटल और फिर जैसलमेर के सूर्यगढ़ रिसोर्ट में बाड़ेबंदी में रहे.
करीब एक महीना चली खींचतान और राजनीतिक रस्साकशी के बाद आखिर 10 अगस्त 2020 को इस पूरे मामले में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की एंट्री हुई. लगा अब पटाक्षेप होना तय है. उन्होंने सचिन पायलट और उनके गुट के तमाम विधायकों से मुलाकात की. प्रियंका ने उनकी समस्याएं सुनीं और फिर पायलट कैंप के विधायकों के grievance redressal यानी समस्या निवारण के लिए 3 सदस्यीय कमेटी बनाई. जिसमें राजस्थान के प्रदेश प्रभारी अजय माकन संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल और अहमद पटेल को शामिल किया गया.
लेकिन ढाक के तीन पात, पायलट कैम्प को अब भी इंतजार: राजस्थान में बीते साल चली एक महीने की पायलट -गहलोत गुटों के बीच खींचतान के बाद प्रियंका गांधी ने आखिर दोनों गुटों में सुलह तो करवा दी. लेकिन सुलह किस फार्मूले पर हुई थी यह बात अब भी राज ही है. इस एक साल में सचिन पायलट गुट की ओर से मंत्रिमंडल विस्तार, राजनीतिक नियुक्तियों और कार्यकर्ताओं के मान सम्मान की बात कई बार की गई, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद भी अब तक राजस्थान में न तो मंत्रिमंडल विस्तार हो सका है ना ही राजनीतिक नियुक्तियां. ऐसे में यह अतिशयोक्ति नहीं होगी कि 1 साल बाद भी सचिन पायलट कैंप के हाथ खाली हैं.